बाजार में हाहाकार, इसके पीछे ट्रेड वॉर? कहीं ये मंदी की दस्तक तो नहीं?
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बाजार में हाहाकार, इसके पीछे ट्रेड वॉर? कहीं ये मंदी की दस्तक तो नहीं?

अमेरिकी शेयर बाजार में सोमवार को जो खलबली मची, उसकी आंच भारतीय शेयर बाजार में भी देखी जा रही है। आखिर शेयर बाजार क्यों उखड़ रहा है? कहीं ये मंदी की आहट तो नहीं?


अमेरिकी शेयर बाजार में सोमवार को जो 'रक्तपात' देखने को मिला है, उससे भारत को या बाकी दुनिया को कितना भयभीत होना चाहिए? और होना भी चाहिए या नहीं? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अमेरिकी बाजार में मची खलबली का सीधा असर मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिला है।

मंगलवार की सुबह जब भारतीय शेयर बाजार में कारोबार की शुरुआत हुई तो वो ४०० अंकों की गिरावट के साथ हुई, हालांकि बाद में बाजार कुछ संभलता हुआ दिखा, लेकिन ऐसा लग रहा है कि बाजार में अभी भी एक भय का माहौल है।

सोमवार को अमेरिकी शेयर बाजार का मूल्य 4 ट्रिलियन डॉलर घट गया तो इसका असर अगले दिन खुलने वाले भारतीय बाजार में दिखना ही था। दिखा भी है। लेकिन आखिर निवेशकों के वो डर क्या हो सकते हैं? यह भय का आलम क्यों है? जब इसकी पड़ताल करते हैं तो कुछ बड़ी वजहें नजर आती हैं जिनका 'एपिसेंटर' अमेरिका है।

बाजार में अनिश्चितता

अमेरिका में ट्रंप राज शुरू होने के बाद से बाजार में एक अजीब तरह की अनिश्चितता का माहौल नजर आ रहा है। अमेरिका की कारोबार नीति को लेकर जो अनिश्चितताएं हैं, उसकी वजह से बाजार का भरोसा जग नहीं पा रहा है।

जानकारों का मानना है कि अमेरिका अपने पड़ोसी कनाडा, मैक्सिको से लेकर यूरोप तक के साथ जो टैरिफ वॉर में उलझा हुआ है, वो बाजार में बिकवाली के लिए एक बड़ा फैक्टर है।

हालांकि शेयर बाजार किसी एक वजह से प्रभावित नहीं होता, लेकिन ट्रंप का टैरिफ वॉर फिलहाल तो सबसे बड़ी वजह नजर आ रहा है। इसने बाजार में जो संशय पैदा किया है, उसी की वजह से शेयर धड़ाम होने लगे हैं।

क्या मंदी का डर है?

अब सबसे बड़ा भय ये है कि क्या ये रास्ता कहीं मंदी की ओर तो नहीं ले जा रहा है? बाजार के जानकार ऐसी संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं।

ऐसी आशंका को खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान से हवा मिली है, जिन्होंने रविवार को एक इंटरव्यू में वर्तमान स्थिति को "संक्रमण का दौर" बताया और मंदी की संभावना को खारिज नहीं किया।

जानकार मान रहे हैं कि ट्रंप के इस बयान ने बाजार का भरोसा हिला दिया। जानकारों का कहना है कि ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन अपने व्यापक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संभावित रूप से मंदी से भी सहमत लगता है। हालांकि व्हाइट हाउस उम्मीद जता रहा है कि टैरिफ से जुड़ा मसला जल्द हल हो जाएगा।

निवेशक क्या करे?

अगर अमेरिकी बाजार में किसी तरह का भय है और उससे दुनिया के दूसरे बाजार प्रभावित हो रहे हैं तो निश्चित ही ये स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि ऐसी अनिश्चितता के बीच निवेशक क्या करे?

अमेरिकी बाजार के निवेशकों की नजर तो आने वाली मुद्रास्फीति रिपोर्ट पर टिकी है। साथ ही, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर को लेकर क्या फैसला लिया जाता है और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए ट्रंप प्रशासन क्या फैसले लेता है, इन सब पर निवेशकों की नजर टिकी हुई है।

जानकारों की राय है कि बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच जोखिम को मैनेज करने के लिए निवेशकों को विविधीकरण रणनीतियों (diversification strategies ) पर विचार करना चाहिए।

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