
Kingfisher से लेकर कोर्ट तक, विजय माल्या का पक्ष और सच
माल्या की बातों में भावनात्मक अपील जरूर है। लेकिन अदालती दस्तावेज, चार्जशीट और कोर्ट के फैसले उन्हें बार-बार दोषी ठहराते हैं। उन्होंने जो सफाई दी है, वो आंशिक सच है। लेकिन पूरा सच नहीं।
करीब 9 साल पहले भारत छोड़ चुके कारोबारी विजय माल्या ने आखिरकार चुप्पी तोड़ी है। एक अदालत या प्रेस वार्ता में नहीं, बल्कि इंफ्लुएंसर राज शमानी के साथ चार घंटे की लंबी पॉडकास्ट में। इस बातचीत में माल्या ने खुद को एक “गलत समझा गया बिजनेसमैन” बताया और दावा किया कि उन्हें सरकार की गलत नीतियों, आर्थिक माहौल और मीडिया ट्रायल ने दोषी बना दिया।
माल्या ने इंटरव्यू में कहा कि मैंने एक पैसा नहीं उधार लिया। किंगफिशर एयरलाइंस ने लिया था। जबकि, सच यह है कि कर्ज़ कंपनी के नाम पर था। लेकिन माल्या ने निजी गारंटी दी थी और UK हाई कोर्ट ने उन्हें 2021 में दिवालिया घोषित कर दिया।
बैंकों ने ₹14,000 करोड़ वसूले, फिर चोर कैसे?
माल्या ने दावा किया कि बैंकों ने उससे ज्यादा वसूल लिया, जितना कर्ज़ दिया गया था। सच यह है कि यह राशि ED द्वारा जब्त संपत्तियों की नीलामी से वसूली गई। यह स्वैच्छिक चुकता नहीं, बल्कि कानूनी कार्रवाई का परिणाम था। उन्होंने कहा कि उन्होंने ₹4,000 करोड़ का ऑफर भी दिया था, जिसे बैंकों ने ठुकरा दिया। जबकि, उन पर कुल बकाया ₹9,000 करोड़ से अधिक था। ऑफर में बड़ी छूट की मांग की गई थी। इसके अलावा कुछ ऑफर देश छोड़ने के बाद दिए गए।
मैं भागा नहीं, कानूनी रूप से देश छोड़ा
माल्या ने कहा कि उन्होंने 2 मार्च 2016 को डिप्लोमैटिक पासपोर्ट पर भारत छोड़ा। सच यह है कि उन्होंने उस दिन उड़ान भरी, जब बैंक सुप्रीम कोर्ट में याचिका लेकर पहुंचे थे। CBI ने बाद में माना कि लुकआउट नोटिस में चूक हुई थी।
माल्या ने कहा कि 2008 में उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से एयरलाइन downsizing की बात की। लेकिन उन्हें रोक दिया गया। जबकि, इसको सत्यापित नहीं किया गया है। Kingfisher के गलत निर्णय – जैसे कि Air Deccan का अधिग्रहण खुद कंपनी का फैसला था।
निष्पक्ष ट्रायल का भरोसा मिले तो लौट आऊंगा
माल्या ने कहा कि उन्हें भारत में निष्पक्ष सुनवाई का भरोसा नहीं है। वे UK में शरण के लिए कानूनी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने “आसाइलम” शब्द नहीं कहा, लेकिन मामला गोपनीय कानूनी प्रक्रिया बताया। माल्या ने दावा किया कि वह कोर्ट में जमा फंड से कर्मचारियों को सैलरी देना चाहते थे। लेकिन बैंकों ने आपत्ति की। यह सच है, लेकिन वेतन लंबे समय से बकाया था और वह अपनी निजी संपत्ति से मदद कर सकते थे।
मीडिया ने मुझे खलनायक बना दिया
माल्या ने कहा कि मीडिया ने उन्हें विलेन बना दिया। जबकि वे देश में हजारों लोगों को रोजगार देने वाले व्यापारी थे। मीडिया ट्रायल की भूमिका रही है। लेकिन उनकी खुद की जीवनशैली, पार्टी कल्चर और विदेशी संपत्तियां भी लोगों की धारणा को प्रभावित करने में जिम्मेदार रही हैं।