Bribery In Indian Business : ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकलक्रिकल्स की रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 159 जिलों में किए गए सर्वेक्षण में लगभग 66 प्रतिशत व्यापारिक फर्मों ने स्वीकार किया कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है। सर्वेक्षण में 18,000 लोगों ने हिस्सा लिया और पाया कि 54 प्रतिशत लोगों को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 प्रतिशत लोगों ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए स्वेच्छा से भुगतान किया। रिपोर्ट में कहा गया है, "जैसा कि कई व्यवसाय नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, सरकारी विभागों से परमिट या अनुपालन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रिश्वत देना आम बात है, यहां तक कि प्राधिकरण लाइसेंस की डुप्लिकेट प्रति या संपत्ति से संबंधित किसी भी मामले में रिश्वत देना आम बात है। सर्वेक्षण में शामिल 66 प्रतिशत व्यवसायों ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है।"
काम करवाने के लिए देनी पड़ी रिश्वत
सर्वेक्षण में शामिल केवल 16 प्रतिशत व्यवसायों ने दावा किया कि वे हमेशा रिश्वत दिए बिना काम करवाने में कामयाब रहे हैं और 19 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें ऐसा करने की "आवश्यकता नहीं पड़ी"। रिपोर्ट में कहा गया है, "पिछले 12 महीनों में जिन व्यवसायों ने रिश्वत दी, उनमें से 54 प्रतिशत को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 प्रतिशत ने समय पर प्रसंस्करण के लिए भुगतान किया। इस तरह की रिश्वत जबरन वसूली के समान है, जहां सरकारी एजेंसियों के साथ काम करते समय परमिट, आपूर्तिकर्ता योग्यता, फाइलें, ऑर्डर, भुगतान नियमित रूप से रोके जाते हैं।"
सीसीटीवी से दूर बंद दरवाजों में ली जाति है रिश्वत
रिपोर्ट के अनुसार, कई स्थानों पर कम्प्यूटरीकरण होने के बावजूद तथा सीसीटीवी से दूर बंद दरवाजों के पीछे व्यवसायों द्वारा रिश्वतखोरी जारी है। व्यवसायों ने पिछले 12 महीनों में आपूर्तिकर्ता के रूप में अर्हता प्राप्त करने, कोटेशन और ऑर्डर प्राप्त करने तथा भुगतान एकत्र करने के लिए विभिन्न प्रकार की संस्थाओं को रिश्वत देने की बात स्वीकार की है। रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि सरकारी ई-खरीद बाजार जैसी पहल भ्रष्टाचार को कम करने के लिए अच्छे कदम हैं, फिर भी आपूर्तिकर्ता योग्यता, बोली हेरफेर, पूर्णता प्रमाण पत्र और भुगतान के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त होने के अवसर अभी भी मौजूद हैं।"
इन विभागों को दी गयी सबसे ज्यादा रिश्वत
22 मई से 30 नवंबर 2024 के बीच किए गए सर्वेक्षण में भाग लेने वाली व्यावसायिक फर्मों ने कहा कि 75 प्रतिशत रिश्वत कानूनी, माप विज्ञान, खाद्य, औषधि, स्वास्थ्य आदि विभागों के अधिकारियों को दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है, "कई लोगों ने जीएसटी अधिकारियों, प्रदूषण विभाग, नगर निगम और बिजली विभाग को रिश्वत देने की भी सूचना दी है।" सर्वेक्षण में शामिल व्यापारिक संस्थाओं ने बताया कि पिछले 12 महीनों में रिश्वत के लेन-देन की संख्या और सर्वेक्षण में शामिल व्यवसायों द्वारा दी गई रिश्वत का कुल मूल्य कम हो गया है।
भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए डेलॉयट इंडिया के पार्टनर आकाश शर्मा ने कहा कि कई संगठनों का मानना है कि नीतियों और प्रक्रियाओं के मामले में न्यूनतम मानकों को बनाए रखने से नियामक जांच और दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती। शर्मा ने कहा, "हालांकि यह दृष्टिकोण अतीत में पर्याप्त रहा होगा, लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि और बदलते नियामक परिदृश्य के कारण संगठनों को अपने अनुपालन ढांचे पर पुनर्विचार करने और एक मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी कार्यक्रम स्थापित करने की आवश्यकता है।"
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)