अब डॉलर नहीं अपनी करेंसी में व्यापार करेंगे भारत-मिश्र? जानें क्या है योजना
भारत और मिश्र अपनी करेंसी में व्यापार करने की योजना बना रहे हैं. क्योंकि दोनों देशों ने साल 2028 तक अपने व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है.
India Egypt trade: भारत और मिस्र के बीच संबंध काफी पुराने हैं. इस समय मिस्र आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में इस देश को आर्थिक सहायता की जरूरत है. भारत भी सामरिक लिहाज से मिस्र की अहमियत को समझता है. इसको देखते हुए भारत (India) मिस्र (Egypt) के साथ साझीदार की भूमिका निभा सकता है और रायनयिक और व्यापारिक संबंध बढ़ाना चाहता है. यही वजह है कि अब ब्रिक्स के सदस्य दोनों देश अपनी करेंसी में व्यापार करने की योजना बना रहे हैं.
दोनों देशों ने साल 2028 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 12 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस समझौते पर दोनों पक्षों द्वारा कई दौर की बातचीत हो चुकी है और दोनों देश इसे जल्द से जल्द लागू करना चाहते हैं. अगर यह समझौता हो जाता है तो इससे द्विपक्षीय व्यापार को आसान बनाने में मदद मिलेगी, जो हाल के वर्षों में बढ़ रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2023 की नई विदेश व्यापार नीति (FTP) के तहत राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार की अनुमति देता है. स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए लगभग दो दर्जन देशों के साथ विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों (SRVA) की व्यवस्था की गई है और मिस्र सहित कई अन्य व्यापार भागीदारों के साथ बातचीत चल रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जुलाई 2022 से भारतीय रुपये में निर्यात और आयात के चालान, भुगतान और निपटान के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की है.
द्विपक्षीय व्यवस्था के आधार पर, कई देशों के बैंकों ने भारत में SRVA खोले हैं. वोस्ट्रो खाता किसी बैंक द्वारा दूसरे देश के बैंक की ओर से खोला जाता है. भारत में SRVA रखने वाले देशों में रूस, बेलारूस, बांग्लादेश, फिजी, जर्मनी, इज़राइल, कजाकिस्तान, केन्या, मलेशिया, मालदीव, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान, सिंगापुर, श्रीलंका, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यूके शामिल हैं. इजराइल-हमास संघर्ष की शुरुआत से पहले भारत-मिस्र व्यापार सालाना लगभग 6-7 बिलियन डॉलर का था.
मिस्र ने 2022 में भारत को गेहूं आयात करने की मंजूरी दी. हालांकि, नई दिल्ली द्वारा अनाज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पहले केवल 61,000 टन ही भेजा गया था. गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी की भारत यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने खाद्य और दवा आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने और आईसीटी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. हालांकि, पश्चिम एशिया में संघर्ष से मिस्र से आयात बुरी तरह प्रभावित हुआ है और चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में मिस्र के सामानों के आयात में साल-दर-साल 28% की गिरावट आई है और यह 461 मिलियन डॉलर रह गया है.
इसी अवधि के दौरान मिस्र को भारत का निर्यात 5% बढ़कर 1.44 बिलियन डॉलर हो गया. भारत-मिस्र के बीच व्यापारिक व्यापार 2021-22 में 7.26 बिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिसमें 3.74 बिलियन डॉलर का भारतीय निर्यात और 3.52 बिलियन डॉलर का आयात शामिल है. 2022 में, भारत के निर्यात को बढ़ावा मिला. क्योंकि यूक्रेन से आपूर्ति बाधित होने के बाद मिस्र ने भारतीय गेहूं के खिलाफ गैर-टैरिफ बाधाओं (एनटीबी) को हटा दिया. 2022-23 के दौरान मिस्र को भारत का निर्यात 4.11 बिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. जबकि देश से आयात घटकर 1.95 बिलियन डॉलर रह गया, जिससे द्विपक्षीय व्यापार 6.06 बिलियन डॉलर हो गया.
साल 2023-24 में, द्विपक्षीय व्यापार घटकर 4.67 बिलियन डॉलर रह गया. क्योंकि इजरायल-हमास संघर्ष ने माल के परिवहन को बाधित कर दिया. भारत ने वित्त वर्ष 24 में 3.52 बिलियन डॉलर का माल निर्यात किया और 1.15 बिलियन डॉलर की आपूर्ति प्राप्त की. मिस्र को भारत के प्रमुख निर्यातों में परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद, भैंस का मांस, लोहा और इस्पात, कृषि उत्पाद और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। यह मुख्य रूप से मिस्र से कच्चा तेल, उर्वरक और कपास आयात करता है.
रूस के कज़ान में हाल ही में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार निपटान की व्यवस्था को अंतिम रूप देना चर्चा का प्रमुख मुद्दा था. विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने शिखर सम्मेलन के बाद मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि वैश्विक आर्थिक स्थिति और कई देशों के सामने लोन संकट के कारण कई नेताओं ने राष्ट्रीय मुद्राओं और भुगतान तंत्रों में व्यापार निपटान में रुचि व्यक्त की है.