
बिहार में NDA की जीत से उत्साहित BJP, अब SIR के दम पर बंगाल में क्लीन स्वीप की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि SIR से मतदाता सूची में नाम हटना TMC के लिए स्वचालित नुकसान नहीं बनेगा, क्योंकि राज्य में संगठनात्मक पकड़ सबसे मजबूत TMC की ही है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बड़ी बढ़त ने पश्चिम बंगाल में चुनावी माहौल गरमा दिया है। यह चुनाव नतीजे उस विवादित स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया की भी परीक्षा माने जा रहे थे, जिसे बिहार में चुनावों से पहले लागू किया गया था। अब भाजपा इन्हीं नतीजों के आधार पर बंगाल में “फर्जी वोटरों” के खिलाफ अपनी मुहिम तेज कर रही है, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
BJP का दावा
भाजपा का आरोप है कि देशभर में विपक्ष SIR Exercise का विरोध इसलिए करता है, ताकि मतदाता सूची से “अवैध मतदाताओं” के नाम हटाए न जा सकें। भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर यह प्रक्रिया बंगाल में पूरी की गई तो राज्य की राजनीति “बदल” जाएगी। बिहार में शुक्रवार (14 नवंबर) से शुरू हुई मतगणना में NDA की जीत के संकेत मिलते ही बंगाल और दिल्ली के भाजपा नेताओं ने इस दावे को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया।
क्लीनअप होगा तो क्लीन स्वीप होगा– सुवेंदु अधिकारी
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बिहार SIR के बाद चुनाव में गया और नतीजे सामने हैं। अब बंगाल की बारी है। जब फर्जी मतदाता हटेंगे, BJP बंगाल में भी प्रचंड जीत हासिल करेगी। अधिकारी कोलकाता विधानसभा के बाहर लड्डू बांटते दिखाई दिए, जैसे ही बिहार में NDA की विशाल बढ़त की खबर सामने आई। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी कहा कि बिहार के बाद अब बंगाल की बारी है। वहां भी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को हटाना जरूरी है।
बंगाल BJP में जश्न
कोलकाता स्थित भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ता ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाते दिखे। भाजपा कार्यकर्ता नारायण चट्टोपाध्याय ने कहा कि बिहार नतीजे बंगाल में असर डालेंगे। SIR यहाँ भी बड़ा मुद्दा है। यह साफ मतदाता सूची की जीत है।
पूर्व सांसद लॉकेट चटर्जी ने दावा किया कि 2021 के बंगाल चुनाव में कई सीटों पर जीत का अंतर कुछ हजार वोटों का था, और “फर्जी” वोटर हटने के बाद TMC को बड़ा नुकसान होगा।
BJP का दावा
भाजपा का दावा है कि SIR Exercise से बंगाल की मतदाता सूची से करीब 1 करोड़ फर्जी नाम हटेंगे, जो राज्य के कुल 7 करोड़ से अधिक मतदाताओं का लगभग 13% है। साल 2021 में TMC को भाजपा पर लगभग 10% का वोट अंतर मिला था, जो 2024 लोकसभा चुनाव में घटकर 7% रह गया। सुवेंदु अधिकारी का दावा है कि अगर भाजपा 5% और हिंदू वोट जोड़ ले तो राज्य में सत्ता बदल सकती है। राज्य की 294 सीटों में से 36 सीटों पर 2021 में जीत का अंतर 5,000 से कम था और 33 सीटों पर 5,000–10,000 के बीच—इनमें से ज्यादातर TMC ने जीती थीं।
TMC का पलटवार
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भाजपा के दावों को “काल्पनिक” बताया और X पर एक मीम साझा किया, जिसमें एक बच्चा कह रहा है कि “सपना देखना अच्छी बात है।” TMC प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि बिहार नतीजों का पश्चिम बंगाल की राजनीति से कोई संबंध नहीं है और 2026 में ममता बनर्जी की सरकार पहले से बड़ी जीत के साथ सत्ता में लौटेगी। इसके अलावा पार्टी ने गिरिराज सिंह के “रोहिंग्या–बांग्लादेशी” बयान को बंगालियों का अपमान बताया। TMC की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने कहा कि मोदी जी के मंत्री गिरिराज सिंह को बंगालियों को ‘बांग्लादेशी’ और ‘रोहिंग्या’ कहने की हिम्मत कैसे हुई? यह करोड़ों बंगालियों का अपमान है।
TMC को संगठनात्मक बढ़त?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि SIR से मतदाता सूची में नाम हटना TMC के लिए स्वचालित नुकसान नहीं बनेगा, क्योंकि राज्य में संगठनात्मक पकड़ सबसे मजबूत TMC की ही है। राजनीतिक विश्लेषक देबाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि बिहार में SIR से उतनी सामाजिक उथल-पुथल नहीं हुई, लेकिन बंगाल में इससे भय, आत्महत्या, विरोध और भूख हड़तालें हुईं। इसलिए यहां इसका असर अलग होगा।

