1957 से अब तक का सियासी सफर, मधुबन विधानसभा सीट का इतिहास
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1957 से अब तक का सियासी सफर, मधुबन विधानसभा सीट का इतिहास

Madhuban seat elections 2025: मधुबन सीट पर हर बार सियासी माहौल में बदलाव आता रहा है. कभी कांग्रेस का गढ़ रही ये सीट अब भाजपा की मजबूत पकड़ में नजर आ रही है. लेकिन इस बार चुनावी मुकाबला कितना रोचक होगा, यह आने वाले हफ्तों में तय होगा.


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Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी ज़ोरों पर है. चुनाव की तारीखों का एलान कभी भी हो सकता है और सियासी दलों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो चुकी है. ऐसे में ‘सीट का समीकरण’ सीरीज में आज बात करेंगे पूर्वी चंपारण जिले की मधुबन विधानसभा सीट की, जहां पिछले दो बार से भाजपा के राणा रणधीर सिंह जीत हासिल कर रहे हैं. मधुबन सीट पूर्वी चंपारण जिले में आती है, जहां कुल 12 विधानसभा सीटें हैं. मधुबन विधानसभा सीट शिवहर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इस लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें आती हैं— जिनमें तीन पूर्वी चंपारण, एक शिवहर और दो सीतामढ़ी जिले से हैं। मधुबन सीट पर पहली बार चुनाव 1957 में हुआ था.

मधुबन सीट का सियासी सफर

1957: पहला चुनाव, कांग्रेस की हार

पहला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार रूपलाल राय ने जीता, उन्होंने कांग्रेस के बृज बिहारी शर्मा को 7,871 वोटों से हराया.

1962: कांग्रेस की वापसी

मंगल प्रसाद यादव ने रूपलाल राय को 1,723 वोटों से हराकर कांग्रेस को जीत दिलाई.

1967 से 1972: भाकपा (CPI) का दबदबा

महेंद्र भारती और बाद में राजपति देवी ने इस सीट पर लगातार जीत हासिल की. महेंद्र भारती ने दो बार और राजपति देवी ने एक बार जीत दर्ज की.

1977: रूपलाल राय की वापसी

इस बार उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जनता पार्टी के महेंद्र राय को 3,825 वोटों से हराया.

1980: कांग्रेस (इंदिरा) की जीत

वृज किशोर सिंह ने महेंद्र राय को 28,492 वोटों से हराया.

सीताराम सिंह का दबदबा: 1985 से 2000 तक

सीताराम सिंह ने मधुबन में 1985, 1990, 1995 और 2000 में चार बार जीत दर्ज की. उन्होंने जनता पार्टी, जनता दल और फिर राजद (RJD) से चुनाव लड़ा और हर बार अलग-अलग उम्मीदवारों को हराया.

2005: सीताराम के बेटे की एंट्री

2005 के पहले चुनाव में राजद से राणा रणधीर सिंह ने जीत दर्ज की. लेकिन उसी साल हुए दूसरे चुनाव में जदयू के शिवाजी राय ने राणा रणधीर को हरा दिया.

2010 में फिर जीत

शिवाजी राय ने एक बार फिर राणा रणधीर को हराया.

2015: राणा रणधीर की भाजपा से वापसी

इस बार राणा रणधीर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और शिवाजी राय को 16,222 वोटों से हराया. वह 2017 से 2020 तक बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री भी रहे.

2020: लगातार दूसरी बार भाजपा की जीत

राणा रणधीर सिंह ने राजद के मदन प्रसाद को 5,878 वोटों से हराकर सीट बचाई.

क्या कहता है सीट का समीकरण?

मधुबन सीट पर भाकपा, कांग्रेस, राजद और अब भाजपा का राज रहा है. पिछले दो चुनावों में भाजपा मजबूत स्थिति में रही है. लेकिन सीट पर स्थानीय समीकरण, उम्मीदवार की छवि और दल-बदल का असर हमेशा देखने को मिला है.

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