भारत में फोर्ड की सेकंड इनिंग: कंपनी का EV पर फोकस पहला कदम, जानें और क्या हैं प्लान
x

भारत में फोर्ड की सेकंड इनिंग: कंपनी का EV पर फोकस पहला कदम, जानें और क्या हैं प्लान

फोर्ड की गाड़ियां काफी भरोसेमंद मानी जाती हैं. इसके कई मॉडल्स को भारतीयों ने काफी पसंद किया था.


Ford India focus EV manufacturing: फोर्ड की गाड़ियां काफी भरोसेमंद मानी जाती हैं. इसके कई मॉडल्स को भारतीयों ने काफी पसंद भी किया था. चाहे इंजन के परफॉरमेंस की बात हो या फिर बॉडी के मजबूती की. सुरक्षा और लग्जरी की चाह रखने वालों के लिए इस कंपनी की गाड़ियां बेहतरीन मानी जाती हैं. हालांकि, भारतीय ऑटो मार्केट में बदलते ट्रेंड के साथ फोर्ड अपने आप को नहीं ढाल पाई और भारत छोड़कर चली गई. हालांकि, इसकी कारों को पसंद करने वाले अक्सर यह कयास लगाते थे कि आखिर यह कंपनी भारत में कब वापस आएगी. शायद लोगों की दुआओं ने काम कर दिया और करीब 3 साल बाद भारत से अपना कारोबार समेटकर जाने वाली इस कंपनी ने वापसी का ऐलान कर दिया है. फोर्ड तमिलनाडु स्थित अपने प्‍लांट में फिर से कार बनाने का काम शुरू करने वाली है. हालांकि, इस बार कंपनी की प्राथमिकता इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) है.

वर्तमान में ऑटोमोबाइल कंपनियां EV मैन्युफैक्चरिंग पर अधिक ध्यान दे रही हैं. क्योंकि दुनिया में इस सेगमेंट की कारों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. इसलिए फोर्ड इंडिया भी तमिलनाडु प्लांट में ईवी मैन्युफैक्चरिंग पर ही फोकस करना चाहती है. लेकिन कंपनी भारतीय कारोबार को शुरू करने के बाद सीमित संख्या में ICE वाहनों (पारंपरिक ईंधन से चलने वाली गाड़ियां ) को इंपोर्ट कर सकती है.

बता दें कि भारत से कारोबार समेटने से पहले फोर्ड ने फिगो, इकोस्पोर्ट, एंडेवर और एस्पायर जैसे मॉडलों के साथ ICE सेगमेंट में अच्छी-खासी मार्केट बना ली थी. कंपनी से तब गुजरात के साणंद में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाई थी. लेकिन साल 2022 में टाटा मोटर्स को बेच दिया और चेन्नई के पास मराईमलाई नगर में दूसरा प्लांट शुरू किया. हालांकि, कंप्टीशन के वजह से कंपनी ने इसे भी जुलाई 2022 में बंद करना पड़ा था. हालांकि, जैसे-जैसे दुनिया भर में ऑटोमोटिव मार्केट ईवी की ओर बढ़ रहा है, फोर्ड भी खुद को भविष्य के लिए तैयार कर रहा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फोर्ड को अहसास हो चुका है कि साल 2025 तक भारत ईवी के लिए एक बड़ा बाजार होगा. वहीं, पेट्रोल या डीज़ल गाड़ियां बनाना अब उतने फायदे का सौदा नहीं रहा है. यही वजह है कि फोर्ड बैटरी से चलने वाले मॉडलों के लिए एक चेन्नई प्लांट में रेनोवेशन कर रहा है. यह बदलाव फोर्ड के भविष्य के इरादे को दर्शाता है. इसके लिए फोर्ड ने तमिलनाडु सरकार को एक लेटर भी दिया है. इसके तहत कंपनी ने में मुख्य रूप से एक्सपोर्ट के लिए चेन्नई प्लांट में दोबारा से मैन्युफैक्चरिंग का काम करने का इरादा जताया है.

बता दें कि यह घोषणा फोर्ड नेतृत्व द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ उनकी हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान मुलाकात के बाद की गई. फोर्ड के चेन्नई प्लांट की वार्षिक क्षमता 200,000 वाहन और 340,000 इंजन है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फोर्ड का पहला कदम बैटरी सहित ईवी के लिए एक मजबूत सप्लाई चैन स्थापित करना होगा. एक बार सप्लाई बेस तैयार हो जाने के बाद कंपनी अपने चेन्नई प्लांट से इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन शुरू कर देगी और उन्हें पास के बंदरगाहों से वैश्विक बाजारों में निर्यात करेगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके बाद फोर्ड इन वाहनों को घरेलू भारतीय बाजार में पेश करने की योजना बना रही है. बता दें कि साल 2021 में भारत से फोर्ड के बाहर निकलने को व्यापक रूप से एक बड़ी गलती के रूप में देखा गया था. क्योंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोटिव बाजार है. हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ लौटने का फोर्ड का फैसला एक सोचा-समझा कदम है, जो कंपनी को आने वाले लंबे समय के लिए तैयार कर सकता है.

Read More
Next Story