15 लाख तक कमाने वालों को मोदी सरकार दे सकती है बड़ा तोहफा? मिल सकती है आयकर में छूट
Union Budget 2025: साल 2025 में पेश होने वाले बजट से आम आदमी को राहत की काफी उम्मीदें हैं.
Union Budget 2025: साल 2024 बीतने की कगार पर पहुंच चुका है और दुनिया नये साल का दोनों हाथ फैलाकर स्वागत करने को तैयार है. नये साल आने के साथ ही केंद्रीय आम बजट को लेकर तैयारियां भी शुरू हो जाएंगी. हर साल फरवरी में पेश होने वाले बजट (Union Budget) को लेकर आम इंसान से लेकर अमीरों तक सबको बेसब्री से इंतजार होता है. हो भी क्यों न. आखिर केंद्रीय बजट (Union Budget) देश की दिशा और नीति जो निर्धारित करता है. साल 2025 में पेश होने वाले बजट से आम आदमी को राहत की काफी उम्मीदें हैं. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार मिडिल क्लास को राहत देने के लिए इनकम टैक्स (income tax) से जुड़े विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इसके तहत सालाना 15 लाख रुपये तक कमाई करने वाले लोगों के लिए इनकम टैक्स (income tax) में कटौती की जा सकती है. केंद्र सरकार का मकसद मिडिल क्लास को राहत प्रदान करना और अर्थव्यवस्था की मंदी के बीच खपत को बढ़ावा देना है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार का यह कदम लाखों करदाताओं, विशेष रूप से हाई लिविंग कॉस्ट वाले शहरों के निवासियों को फायदा पहुंचा सकता है. अगर वह साल 2020 का टैक्स सिस्टम का ऑप्शन चुनते हैं. हालांकि, इसके यह ऑप्शन किराये के मकान जैसे छूट को समाप्त कर देती है. लेकिन 3 से 15 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 5% से 20% तक टैक्स लगता है. जबकि, उच्च आय पर 30% टैक्स लगता है.
बता दें कि भारतीय टैक्स पैयर्स दो टैक्स प्रणाली चुन सकते हैं. एक विरासत योजना, जो आवास किराये और बीमा पर छूट की अनुमति देती है और दूसरी 2020 में पेश की गई नई योजना, जो थोड़ी कम दरें प्रदान करती है. लेकिन बड़ी छूट नहीं देती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हालांकि अभी किसी भी कटौती के आकार पर फैसला नहीं किया गया है. 1 फरवरी को बजट (Union Budget) के करीब निर्णय लिया जाएगा. लेकिन टैक्स दरों को कम करने से अधिक लोग नई प्रणाली को चुनेंगे, जो कम जटिल है. बता दें कि भारत सरकार को कम से कम 1 करोड़ रुपये कमाने वाले व्यक्तियों से आयकर का बड़ा हिस्सा मिलता है, जिसके लिए दर 30% है.
वहीं, मिडिल क्लास के हाथों में अधिक पैसा आने से अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिल सकती है, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जिसकी वृद्धि जुलाई और सितंबर के बीच सात तिमाहियों में सबसे धीमी गति से हुई है. उच्च खाद्य मुद्रास्फीति भी साबुन और शैंपू से लेकर कारों और दोपहिया वाहनों तक की मांग को प्रभावित कर रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में.