EV खरीदने से क्यों कतरा रहे हैं भारतीय? जानें इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए अभी देश में क्या हैं चुनौतियां
India EV revolution: देश में ईवी खरीदारों के लिए रेंज की चिंता सबसे बड़ी दिक्कत बनी हुई है. फरवरी 2024 तक देश में सिर्फ 12,146 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन थे.
India electric car market: इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) तेजी से उभरने वाला वाहन सेगमेंट है. दुनिया में लगातार महंगे होते जा रहे फ्यूल और प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए सरकारी पहल से ईवी की बिक्री में इजाफा देखा जा रहा है. हालांकि, भारत में दुनिया के कई देशों की तुलना में ईवी मार्कट (ev market) काफी छोटा है. क्योंकि, अभी भी लोग ईवी की जगह पेट्रोल, डीजल, सीएनजी से चलने वाली गाड़ियां लेना पसंद कर रहे हैं. यही वजह है कि साल 2023 में देश में सभी वाहनों की बिक्री में ईवी का हिस्सा महज 6 प्रतिशत था.
भारत में इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) बाजार हाल के वर्षों में काफी बढ़ा है. लेकिन पूरे पैसेंजर वाहन बाजार के आकार की तुलना में यह अभी भी छोटा है. वास्तव में भारत की ईवी (EV) क्रांति दो और तिपहिया वाहनों से ही चार्ज की जा रही है और बैटरी से चलने वाली कारें शहरी इलाकों तक ही सीमित हैं. साल 2023 में देश में सभी वाहनों की बिक्री में ईवी का हिस्सा लगभग 6 प्रतिशत था. जबकि चीन (china) में यह लगभग 30 प्रतिशत और संयुक्त राज्य अमेरिका (america) में 10 प्रतिशत था. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या चुनौतियां ईवी को बड़ा बाजार बनने से रोक रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की एक प्रमुख ऑडिट, टैक्स और सलाहकार सेवा फर्म के वाइट पेपर से पता चला है कि देश में संभावित ईवी खरीदारों के लिए रेंज की चिंता सबसे बड़ी दिक्कत बनी हुई है. फरवरी 2024 तक देश में सिर्फ 12,146 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन थे. वहीं, चीन में करीब 10 ईवी के लिए एक पब्लिक चार्जिंग स्टेशन और अमेरिका में 20 ईवी के लिए एक चार्जिंग स्टेशन है.
वाइट पेपर के अनुसार,भारत में लगभग 90 प्रतिशत मौजूदा ईवी मालिक अपने वाहनों को चलाने के लिए घरेलू चार्जिंग पर ही निर्भर हैं. क्योंकि ईवी को चार्ज करना अन्य फ्यूल संचालित वाहन की तुलना में काफी मुश्किल है. फर्म के सर्वे में पाया गया कि पब्लिक चार्जर्स की उपलब्धता एक बड़ा मुद्दा है. ऐसे 25 प्रतिशत चार्जर तकनीकी समस्याओं, सीमित ग्रिड कनेक्टिविटी या रखरखाव में देरी के कारण लगातार डाउनटाइम का अनुभव करते हैं. वाइट पेपर में यह भी कहा गया है कि भारत में औसत ईवी चार्जिंग समय 90 मिनट से 120 मिनट है. जो वैश्विक औसत 30 मिनट से 60 मिनट से कहीं ज़्यादा है.
भारत के ईवी बाजार में कैसे आएगी तेजी?
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े वाहन बाज़ार के रूप में भारत ईवी के क्षेत्र में बड़ी और संभावित रूप से बेहतर चीज़ों के टॉप पर है. टाटा मोटर्स के पास इलेक्ट्रिक कार बाज़ार का बड़ा हिस्सा है. जबकि महिंद्रा, मारुति सुज़ुकी, JSW MG मोटर, हुंडई, किआ और अन्य जैसे प्रतिद्वंद्वी अपने-अपने लाइनअप का विस्तार कर रहे हैं.
फर्म के अनुसार, भारत में ईवी को तेज़ी से अपनाने के लिए मुख्य कारक लंबी दूरी की बैटरी का विकास, अधिक किफ़ायती ईवी विकल्प और एक व्यापक चार्जिंग नेटवर्क जैसे कारक हैं, जो सिर्फ़ शहरी केंद्रों तक सीमित नहीं हैं. दो और तीन पहिया वाहनों के विशेष मामले में बैटरी-स्वैपिंग समाधान भी रेंज-संबंधी चिंताओं को कम करने में काफ़ी मददगार हो सकते हैं.