हिंडनबर्ग रिसर्च पर लगने जा रहा ताला! ट्रंप के सत्ता में आने से दबाव में थे एंडरसन?
Hindenburg Research: एंडरसन की यह एलान ऐसे समय में किया है, जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नये राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं.
Hindenburg research shuts down: अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg) पर ताला लगने जा रहा है. फर्म के फाउंडर नेथन एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg) के बंद होने का एलान किया है. यह कंपनी भारत में अडानी ग्रुप (Adani) के खिलाफ सनसनीखेज आरोप लगाकर चर्चा में आई थी. इस फर्म की शुरुआत साल 2017 में हुई थी और इसने दावा किया था कि यह बड़ी कंपनियों की वित्तीय धांधली का पर्दाफाश करती है. कंपनी के बंद होने को लेकर नेथन एंडरसन का कहना है कि हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg) को बंद करने का फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है. हालांकि, उन्होंने इसका कोई सटीक कारण नहीं बताया. एंडरसन ने बस इतना कहा कि 'कोई खास बात नहीं है, कोई खास खतरा नहीं, कोई हेल्थ प्रॉब्मल नहीं और न ही कोई बड़ा पर्सनल मुद्दा है.
हालांकि, एंडरसन की यह एलान ऐसे समय में किया है, जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नये राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं और हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी के सदस्य व रिपब्लिकन सांसद लांस गुडेन ने अमेरिकी न्याय विभाग से अडानी मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का अनुरोध किया है. बता दें कि एक हफ़्ते पहले गुडेन ने न्याय विभाग के "चुनिंदा अभियोजन" पर जवाब मांगा और पूछा कि क्या इसका जॉर्ज सोरोस से कोई संबंध है?
बता दें कि यह पूरा मामला पिछले साल जून में भारत के बाजार नियामक सेबी द्वारा शॉर्ट-सेलर को कारण बताओ नोटिस के साथ शुरू हुआ था. हालांकि, हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg) ने सेबी के नोटिस को पूरी तरह से बकवास बताया और कहा कि यह नोटिस भारत में सबसे शक्तिशाली लोगों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने का प्रयास है. सेबी ने यह नोटिस शोध फर्म के अलावा नाथन एंडरसन, मार्क ई किंगडन, किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट, किंगडन ऑफशोर मास्टर फंड और के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड (KIOF) क्लास एफ को भी दिया था.
सेबी ने हिंडनबर्ग (Hindenburg) पर आरोप लगाया था कि उसने रिसर्च के नाम पर नियमों का उल्लंघन किया है. सेबी ने कहा कि बयान में हिंडनबर्ग (Hindenburg) का भारतीय बाजारों से कोई संबंध नहीं दिखाया गया, जो कि सच नहीं था. सेबी के नोटिस ने हिंडनबर्ग गाथा (Hindenburg) में दो नए करेक्टर को भी जोड़ा. एक हेज फंड और एक भारतीय बैंक. नोटिस के अनुसार, हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने अपने अडानी (Adani) शोध को प्रकाशित होने से पहले किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट एलएलसी और न्यूयॉर्क हेज फंड के साथ शेयर किया था. यह भी पता चला कि किंग्डन ने व्यापार करने के लिए कोटक महिंद्रा बैंक का इस्तेमाल किया था. सेबी ने हिंडनबर्ग पर "गैर-सार्वजनिक" और "भ्रामक" सूचनाओं का इस्तेमाल करके "अनुचित" लाभ कमाने और अडानी समूह (Adani) के शेयरों में "घबराहट में बिक्री" करने का आरोप लगाया था.
बता दें कि कारण बताओ नोटिस अक्सर औपचारिक कानूनी कार्रवाई की पहली प्रक्रिया होती है. इसके तहत वित्तीय दंड लगाना और भारतीय पूंजी बाजार में भागीदारी पर रोक लगाना शामिल हो सकता है. सेबी शोध फर्म की वेबसाइट को जियोब्लॉक करने के लिए सरकारी मदद भी मांग सकता है.
वहीं, सेबी को दिए गए अपने जवाब में किंगडन कैपिटल ने कहा कि उसे कानूनी विकल्प मिला है कि वह किसी तीसरे पक्ष की फर्म के साथ रिसर्च सर्विस समझौता कर सकता है. वहीं, कोटक महिंद्रा बैंक ने कहा है कि किंग्डन ने कभी भी यह खुलासा नहीं किया कि उनका हिंडनबर्ग (Hindenburg) के साथ कोई संबंध था. सेबी का खुलासे सार्वजनिक होने के बाद फिलहाल किंग्डन कैपिटल के संस्थापक मार्क इलियट किंगडन और उनकी पत्नी अनला चेंग पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. सोशल मीडिया पर इस बात के दावे जोरों पर थे कि किंग्डन की पत्नी के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध हैं और इस तरह हिंडनबर्ग मामले में चीन भी एक और किरदार हो सकता है.
इसको लेकर वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य महेश जेठमलानी ने एक्स पर एक पोस्ट में चेंग को चीनी जासूस कहा. एक्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक लंबी पोस्ट में जेठमलानी ने दावा किया कि किंग्डन कैपिटल मैनेजमेंट एलएलसी के पीछे अमेरिकी कारोबारी मार्क किंग्डन ने अडानी समूह (Adani) पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए हिंडनबर्ग को काम पर रखा था. हिंडनबर्ग द्वारा अडानी के शेयरों की शॉर्ट सेल के घिनौने प्रकरण में एक बहुत बड़ा सबूत है. अनला चेंग के बारे में जानकारी देते हुए वकील ने दावा किया कि चेंग सुपचाइना की सीईओ थी, जो चीन समर्थक मीडिया कॉर्पोरेट पहल है, जो एक व्हिसलब्लोअर द्वारा यूएस कांग्रेस के समक्ष शपथ पत्र में सुपचाइना पर चीन के हित में समाचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाने के बाद द चाइना प्रोजेक्ट नामक इकाई में बदल गई.
हिंडनबर्ग (Hindenburg) मामले में चीन से संबंध होने का आरोप लगाना आसान है. क्योंकि अडानी समूह (Adani) चीनी हितों के खिलाफ कंप्टीशन कर रहा है. जेठमलानी ने एक्स पर लिखा कि चीन साफतौर पर अडानी समूह (Adani) के साथ विवाद में है. उन्होंने पहले लिखा था कि अडानी समूह एक भारतीय मल्टीनेशनल कंपनी है, जिसने चीनी बोलियों के खिलाफ अनुबंध जीतकर योग्यता के आधार पर चीन की वैश्विक पहुंच को सफलतापूर्वक विफल कर दिया है.
वहीं, अमेरिका में नई ट्रंप सरकार अडानी मामले (Adani) सहित अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा शुरू किए गए कई मामलों की जांच कर सकती है और संभावित सेबी जांच ने हिंडनबर्ग रिसर्च को जांच के दायरे में ला दिया है. हिंडनबर्ग (Hindenburg) पर सोरोस के साथ अपने संबंधों के आरोप लगने शुरू हो गए हैं, जिन्होंने भारत में भाजपा सरकार के प्रति अपने विरोध को छुपाया नहीं था. फरवरी 2023 में अडानी पर हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट के ठीक बाद, सोरोस ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए, हिंडनबर्ग (Hindenburg) रिसर्च रिपोर्ट में उल्लिखित अडानी समूह (Adani) की कंपनियों के कथित शेयर बिक्री के बारे में बात की. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “कोई लोकतंत्रवादी नहीं” करार दिया और कहा कि अडानी (Adani) “प्रकरण” संभावित रूप से भारत में लोकतंत्र के पुनरुत्थान का कारण बन सकता है.
पिछले वर्ष अगस्त में संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (OCCRP) ने आरोप लगाया कि भारत के अडानी समूह के कुछ सार्वजनिक रूप से कारोबार किए जाने वाले शेयरों में "अपारदर्शी" मॉरीशस फंडों के माध्यम से लाखों डॉलर का निवेश किया गया था, जिससे अडानी परिवार के कथित व्यापारिक साझेदारों की भागीदारी "अस्पष्ट" हो गई. कुछ महीने बाद, फ्रांसीसी खोजी अखबार मीडियापार्ट ने अमेरिकी सरकार और सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन द्वारा OCCRP को वित्तपोषित करने के बारे में कई दावे किए.