अब सुधरेगी सड़कों की हालत, सफर होगा सुगम, भारत सरकार ने लिया ये फैसला
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अब सुधरेगी सड़कों की हालत, सफर होगा सुगम, भारत सरकार ने लिया ये फैसला

भारत सरकार सड़कों के निर्माण में काफी पैसा खर्च करती है. हालांकि, रख-रखाव के अभाव में इन सड़कों की हालत जल्द ही दयनीय हो जाती है.


EPC Projects National Highways: भारत सरकार सड़कों के निर्माण में काफी पैसा खर्च करती है. हालांकि, रख-रखाव के अभाव में इन सड़कों की हालत जल्द ही दयनीय हो जाती है. इसके बावजूद वाहन चालकों को टोल टैक्स के तौर पर पैसा भरना पड़ता है. ऐसे में भारत सरकार ने सड़कों के रखरखाव के लिए फैसला लिया है. अब सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदारों के लिए 5 साल की बजाय सड़कों के रखरखाव की अवधि 10 साल कर दी गई है. जिसकी वजह से सड़कों पर चलने वाले लोगों का सफर अब सुगम होने की उम्मीद है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार ने इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) परियोजनाओं के ठेकेदारों के लिए 'दोष दायित्व अवधि' (defect liability period) को दोगुना करके 10 साल करने का फैसला किया है. वर्तमान में ईपीसी परियोजनाओं के तहत दोष दायित्व अवधि 5 वर्ष समाप्त होने के बाद राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार की होती है.

गडकरी ने कहा कि ईपीसी मोड के तहत बनी सड़कों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है. ईपीसी मोड के तहत दोष दायित्व अवधि 5 साल है और 3 साल के भीतर सड़कों पर बहुत सारी समस्याएं होती हैं. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) या एचएएम (हाइब्रिड एन्युटी मॉडल) मोड के तहत बनी सड़कें अच्छी स्थिति में हैं. क्योंकि सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है और उसे कीमत चुकानी पड़ती है.

उन्होंने कहा कि इसलिए अब हमने फैसला किया है कि ईपीसी मोड के तहत बनी किसी भी सड़क के लिए हम दोष दायित्व अवधि को 5 साल से बढ़ाकर 10 साल करेंगे. ठेकेदार उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कें बनाने के लिए मजबूर करेंगे. ईपीसी परियोजनाएं वे हैं, जहां सरकार पैसा लगाती है. जबकि निजी भागीदार केवल इंजीनियरिंग निर्माण सहायता प्रदान करते हैं. सड़क निर्माण का एचएएम मॉडल वह है, जहां सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण को आंशिक रूप से वित्तपोषित करती है और बीओटी या बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर वह है, जहां निर्माण जोखिम निजी रियायतकर्ता द्वारा 20-30 वर्षों की रियायत अवधि के साथ वहन किया जाता है.

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) देश में राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव का वित्तपोषण केंद्रीय सड़क अवसंरचना कोष द्वारा किया जाता है. गडकरी ने निर्यात बढ़ाने और आयात घटाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

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