सेविंग खाते में मिनिमम बैलेंस, प्राइवेट- सरकारी बैंक दोनों कर रहे मनमानी
सेविंग खाते में न्यूनतम बैलेंस ना होने पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने तीन स्लैब बनाए हैं. लेकिन हैरानी की बात ये कि प्राइवेट और सरकारी बैंक मनमानी कर रहे हैं
Saving Account Minimum Balance: अब देश में करीब करीब हर एक शख्स का खाता बैंक में है. मोटे तौर पर बचत या सेविंग,चालू या करेंट और सैलरी खाते होते हैं. सैलरी खाते में न्यूनतम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन सेविंग और करेंट खाते में न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी होता है. अगर आप न्यूनतम बैलेंस नहीं रखते हैं तो आपको पेनल्टी अदा करनी पड़ती है. लेकिन पेनल्टी की रकम बहुत अधिक हो या क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट से अधिक हो तो परेशान होना लाजिमी है. खास बात यह है कि इस खेल में ना सिर्फ प्राइवेट बैंक बल्कि सरकारी बैंक भी शामिल हैं. रिजर्व बैंक ने न्यूनतम बैलेंस ना रख पाने की सूरत में एक हजार रुपए तक के तीन स्लैब बनाए हैं. इसके पीछे केंद्रीय बैंक की मंशा है कि लोगों को बहुत अधिन पेनल्टी ना देनी पड़े. लेकिन हकीकत में बैंक मनमानी कर रहे हैं.
प्राइवेट के साथ सरकारी बैंक भी पीछे नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक 25 बैंकों में से 16 बैंक आरबीआई के नियमों को धड़ल्ले से तोड़ रहे हैं. जबकि सरकारी बैंक भी पीछे नहीं हैं. जैसे 12 बैंकों ने प्रतिशत की जगह तय राशि पर पेनल्टी लगाई जबकि 9 बैंकों में कोई स्लैब नहीं था. खास बात यह है कि चार्ज 4.3 फीसद से लेकर 52 फीसद सालाना था. 14 बैंकों में स्लैब का स्ट्रक्चर तो था. लेकिन चार्ज की वसूली वो प्रतिशत में ना करके राशि पर कर रहे थे.