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एयर इंडिया को भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने और अपने प्रतिस्पर्धियों की बराबरी करने के लिए अपने बेड़े में नए विमानों की सख्त जरूरत है। (फाइल फोटो)

भारत को टैरिफ वॉर का पहला फायदा? चीन के ठुकराए गए बोइंग विमानों पर नजर

फिलहाल, एयर इंडिया की दिलचस्पी पहले से तैयार बोइंग 737 मैक्स विमानों में है, जो कि इसकी बजट शाखा एयर इंडिया एक्सप्रेस के लिए हैं।


एयर इंडिया अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार तनाव का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गयाी है कि एयर इंडिया उन विमानों को खरीदना चाहती है जिन्हें बोइंग ने चीनी एयरलाइनों के लिए तैयार किया था, लेकिन अब उन्हें चीन ने अस्वीकार कर दिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय घरेलू विमानन बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए एयर इंडिया को बेहद जरूरत है कि वह अपने बेड़े में नए विमान शामिल करे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एयर इंडिया अब बोइंग से संपर्क करने की योजना बना रही है ताकि वे उन जेट विमानों को हासिल कर सके जो मूल रूप से चीनी एयरलाइनों के लिए तैयार किए जा रहे थे, लेकिन अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ युद्ध के चलते डिलीवरी नहीं हो सकी। एयरलाइन भविष्य की डिलीवरी के स्लॉट भी लेने के लिए इच्छुक है, अगर वे उपलब्ध हो जाएं।

रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सरकार ने अपनी एयरलाइनों को निर्देश दिया था कि वे बोइंग से विमान स्वीकार न करें। उस समय लगभग 10 विमान डिलीवरी के लिए तैयार किए जा रहे थे, और कुछ 737 मैक्स जेट्स को अब अमेरिका वापस भेज दिया गया है।

पहले भी हुआ है चीन की वापसी का फायदा

यह पहली बार नहीं है जब एयर इंडिया चीन की वापसी (पुलआउट) से लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। मार्च तक, एयर इंडिया ने 41 बोइंग 737 मैक्स विमान लिए थे जो कि मूल रूप से चीनी एयरलाइनों के लिए बनाए गए थे, लेकिन 2019 में इस मॉडल के ग्राउंड होने के कारण कभी डिलीवर नहीं किए गए।

फिलहाल एयर इंडिया की योजना है कि वह पहले से निर्मित 737 मैक्स विमानों को एयर इंडिया एक्सप्रेस के लिए ले, जो कि इंडिगो का सीधा मुकाबला करने वाली एयरलाइन है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, एयर इंडिया को जून तक 9 और 737 मैक्स विमान मिलने वाले हैं, जिससे कुल संख्या 50 हो जाएगी।

पहले यह लग रहा था कि उपलब्ध विमानों की आपूर्ति जल्दी ही खत्म हो जाएगी, लेकिन अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण अब ऐसा नहीं लग रहा।

बोइंग विमानों की खरीद में चुनौतियाँ

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, एयर इंडिया ने योजना बनाई है कि अप्रैल 2026 तक इन प्राप्त विमानों से बिजनेस क्लास सीटिंग हटाकर पूरी तरह इकोनॉमी क्लास बना दी जाए, लेकिन सप्लाई चेन की समस्याओं के कारण इसमें अड़चन आ रही है।

एयर इंडिया ने 2023 में बोइंग से 140 नैरोबॉडी विमान ऑर्डर किए थे, जिनकी डिलीवरी मार्च 2026 के बाद ही शुरू होगी। ऐसे में यह और भी जरूरी हो जाता है कि एयर इंडिया इस समय उपलब्ध किसी भी नए विमान को सुरक्षित कर ले, ताकि इंडिगो से पीछे न रह जाए।

हालांकि, बोइंग द्वारा चीन के लिए बनाए जा रहे विमान किसी और ग्राहक को देना आसान नहीं होगा। इसका एक कारण यह है कि मूल ग्राहक (चीनी एयरलाइन) पहले से उन विमानों की केबिन कॉन्फिगरेशन तय कर चुके हो सकते हैं और कुछ भुगतान भी हो चुका हो सकता है। इसके अलावा, बोइंग उन विमानों को जो पहले से चीनी एयरलाइनों के अनुबंध में हैं, किसी और को नहीं बेच सकता।

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