जल संकट सिर्फ जनजीवन के लिए ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए ख़राब
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जल संकट सिर्फ जनजीवन के लिए ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए ख़राब

मूड़ीज़ ने मंगलवार को चेतावनी जारी की है. मूड़ीज़ के मुताबिक जल संकट और जलवायु परिवर्तन की कझ से देश की साख को नुक्सान हो सकता है


Moody's Rating: देश में बढ़ रहे जल संकट से केवल जन जीवन पर ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं. इसे लेकर मूड़ीज़ ने मंगलवार को चेतावनी जारी की है. मूड़ीज़ के मुताबिक जल संकट और जलवायु परिवर्तन की कझ से देश की साख को नुक्सान हो सकता है. गौर करने वाली बात ये है कि ये चेतावनी ऐसे समय में आई जब अर्थ व्यवस्था के मामले में भारत अन्य देशों के मुकाबले अच्छा कर रहा है.

मूड़ीज़ ने अलग अलग देशों के लिए रेटिंग जारी की है, जिसमें भारत को Baa3 स्टेबल रेटिंग दी गयी है. अगर बात करें तो ये सबसे कम निवेश ग्रेड रेटिंग मानी जाती है. मूड़ीज़ का कहना है कि भारत में पानी की बढ़ती कमी की वजह से खेतों और कारखानों की पानी की आपूर्ति में समस्या की वजह से काम पर फर्क पड़ेगा. जिससे खाने पीने की चीजों के दाम में बढ़ोतरी होने की सम्भावना है. इसकी वजह से न केवल प्रभावित व्यवसायों और लोगों की आय में गिरावट आएगी, जिसकी वजह से सामाजिक अशांति भी फैलने का अंदेशा है.

अर्थव्‍यवस्‍था हो सकती है प्रभावित

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारत के लिए पर्यावरणीय जोखिमों पर एक नोट भी जरी किया है, जिसमें ये कहा गया है कि 'इसकी वजह से भारत के विकास में अस्थिरता को बढ़ावा मिल सकता है. जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था कमजोर भी हो सकती है.' रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी की वजह से कोयला आधारित बिजली उत्पादन और स्टील उत्पादन जैसे व्यवसायिक क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. मूड़ीज़ ने ये भी कहा कि भारत उन देशों में से एक है, जो जल प्रबंधन से जुड़े जोखिमों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है.


औद्योगीकरण और शहरीकरण का विस्तार भी है पानी की कमी का कारण

मूड़ीज़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत विश्व में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. यहाँ तेजी से आर्थिक विकास जरुर हो रहा है लेकिन औद्योगीकरण और शहरीकरण भी तेजी बढ़ रहा है, जिसकी वजह से कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन पर असर पड़ रहा है. इससे पानी की उपलब्धता भी कम हो रही है.

पानी की कमी के आलावा बाढ़ भी है समस्या

मूडीज के अनुसार जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार 1700 घन मीटर से कम पानी का स्तर पानी के तनाव को दर्शाता है. 2021 की बात करें तो भारत में सालाना प्रति व्यक्ति औसत जल उपलब्धता पहले से ही 1,486 घन मीटर है, जो 2031 तक 1,367 घन मीटर रह जाने की आशंका है. इसके अलावा जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार पानी की कमी की सीमा 1,000 घन मीटर है.

लू और बढ़ते तापमान ने भी बढाई चिंता

मूड़ीज़ ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र किया है कि लू के कारण भी पानी की आपूर्ति पर दबाव पड़ा है. दिल्ली और उत्तर भारत के तमाम राज्यों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया है. इतना ही नहीं भारत में बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जो यहाँ के कई राज्यों की आम समस्या है. बाढ़ की वजह से पानी के बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचता है.


एक तरफ बाढ़ तो दूसरी तरफ सुखा, कमजोर पड़ सकती है अर्थव्यवस्था

मूड़ीज़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहाँ सूखा लगातार पड़ रहा है और वक़्त के साथ ज्यादा गंभीर होता जा रहा है. मानसून में बारिश की कमी देखने को मिल रही है. मूडीज ने नोट में कहा है कि इस वजह से भारत के विकास में अस्थिरता बढ़ सकती है, क्योंकि भारत में 40% से अधिक लोगों का व्यवसाय या रोज़गार कृषि पर निर्भर करता हैं.

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