
बिहार में सीट का समीकरण : मोतिहारी, जो कभी कांग्रेस का गढ़ था, बाद में लेफ्ट-राइट करने लगा
बिहार में विधानसभा चुनाव अब ज़्यादा दूर नहीं है। ऐसे में 'द फेडरल देश' पर आज से हम एक सीरीज़ शुरू करने जा रहे हैं जिसमें बिहार की एक-एक विधानसभा सीट का पूरा ब्यौरा होगा। यहां समझिए मोतिहारी सीट का समीकरण।
बिहार के 38 जिलों में से एक पूर्वी चंपारण जिला भी है। जिले में कुल 12 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, हरसिद्धि, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन और मोतिहारी विधानसभा सीटें शामिल हैं।
मोतिहारी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पूर्वी चंपारण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र पूर्वी चंपारण लोकसभा में आता है। 2008 परिसीमन से पहले इसे मोतिहारी लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था।
पूर्वी चंपारण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें आती है जिसमें हरसिद्धि (एससी), गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मोतिहारी विधानसभा सीटें शामिल हैं। मोतिहारी विधानसभा सीट पर 1952 में पहली बार चुनाव हुए थे।
1952 में मोतिहारी और पिपरा एक सीट
1952 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे। तब मोतिहारी और पिपरा एक ही सीट थी। यहां दो विधायक चुने गए थे। दोनों ही सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी। जीतने वाले चेहरों में गणेश प्रसाद साह और यमुना राम शामिल थे।
1957 में आरक्षित हुई सीट
1957 में इस सीट को आरक्षित कर दिया गया था। इस सीट पर दो विधायक चुने गए थे। इस चुनाव में कांग्रेस की शकुंतला देवी और कांग्रेस के ही बिगू राम को जीत मिली थी। शकुंतला देवी को 22491 वोट तो वहीं बिगू राम को 19801 वोट मिले थे।
1962 में फिर शकुंतला देवी को मिली जीत
1962 में एक बार फिर मोतिहारी सीट पर कांग्रेस की शकुंतला देवी को जीत मिली थी। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सूर्यदेव नारायण गुप्ता को 6457 वोट से हरा दिया था। इस समय यह सीट पिपरा से अलग हो गई थी।
1967: जनसंघ को मिली जीत
1967 में इस सीट पर जनसंघ के चंद्रिका प्रसाद यादव को जीत मिली थी। उन्होंने तत्कालीन विधायक और कांग्रेस की उम्मीदवार एस देवी को 12307 वोट से हरा दिया था।
1969 में कांग्रेस की वापसी
1969 में इस सीट पर एक बार फिर से कांग्रेस को विजय मिली थी। कांग्रेस के राम सेवक प्रसाद जायसवाल ने तत्कालीन विधायक और जन संघ के उम्मीदवार चंद्रिका प्रसाद यादव को 4315 वोट से हरा दिया था।
प्रभावती गुप्ता की जीत का सिलसिला शुरू
1972 में इस सीट पर कांग्रेस के प्रभावती गुप्ता को पहली बार जीत मिली थी। इसके बाद उन्हें लगातार तीन बार सीट पर जीत मिली। कांग्रेस की प्रभावती गुप्ता ने 1972 में जनसंघ के चंद्रिका प्रसाद यादव को 6791 वोट से हरा दिया था।
1977 में इस सीट पर कांग्रेस के प्रभावती गुप्ता को एक बार फिर से जीत मिली थी। उन्होंने इस बार जनता पार्टी के रघुनाथ गुप्ता को 15453 वोट से हरा दिया था।
1980 में कांग्रेस के प्रभावती गुप्ता ने तीसरी बार जीत दर्ज करके हैट्रिक लगाई। इस चुनाव में उन्होंने भाकपा के त्रिवेणी तिवारी को 1533 वोट से हरा दिया था। 1984 में प्रभावती गुप्ता कांग्रेस के टिकट पर मोतिहारी सीट से लोकसभा पहुंचीं। इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस की प्रभुत्व खत्म हो गया।
1985: भाकपा ने किया सीट पर कब्जा
1980 के चुनाव में हारे भाकपा के त्रिवेणी तिवारी को 1985 के चुनाव में जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद को 19,697 वोट से हरा दिया था। 1990 और 1995 में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी।
1990 में भाकपा के त्रिवेणी तिवारी ने भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद को 1085 वोट से हरा दिया था। 1995 में त्रिवेणी तिवारी ने भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद को 19186 वोट से हरा दिया था।
2000 में राजद को पहली जीत
2000 के चुनाव में यहां राजद की रमा देवी ने भाजपा के प्रमोद कुमार को 34567 वोट से हरा दिया था। हालांकि इस सीट पर यह राजद की पहली जीत तो थी लेकिन यह जीत केवल पहली बन कर रह गई। क्योंकि इसके बाद राजद सीट पर अब तक नहीं जीत पाई है।
2005: प्रमोद कुमार की बादशाहत की शुरुआत
2005 के चुनाव में पहली बार मोतिहारी सीट पर प्रमोद कुमार को जीत मिली। इसके बाद वह यहां से एक बार भी चुनाव नहीं हारे। 2005 में बिहार में दो बार चुनाव हुए थे। दोनों ही चुनावों में भाजपा के प्रमोद कुमार को ही जीत मिली।
2005 फरवरी में हुए चुनाव में भाजपा के प्रमोद कुमार ने राजद की रमा देवी को 13,337 वोट से हरा दिया था। 2005 अक्तूबर में हुए चुनाव में भाजपा के प्रमोद कुमार ने राजद की रमा देवी को 20,703 वोट से हरा दिया था।
इसके बाद 2010, 2015 और 2020 में भी लगातार प्रमोद कुमार ने जीत दर्ज की। उन्होंने क्रमश: राजद के राजेश गुप्ता उर्फ बबलू गुप्ता को 24530 वोट, राजद के बिनोद कुमार श्रीवास्तव को 18517 और राजद के ओम प्रकाश चौधरी को 14645 वोट से हरा दिया था। इस दौरान उन्होंने बिहार सरकार में पर्यटन, कला,गन्ना, कानून जैसे मंत्रालयों को संभाला है।