गेमिंग एप की आड़ में चल रहा था डब्बा ट्रेडिंग जैसा खेल! सेबी ने प्लान किया फेल
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गेमिंग एप की आड़ में चल रहा था डब्बा ट्रेडिंग जैसा खेल! सेबी ने प्लान किया फेल

सेबी का कहना है कि ऐसी एप की वजह से बड़े पैमाने पर शेयर बाज़ार के निवेशकों के लिए खतरा पैदा हो सकता है. अगर कोई यूजर परफॉरमेंस के नाम पर आर्थिक लाभ उपलब्ध करा रहा है तो ये सही नहीं है. यही वजह है कि ऐसी एप के साथ रियल टाइम शेयर वैल्यू की जानकारी देने पर लगाया प्रतिबन्ध


देश के मार्किट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया(सेबी) ने उन एप पर शिकंजा कसा है, जो गेमिंग की आड़ में वर्चुअल शेयर ट्रेडिंग का खेल खेल रही थीं. सेबी का कहना है कि ऐसी एप की वजह से बड़े पैमाने पर शेयर बाज़ार के निवेशकों के लिए खतरा पैदा हो सकता है. हालाँकि सेबी ने ये भी स्पष्ट किया कि अगर कोई एप सिर्फ शिक्षा के उद्देश्य से शेयर से जुड़ा डाटा साझा कर रही है तो उससे कोई समस्या नहीं है लेकिन अगर कोई यूजर परफॉरमेंस के नाम पर आर्थिक लाभ उपलब्ध करा रहा है तो ये सही नहीं है.


पिछले कुछ समय से बड़ी हैं ऐसी एप

सेबी का कहना है कि पिछले कुछ समय से इस तरह की ऐप में बड़ी संख्या में सामने आई हैं. जो शेयर बाजार के निवेशकों के लिए खतरे के तौर पर पैदा हो रही है. यही वजह है कि ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया(सेबी) ने शेयर बाजारों और डिपॉजिटरीज के लिए निर्देश जारी करते हुए इन एप्स को नियंत्रित करने के निर्देश जरी किये हैं. सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरीज को ये निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी शेयर का रियल टाइम प्राइस की जानकारी थर्ड पार्टी के साथ साझा न करें. ये निर्देश ख़ास तौर से वर्चुअल ट्रेडिंग और वर्चुअल ट्रेडिंग कराने वाले ऐप के लिए जारी किये गए हैं और इन एप्स के प्रति ये निर्देश प्रतिकूल माना जा रहा है.


आखिर क्यों उठाना पड़ा सेबी को ये कदम

सेबी का कहना है कि अगर शेयर मार्किट या कहें कि शेयर की कीमत की डाटा का इस्तेमाल एजुकेशन या मनोरंजन के लिए किया जा रहा है तो कोई समस्या वाली बात नहीं है. लेकिन अगर इसका मकसद वर्चुअल ट्रेडिंग के लिए है, जिसमें किसी यूजर के परफॉर्मेंस के आधार पर मोनेटरी लाभ दिए जाने की बात है तो ये सही नहीं है. ऐसी स्थिति में ये बिलकुल डब्बा ट्रेडिंग की तरह है, जो अवैध है.

क्या होता है डब्बा ट्रेडिंग

डब्बा ट्रेडिंग को भारत में एक समानांतर सिस्टम की तरह होता है, जो निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज के बाहर स्टॉक यानि शेयर आदि की खरीद फरोख्त की एक व्यवस्था है, जो क़ानूनी तौर पर अवैध है.

कैसी होती है वर्चुअल ट्रेडिंग

आज के समय में कई ऐसी एप मौजूद हैं, जो हैं तो लिस्टेड तो गेमिंग एप में हैं लेकिन उन पर शेयर ट्रेडिंग से जुडी जानकारियां भी उपलध रहती हैं. ये ऐप शेयर बाजार के रियल टाइम डाटा को इस्तेमाल कर यूजर्स को वर्चुअल ट्रेडिंग यानि ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा उपलब्ध करा रहीं हैं. इससे शेयरों की खरीद-बिक्री का खेल चल रहा है, वो स्टॉक एक्सचेंज से बाहर. तभी सेबी ने इसकी तुलना डब्बा ट्रेडिंग से की है. ये गेम एप शेयरों की वास्तविक खरीद-बिक्री पर आधारित होते हैं. इनके फीचर भी बिलकुल वैसे ही काम करते हैं, जैसे शेयरों की वास्तविक खरीद फरोख्त में होते हैं. बस फर्क इतना होता है कि गेम एप से शेयरों की खरीद फरोख्त में डिजिटल मनी का इस्तेमाल होता है.

थर्ड पार्टी की श्रेणी से न्यूज प्लेटफॉर्म पर नहीं होगा कोई असर

सेबी ने बीएसई व एनएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज और एनएसडीएल व सीडीएसएल जैसे डिपॉजिटरी को थर्ड पार्टियों को शेयरों की ट्रेडिंग का रियल टाइम डाटा मुहैया करने से मना किया है. ऐसे में कई न्यूज़ चैनल भी चैनल और एप के माध्यम से अपने दर्शकों को शेयर बाजार के रियल टाइम डाटा उओलाब्ध करवाते हैं. सेबी के ताजे निर्देश का असर ऐसे न्यूज चैनल और एप पर नहीं पड़ेगा.

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