
बिहार में सीट का समीकरण : 16वें मुख्यमंत्री की सीट रही झाझा, पिछले 5 चुनाव से JDU का गढ़
बिहार में साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। द फेडरल देश की इस स्पेशल सीरीज में आज बात झाझा सीट की, जिस सीट से जदयू के दामोदर रावत विधायक हैं। उन्होंने पिछले छह चुनाव में से पांच चुनाव में जीत दर्ज की है।
बिहार के 38 जिलों में से एक जिला जमुई भी है। जमुई जिला एक अनुमंडल और 10 ब्लॉक में बंटा है। जिले में चार विधानसभा सीटें हैं। इनमें सिकंदरा (एससी), जमुई, झाझा, चकाई शामिल हैं। आज सीट का समीकरण में झाझा सीट की बात करेंगे। यह सीट 1952 में अस्तित्व में आई।
1952: पहले दो चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत
1952 में झाझा सीट से कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह को 5,628 वोट से जीत मिली। इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के बीरेंद्र प्रसाद सिंह दूसरे नंबर पर रहे। चंद्रशेखर सिंह को 9,405 वोट मिले। वहीं, बीरेंद्र प्रसाद को 3,777 वोट मिले।
1957 चुनाव में झाझा विधानसभा सीट से दो विधायक चुने गए। एक अनुसूचित जनजाति (एसटी) से और दूसरे समान्य वर्ग से। जीतने वाले दोनों विधायक कांग्रेस के थे। जो दो चेहरे विधानसभा पहुंचे उनमें चंद्रशेखर सिंह और भगवत मुर्मू शामिल थे। चंद्रशेखर सिंह बाद में बिहार के मुख्यमंत्री बने।
1962: चंद्रशेखर सिंह को मिली हार
दो बार के विधायक रहे कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह को 1962 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के श्री कृष्ण सिंह को 4,784 वोट से जीत मिली। श्री कृष्ण को कुल 15,676 वोट मिले। वहीं, चंद्रशेखर सिंह को 10,892 वोट मिले।
1967: शिवनंदन झा को मिली जीत
1967 के चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के शिवनंदन झा को 716 वोट से जीत मिली। इस चुनाव में कांग्रेस के कुदुस दूसरे नंबर पर रहे। शिवनंदन को कुल 17,868 वोट मिले। वहीं, कुदुस को 17,152 वोट मिले।
1969: चंद्रशेखर सिंह की वापसी
1969 विधानसभा चुनाव में झाझा से एक बार फिर चंद्रशेखर सिंह कांग्रेस उम्मीदवार बने। इस चुनाव में उन्होंने तत्कालीन विधायक शिवनंदन झा को 9,490 वोट से हराया। चंद्रशेखर सिंह को 24,162 वोट मिले। वहीं, शिवनंदन को 14,672 वोट मिले।
1972: शिवानंदन झा को मिली जीत
1972 के चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के शिवनंदन ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस (ओ) के नीरजन कुमार सिंह को 9,417 वोट से मात दी। शिवनंदन को कुल 23,449 वोट मिले। वहीं, नीरजन कुमार को 14,032 वोट मिले।
1977 में शिवनंदन झा ने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस के शिव प्रसाद यादव को 24,390 वोट से शिकस्त दी। शिवनंदन झा को कुल 32,057 वोट मिले। वहीं, शिव प्रसाद यादव को मात्र 7,667 वोट से संतोष करना पड़ा।
1980: शिवानंदन यादव को मिली जीत
1980 के चुनाव में झाझा सीट से कांग्रेस के शिवनंदन प्रसाद यादव को जीत मिली। उन्होंने जनता पार्टी के उम्मीदवार और दो बार के विधायक शिवनंदन झा को 7,712 वोट से हराया। शिवनंदन प्रसाद को कुल 20,413 वोट मिले थे।
1985 के चुनाव में कांग्रेस के शिवनंदन प्रसाद ने दूसरी बार जीत हासिल की। इस चुनाव में भी उन्होंने जनता पार्टी के शिवनंदन झा को 19,892 वोट से हराया।
1986 में शिवनंदन प्रसाद यादव के निधन के कारण झाझा सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा। इस चुनाव में शिवनंदन प्रसाद के बेटे रविंद्र यादव ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उन्हें कुल 39,561 वोट मिले थे।
1990: जनता दल को मिली पहली जीत
1990 के चुनाव में झाझा सीट से जनता दल के शिवनंदन झा ने कांग्रेस के रविंद्र यादव को 10,421 वोट से हराया। इस चुनाव में शिवनंदन झा को कुल 40,907 वोट मिले। वहीं, रविंद्र यादव को 30,486 वोट मिले।
1990: रविंद्र यादव को मिली जीत
पिछले चुनाव का बदला लेते हुए 1990 के चुनाव में कांग्रेस के रविंद्र यादव ने 7,969 वोट जीत हासिल की। रविंद्र कुमार को कुल 31,841 वोट मिले। वहीं, शिवनंदन झा को 23,872 वोट मिले।
2000: समता पार्टी को मिली पहली जीत
2000 के चुनाव में समता पार्टी के दामोदर रावत को 1,645 वोट से जीत मिली। वहीं राजद के रविंद्र यादव दूसरे नंबर पर रहे। दामोदर रावत को 27,480 और रविंद्र यादव को 25,835 वोट मिले। इसके बाद दामोदर रावत जदयू के टिकट पर फरवरी 2005, अक्तूबर 2005 और 2010 के चुनाव में भी जीत हासिल करने में सफल रहे।
फरवरी 2005 में दामोदर ने राजद के रशीद अहमद को 4,930 वोट से हराया। दामोदर को कुल 26,184 वोट मिले। वहीं, रशीद को 21,254 वोट से संतोष करना पड़ा।
अक्तूबर 2005 में दामोदर रावत ने 12,344 वोट से जीत हासिल की। इस चुनाव में दामोदर को 37,789 वोट मिले। वहीं, रशीद को 25,445 वोट मिले थे।
2010 के चुनाव में दामोदर रावत ने राजद के बिनोद प्रसाद यादव को 10,204 वोट से मात दी।
2015:भाजपा को मिली पहली जीत
2015 के विधानसभा चुनाव में झाझा सीट से भाजपा को पहली जीत मिली। इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर उतरे रविंद्र यादव ने चार बार के विधायक दामोदर रावत को 22,086 वोट से हराया। रविंद्र यादव को कुल 65,537 वोट मिले। वहीं, दामोदर रावत को 43,451 वोट मिले।
2020: दामोदर रावत की वापसी
पिछले चुनाव में हार का सामना करने वाले जदयू के दामोदर रावत को 2020 के विधानसभा चुनाव में 1,679 वोट से जीत मिली। इस चुनाव में राजद के राजेंद्र प्रसाद दूसरे नंबर पर रहे। दामोदर रावत को 76,972 वोट मिले। वहीं, राजेंद्र प्रसाद को 75,293 वोट मिले। दामोदर रावत भवन निर्माण मंत्री और समाज कल्याण मंत्री भी रहे चुके हैं।