बिहार के चनपटिया सीट की कहानी, 1957 से 2020 तक का चुनावी इतिहास
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बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में विधानसभा की कुल 9 सीटें हैं। चनपटिया उनमें से एक है।

बिहार के चनपटिया सीट की कहानी, 1957 से 2020 तक का चुनावी इतिहास

बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले की चनपटिया विधानसभा सीट लंबे समय से भाजपा का गढ़ रही है। 1957 से अब तक इस सीट पर कांग्रेस, जनता दल और माकपा का भी प्रभाव रहा।


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Chanpatia Assembly Seat: बिहार की राजनीति में हर विधानसभा की अपनी खासियत और महत्व है। इस वर्ष के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके मद्देनज़र हर सीट पर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। बिहार चुनाव से जुड़ी सीरीज 'सीट का मिजाज' में आज हम आपको चनपटिया विधानसभा सीट के बारे में बता रहे हैं, जो लंबे समय से भाजपा का गढ़ रही है।

चनपटिया सीट का इतिहास

पश्चिमी चंपारण जिला बिहार के 38 जिलों में से एक है। जिले में कुल नौ विधानसभा सीटें हैं। चनपटिया विधानसभा क्षेत्र, पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। 2008 के परिसीमन से पहले इसे बेतिया लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था।

पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें आती हैं: नौतन, चनपटिया, बेतिया, रक्सौल, सुगौली और नरकटिया। इस सीट पर लंबे समय से भाजपा का दबदबा रहा है। पहली बार इस सीट पर 1957 में चुनाव हुए थे।

शुरुआती दौर: कांग्रेस की जीत

1957 में पहली बार चनपटिया सीट पर चुनाव हुआ। तब कांग्रेस की केतकी देवी ने छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी के सत्यनारायण प्रसाद को 10,831 वोट से हराया।

1962: कांग्रेस के प्रमोद कुमार मिश्रा ने निर्दलीय उम्मीदवार पवन कुमार मिश्रा को 8,981 वोट से हराया।

1967: प्रमोद कुमार मिश्रा ने संसोपा के वीर सिंह को 1,709 वोट से हराकर जीत दर्ज की।

1969 से 1985: वीर सिंह और माकपा की बढ़त

1969: संसोपा के वीर सिंह ने जनसंघ के दिनेश प्रसाद को 3,383 वोट से हराया।

1972: कांग्रेस के उमेश प्रसाद वर्मा ने सोशलिस्ट पार्टी के वीर सिंह को 5,179 वोट से हराकर वापसी की।

1977: जनता पार्टी से वीर सिंह ने माकपा के बीरबल शर्मा को 921 वोट से हराया।

1980 एवं 1985: माकपा के बीरबल शर्मा ने लगातार दो बार कांग्रेस के प्रभात किशोर द्विवेदी को हराया।

1990 से 2000: जनता दल और भाजपा की जीत

1990: जनता दल के कृष्णा कुमार मिश्रा ने बीरबल शर्मा को 3,063 वोट से हराया।

1995: बीरबल शर्मा (माकपा) ने कांग्रेस के भरत राय को 16,039 वोट से हराकर वापसी की।

2000: भाजपा के कृष्ण कुमार मिश्रा ने पहली बार जीत दर्ज की और भाजपा का दबदबा शुरू हुआ।

2005 से 2020: भाजपा का निरंतर दबदबा

2005 (फरवरी): भाजपा के सतीश चंद्र दुबे ने समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के शर्फुद्दीन शेख को 16,216 वोट से हराया।

2005 (अक्तूबर): सतीश चंद्र दुबे ने कांग्रेस के विश्व मोहन शर्मा को 20,874 वोट से हराया।

2010: भाजपा के चंद्र मोहन राय ने बसपा के एजाज हुसैन को 23,412 वोट से हराया।

2015: भाजपा के प्रकाश राय ने जदयू के एन. एन. साही को 464 वोट से हराया।

2020: भाजपा के उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13,469 वोट से हराया।

चनपटिया विधानसभा सीट ने वर्षों में कई दलों का अनुभव देखा है, लेकिन बीते दो दशकों में भाजपा का दबदबा लगातार बना हुआ है। आगामी चुनाव में इस सीट की रणनीति और उम्मीदवार चयन ही तय करेगा कि क्या भाजपा अपना गढ़ बनाए रख पाएगी या विपक्ष के लिए वापसी संभव होगी।

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