
बिहार विधानसभा चुनाव: तेजस्वी और सहनी के साथ महागठबंधन की रणनीति
महागठबंधन ने पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री और अत्यंत पिछड़ी जाति के उप मुख्यमंत्री उम्मीदवार को पेश करके राज्य की 63 प्रतिशत जाति-संवेदनशील मतदाता आबादी के प्रति एक मजबूत संदेश भेजा है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुखेश सहनी को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार बनाया गया है। इस ऐलान के साथ महागठबंधन ने पिछले दो सप्ताह की सीट-बंटवारे की जटिलताओं को पीछे छोड़ने की कोशिश की है।
समानता और जातीय संदेश
महागठबंधन ने पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री और अत्यंत पिछड़ी जाति के उप मुख्यमंत्री उम्मीदवार को पेश करके राज्य की 63 प्रतिशत जाति-संवेदनशील मतदाता आबादी के प्रति एक मजबूत संदेश भेजा है। गठबंधन ने यह भी संकेत दिया कि अगर सत्ता में आता है तो केवल एक डिप्टी सीएम ही नहीं होगा, जिससे अन्य जातियों और धार्मिक समूहों में भी ‘अपने प्रतिनिधि’ के उच्च पद पर आने की उम्मीद बनी रहे।
NDA को चुनौती
महागठबंधन के इस निर्णय ने सीधे एनडीए को चुनौती दी है, खासकर भाजपा को, कि वह स्पष्ट रूप से जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में पेश करे, न कि केवल यह कहे कि चुनाव उनकी अगुवाई में लड़ा जा रहा है।
नेतृत्व और उद्देश्य में स्पष्टता
महागठबंधन का मानना है कि पटना में गुरुवार (23 अक्टूबर) को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में किए गए ऐलान बिहार चुनावों में मोड़ साबित हो सकते हैं। इससे गठबंधन में पिछले असंतोष और अव्यवस्था के सार्वजनिक नजारे के विपरीत एक स्पष्ट नेतृत्व और उद्देश्य की तस्वीर सामने आई।
लालू-राबड़ी युग की छाया
तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री के रूप में सामने आने से यह स्पष्ट हो गया कि महागठबंधन की सरकार का नेतृत्व कौन करेगा। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या यह पिछड़ी जाति के वोटों को एकजुट करेगा या यादव और गैर-यादव OBC में विभाजित करेगा। लालू यादव और राबड़ी देवी के शासन के 15 वर्षों के दौरान यादव वर्चस्व के कारण एनडीए ने ‘जंगल राज’ का नारा बनाया था, जो आज भी राजनीतिक स्मृति में जीवित है।
सहनी को डिप्टी सीएम बनाना जोखिम
मुखेश सहनी को डिप्टी सीएम के रूप में पेश करना महागठबंधन के लिए एक बड़ा राजनीतिक दांव है। सहनी के अनुसार, इससे बिहार की 9.6 प्रतिशत अत्यंत पिछड़ी निशाद जाति के मतदाता महागठबंधन के प्रति आकर्षित होंगे। हालांकि, RJD और कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि सहनी को डिप्टी सीएम बनाना चुनावी लाभ से अधिक “छवि और संदेश” के लिए किया गया है।
सहनी का चुनावी रिकॉर्ड
पूर्व बॉलीवुड सेट डिज़ाइनर सहनी ने दस साल पहले राजनीति में कदम रखा। उन्होंने VIP पार्टी की स्थापना 2018 में की और विभिन्न चुनावों में भाग लिया, लेकिन उन्हें अभी तक बड़ी जीत नहीं मिली। बावजूद इसके, महागठबंधन ने उन्हें डिप्टी सीएम उम्मीदवार के रूप में कायम रखा, ताकि EBC (अत्यंत पिछड़ी जाति) मतदाताओं को ध्यान में रखा जा सके।
एक से अधिक डिप्टी सीएम की संभावना
गठबंधन यह भी स्पष्ट कर चुका है कि अगर सत्ता में आता है तो डिप्टी सीएम के रूप में दलित और मुस्लिम समुदायों का भी प्रतिनिधित्व होगा। हालांकि, इसका सार्वजनिक ऐलान फिलहाल नहीं किया गया।
तेजस्वी को दी चेतावनी
महागठबंधन के कुछ नेता तेजस्वी को यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य पर बार-बार टिप्पणियां करना उचित नहीं है। 20 वर्षों में नीतीश ने EBC और OBC वर्ग में मजबूत समर्थन आधार बनाया है, जिसे नजरअंदाज करना महागठबंधन के लिए हानिकारक हो सकता है।

