2030 तक EV प्रोडक्शन बढ़ाएगी मारुति सुज़ुकी
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2030 तक 20 लाख यूनिट्स का टारगेट, e-Vitara से होगी शुरुआत

2030 तक EV प्रोडक्शन बढ़ाएगी मारुति सुज़ुकी

मारुति सुज़ुकी ने 2030-31 तक 20 लाख नई यूनिट्स बनाने और फ्लेक्सिबल प्रोडक्शन से EV निर्माण की योजना बनाई है।


मार्च और अप्रैल जैसे महीनों में आमतौर पर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हलचल देखने को मिलती है। नए मॉडल्स की घोषणा होती है, कंपनियां अपने प्रोडक्शन प्लान को सार्वजनिक करती हैं और भविष्य की दिशा तय करती हैं। ठीक ऐसा ही कुछ मारुति सुज़ुकी ने भी किया है। कंपनी ने अब अपने उत्पादन ढांचे को इतना लचीला (फ्लेक्सिबल) बनाने की योजना बनाई है कि एक ही यूनिट से पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रिक दोनों तरह की गाड़ियां बनाई जा सकें।

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुज़ुकी इंडिया 2030-31 तक अपनी उत्पादन क्षमता में 20 लाख यूनिट्स का इजाफा करने जा रही है। कंपनी के पास इस समय हरियाणा और गुजरात स्थित प्लांट्स में सालाना लगभग 26 लाख यूनिट्स के उत्पादन की क्षमता है।

हरियाणा के गुरुग्राम और मानेसर में स्थित दो संयंत्र हर साल करीब 16 लाख गाड़ियों का उत्पादन करते हैं। वहीं, खारखौदा स्थित नया प्लांट भी अब चालू हो गया है, जो शुरू में कॉम्पैक्ट SUV ब्रेज़ा का निर्माण करेगा। इस प्लांट की प्रारंभिक उत्पादन क्षमता 2.5 लाख यूनिट्स सालाना है।

इसके अलावा, सुज़ुकी मोटर गुजरात ने भी राज्य में एक यूनिट स्थापित की है जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 7.5 लाख यूनिट्स है।

मारुति सुज़ुकी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (कॉर्पोरेट अफेयर्स) राहुल भारती ने विश्लेषकों से बातचीत में बताया, “हमारे प्लांट्स को अब इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि एक ही प्रोडक्शन लाइन पर कई मॉडल्स बन सकें, और भविष्य में ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) भी वहीं से बन सकें।”

ईवी की लागत और मुनाफे पर कंपनी की राय

राहुल भारती ने स्पष्ट किया कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां पारंपरिक वाहनों की तुलना में भारी होती हैं क्योंकि उनमें बैटरी का वजन काफी होता है। ऐसे में उत्पादन लाइन में कुछ तकनीकी बदलाव जरूरी होते हैं, लेकिन कंपनी इन्हें लचीला बना रही है ताकि गुजरात और खारखौदा दोनों जगह ईवी का निर्माण हो सके।

उन्होंने यह भी माना कि डिजाइन के हिसाब से ईवी की लाभप्रदता पारंपरिक इंजन गाड़ियों की तुलना में कम होती है, और यही वजह है कि सरकार को 5% जीएसटी जैसी सब्सिडी और स्कीम्स की जरूरत पड़ती है।

पहली ईवी e-Vitara का सितंबर में लॉन्च

मारुति की पहली इलेक्ट्रिक गाड़ी e-Vitara सितंबर में लॉन्च की जाएगी। शुरुआत में इसका ज़्यादातर हिस्सा एक्सपोर्ट के लिए ही तैयार किया जाएगा। कंपनी का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से उसे स्केल और कीमत दोनों में थोड़ा फायदा मिल सकता है।

कार्बन उत्सर्जन घटाने पर ध्यान

कंपनी ने संकेत दिया कि उसका डिकार्बोनाइजेशन का लक्ष्य सिर्फ ईवी तक सीमित नहीं होगा, बल्कि वह हर तकनीक का उपयोग करेगी जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मददगार हो।

नई CAFE-III नीति पर अपडेट

राहुल भारती ने बताया कि वाहन से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रस्तावित CAFE-III मानकों पर जल्द फैसला आ सकता है। उद्योग मंत्रालय, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो और बिजली मंत्रालय के साथ इस पर बातचीत जारी है, और एक-दो महीने में नीति आने की उम्मीद है।

मारुति सुज़ुकी न केवल उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है, बल्कि भविष्य के वाहनों के अनुरूप अपने ढांचे को भी तैयार कर रही है। कंपनी के इस दृष्टिकोण से साफ है कि वह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहती।

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