बिहार चुनाव: महिलाओं को सीधे नकद ट्रांसफर नीति ने NDA की जीत में निभाई अहम भूमिका
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बिहार चुनाव: महिलाओं को सीधे नकद ट्रांसफर नीति ने NDA की जीत में निभाई अहम भूमिका

SBI रिसर्च ने दिसंबर 2023 में एक अध्ययन प्रकाशित किया, जिसमें पाया गया कि “लाडली बहना” योजना ने महिला मतदान प्रतिशत बढ़ाया और सत्तारूढ़ पार्टी को बहुमत दिलाने में मदद की।


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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की प्रचंड जीत में महिलाओं को चुनावी समय पर दिए गए 10,000 रुपये के सीधे नकद हस्तांतरण और अन्य कई प्रोत्साहनों ने अहम भूमिका निभाई। चुनावी नतीजों के अनुसार, एनडीए ने 243 सदस्यीय विधानसभा में 200 सीटों के पार जाने का अनुमान है।

महिलाओं को नकद देना बना जीत का प्रमुख कारक

चुनावी विशेषज्ञ संजय कुमार ने बताया कि पिछले अनुभवों से पता चला है कि जब चुनाव के समय कल्याण योजनाएं वितरित की जाती हैं तो लाभार्थी आमतौर पर सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में मतदान करते हैं। हालांकि यह हर बार नहीं होता, लेकिन इस बार ऐसा देखने को मिला। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को नकद और अन्य प्रोत्साहनों के संयुक्त प्रभाव ने जीत के अंतर को अप्रत्याशित रूप से बड़ा बना दिया।

प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण की राजनीतिक भूमिका

कुमार के अनुसार, प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण भारतीय राजनीति में नया प्रयोग है। इसका असर निश्चित रूप से पड़ा, लेकिन इसे मापना मुश्किल है। इसके अलावा, उन्होंने एनडीए की जीत में अन्य कारण भी गिनाए – जैसे कि जातीय समीकरणों में व्यापक पकड़ और विपक्षी गठबंधन राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर आधारित “जंगल राज” वाली राजनीतिक रणनीति।

नकद हस्तांतरण का इतिहास

महिलाओं को चुनावी समय पर नकद देने का प्रयोग पहली बार 2020 में असम सरकार ने किया था और यह सफल रहा। इसके बाद पश्चिम बंगाल (2021), मध्य प्रदेश (2023), महाराष्ट्र और झारखंड (2024) में भी इसका प्रयोग किया गया। हालांकि, पंजाब (2022) और तेलंगाना (2023) में यह योजना सत्तारूढ़ पार्टी की जीत के लिए पर्याप्त साबित नहीं हुई।

SBI की स्टडी में पुष्टि

SBI रिसर्च ने दिसंबर 2023 में एक अध्ययन प्रकाशित किया, जिसमें पाया गया कि “लाडली बहना” योजना ने महिला मतदान प्रतिशत बढ़ाया और सत्तारूढ़ पार्टी को बहुमत दिलाने में मदद की। 2018 के 74% से 2023 में महिला वोटिंग प्रतिशत बढ़कर 76% हो गया। अध्ययन में बताया गया कि कम से कम 8 जिलों में 30-35 सीटों पर इसका प्रत्यक्ष असर पड़ा।

बिहार में महिलाओं ने किया एनडीए का समर्थन

Axis My India की एग्ज़िट पोल के अनुसार, 42,031 महिलाओं के सर्वे में 45% महिलाओं ने एनडीए के लिए मतदान किया, जबकि महागठबंधन को 40% समर्थन मिला। बिहार में महिलाओं का एनडीए के पक्ष में वोट देना कोई नई बात नहीं है। यह प्रवृत्ति 2010 से चली आ रही है, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छात्राओं के लिए साइकिल योजना और पंचायतों में महिला आरक्षण लागू किया था।

चुनाव से पहले अन्य प्रोत्साहन

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (MMRY) के तहत 15 मिलियन महिलाओं को 10,000 रुपये दिए। इसके अलावा कई अन्य योजनाओं का लाभ भी मिला:-

* वृद्ध, विकलांग और विधवाओं की पेंशन 400 से बढ़ाकर 1,100 रुपये प्रति माह।

* सभी घरों को 125 यूनिट मुफ्त बिजली।

* आंगनवाड़ी कर्मियों और सहायकों का मानदेय बढ़ाकर 9,000 रुपये।

* पंचायत प्रतिनिधियों का मासिक भत्ता 1.5 गुना बढ़ाया।

* जीविका, आशा और मातृकर्मियों का मानदेय दोगुना या तीन गुना।

गरीब बिहारियों पर प्रोत्साहनों का असर

बिहार में गरीबी सबसे अधिक है – NITI आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार 33.76% लोग बहुआयामी गरीबी में हैं। औसत मासिक खर्च ग्रामीण क्षेत्रों में 3,788 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 5,165 रुपये है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है। ऐसे में 15 मिलियन परिवारों को दिए गए 10,000 रुपये उनके लिए बड़े लाभ से कम नहीं थे।

महिलाएं बढ़ी चुनावी जीत में, लेकिन टिकट में कम प्रतिनिधित्व

महिलाओं ने एनडीए की जीत में अहम भूमिका निभाई, लेकिन उन्हें पार्टी ने टिकट वितरण में बहुत कम प्राथमिकता दी। BJP और JD(U) ने प्रत्येक 13% टिकट महिलाओं को दिए। महागठबंधन की RJD ने 16.8% टिकट महिलाओं को दिए। अंतिम परिणाम तब साफ होंगे जब चुनाव आयोग विजेताओं की सूची जारी करेगा।

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