
मंदी, त्योहार और फिर तेजी, 2025 में भारत की ऑटो कहानी में कैसे आया जबरदस्त ट्विस्ट!
auto sector: अब सवाल यह है कि क्या यह रफ्तार आगे भी बनी रहेगी और क्या उत्पादन, सप्लाई चेन और किफायती कीमतें इस बढ़ती मांग के साथ तालमेल बिठा पाएंगी।
Indian auto industry 2025: साल 2025 भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए किसी रोलर-कोस्टर से कम नहीं रहा। साल की शुरुआत में जहां शोरूम सूने दिखे, खरीदार हाथ खींचते नजर आए और कंपनियां मांग को लेकर परेशान रहीं। वहीं, समय बीतने के साथ कुछ ही महीनों बाद यही बाजार अचानक रफ्तार पकड़ता दिखा। एक नीति फैसला, त्योहारों का असर और बदले हुए लोगों के मूड ने मिलकर ऑटो सेक्टर की तस्वीर ही बदल दी। सुस्ती से उछाल तक का यह सफर न सिर्फ आंकड़ों में दिखा, बल्कि पूरे उद्योग की सोच और रणनीति को भी नए सिरे से गढ़ गया।
पहले कई महीनों तक रही मंदी
पहले ऑटो इंडस्ट्री में यह नरमी कई महीनों तक बनी रही। जुलाई में यात्री वाहनों की डिलीवरी पिछले साल के मुकाबले थोड़ी कम रही, जबकि जून तिमाही में बिक्री में गिरावट दर्ज की गई, जिससे चार साल की लगातार वृद्धि का सिलसिला टूट गया। SIAM ने कमजोर उपभोक्ता भावना, डीलरों के स्तर पर स्टॉक सुधार, भारी बारिश और कुछ अशुभ माने जाने वाले समय को भी बिक्री पर असर डालने वाला कारण बताया। हालांकि, प्रीमियम एसयूवी की बिक्री अपेक्षाकृत बेहतर रही, लेकिन एंट्री-लेवल कारों और सस्ते दोपहिया वाहनों में दबाव साफ दिखा, जो कीमत को लेकर संवेदनशील ग्राहकों की परेशानी को दर्शाता है।
ऑटो उद्योग में बदलाव की शुरुआत
फिर 15 अगस्त को एक अहम नीति घोषणा ने पूरे साल की दिशा बदल दी। लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) ढांचे में सुधार का ऐलान किया। इस फैसले से ऑटोमोबाइल सेक्टर की पूरी लागत संरचना में बदलाव आया। कई महीनों से ठहराव और अनिश्चितता से जूझ रहे उद्योग के लिए यह घोषणा एक नई शुरुआत साबित हुई।
सितंबर में इंतजार का दौर
3 सितंबर को GST काउंसिल ने ऑटोमोबाइल पर अप्रत्यक्ष करों में बदलाव को औपचारिक मंजूरी दी। इससे अलग-अलग श्रेणियों के वाहनों की कीमतों में कमी आई और मांग में तेजी की उम्मीद जगी। हालांकि, नए टैक्स लागू होने से पहले सितंबर के अधिकतर हिस्से में बिक्री सुस्त रही। ग्राहक नई कीमतों का इंतजार करते रहे, खासकर त्योहारों के मौसम की शुरुआत में। लेकिन यह ठहराव ज्यादा समय तक नहीं चला।
नवरात्रि पर अचानक बढ़ी मांग
23 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन जैसे ही संशोधित GST व्यवस्था लागू हुई, मांग में तेज उछाल आया। दिल्ली, गुरुग्राम और मुंबई के शोरूम में सामान्य दिनों के मुकाबले तीन से पांच गुना ज्यादा डिलीवरी दर्ज की गई। GST कटौती से छोटी कारों की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। छोटे शहरों और कस्बों में भी दोपहिया और कार दोनों की बिक्री में तेजी देखी गई।
अक्टूबर बना रिकॉर्ड तोड़ महीना
जो तेजी त्योहारों से शुरू हुई थी, वह अक्टूबर में स्थायी सुधार में बदल गई। इस महीने वाहन रिटेल बिक्री करीब 40 लाख यूनिट के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (FADA) के मुताबिक, रजिस्ट्रेशन में साल-दर-साल 40.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यात्री वाहनों का मासिक रजिस्ट्रेशन 5.57 लाख यूनिट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, जबकि दोपहिया वाहनों की बिक्री 31 लाख यूनिट से ज्यादा रही। अक्टूबर 2025 को ऑटो रिटेल के लिए एक ऐतिहासिक महीना माना जाएगा, जहां सुधार, त्योहार और ग्रामीण मांग एक साथ दिखी।
नवंबर में भी बरकरार रही रफ्तार
नवंबर में भी यह तेजी जारी रही। कार बिक्री बढ़कर करीब 4.20 से 4.25 लाख यूनिट तक पहुंच गई। मारुति सुजुकी की थोक बिक्री में 21 फीसदी और रिटेल बिक्री में 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने नवंबर में 22 फीसदी की वृद्धि दर्ज की, जबकि हुंडई मोटर इंडिया ने भी GST सुधारों को बिक्री बढ़ने का बड़ा कारण बताया। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने भी मजबूत मांग की पुष्टि की।
कारों से आगे भी दिखा असर
मांग में यह सुधार सिर्फ यात्री वाहनों तक सीमित नहीं रहा। दोपहिया, कमर्शियल व्हीकल और ट्रैक्टर बिक्री में भी तेज उछाल आया। ग्रामीण इलाकों में बेहतर नकदी प्रवाह और टैक्स राहत के चलते ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों की मांग बढ़ी। GST कटौती और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी से किसानों की स्थिति मजबूत हुई है।
2026 की ओर बढ़ता उद्योग
इस बड़े बदलाव के बाद ऑटो कंपनियों ने उत्पादन बढ़ाने, अतिरिक्त शिफ्ट लगाने और क्षमता विस्तार की योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं। विश्लेषकों ने भी उद्योग के लिए अपने अनुमान बेहतर किए हैं। S&P ग्लोबल मोबिलिटी ने GST सुधार के बाद अपनी ग्रोथ अनुमान को ऊपर की ओर संशोधित किया है। कुल मिलाकर 2025 भारतीय ऑटो उद्योग के लिए विरोधाभासों से भरा साल रहा—शुरुआत में सुस्ती और अनिश्चितता, लेकिन बाद में ऐसी तेजी जिसने अनुभवी डीलरों को भी चौंका दिया।
अब सवाल यह है कि क्या यह रफ्तार आगे भी बनी रहेगी और क्या उत्पादन, सप्लाई चेन और किफायती कीमतें इस बढ़ती मांग के साथ तालमेल बिठा पाएंगी। 2026 में ऑटो उद्योग के सामने मौके भी होंगे और चुनौतियां भी और इन्हीं से भारत की ऑटो कहानी का अगला अध्याय तय होगा।

