निजी पूंजी से BCCI का पैसा चुका रहे हैं BYJU'S के रिजू रविन्द्रन
रिजू रविन्द्रन के वकील पुनीत बाली ने राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को इस बात से अवगत करवाते हुए कहा कि सेटलमेंट राशि में शेयरों की बिक्री से उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से जुटाई गई राशि और शेयरों की बिक्री से प्राप्त लाभ शामिल हैं
BYJU'S: एडटेक कंपनी बायजू के बोर्ड के सदस्य रिजू रविंद्रन अपने निजी फंड से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को प्रायोजन ( sponsorship) बकाया का निपटान कर रहे हैं, उनके वकील पुनीत बाली ने गुरुवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( NCLT ) को इस बात से अवगत करवाते हुए कहा कि " सेटलमेंट की राशि में शेयरों की बिक्री से उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से जुटाई गई राशि और शेयरों की बिक्री से प्राप्त लाभ शामिल हैं."
बुधवार को एनसीएलएटी ( नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ) ने संस्थापक के वकील से एक अंडरटेकिंग जमा करने को कहा था, जिसमें बीसीसीआई को दिए जा रहे फंड के स्रोत का खुलासा करने की बात कही थी. कंपनी के अमेरिकी ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा था कि रवींद्रन अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में असमर्थ हैं, लेकिन उनके पास बीसीसीआई को भुगतान करने के लिए पैसे हैं.
इस पर रविन्द्रन के वकील पुनीत बाली ने कहा कि "निपटान राशि का कोई भी हिस्सा किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा पारित किसी भी आदेश का उल्लंघन करते हुए नहीं दिया जा रहा है, जिसमें डेलावेयर बैंक्र्पसी कोर्ट द्वारा पारित आदेश भी शामिल हैं. रिजू की तरफ से कहा गया कि उन्हें डेलावेयर बैंक्र्पसी के समक्ष कार्यवाही के विषय में $533 मिलियन का कोई हिस्सा नहीं मिला है और उसके अनुसार इन निधियों का कोई हिस्सा बीसीसीआई को भुगतान करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया है या नहीं किया जाएगा.''
एनसीएलएटी शुक्रवार को एक आदेश पारित कर सकता है. इस बीच एनसीएलएटी ने ऋणदाताओं से तब तक लेनदारों की समिति (सीओसी) का गठन नहीं करने को कहा है. बुधवार को, बायजू के संस्थापकों ने बीसीसीआई के साथ अपने 158 करोड़ रुपये के बकाये का निपटान किया था. हालांकि, यूएस ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी ने निपटान का विरोध ये कहते हुए किया था कि कंपनी ( BYJU's ) जो पैसा दे रही थी वो वास्तव में उनका था.
एनसीएलएटी बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा शुरू की गई दिवालियापन कार्यवाही के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही है. एनसीएलएटी का आदेश बायजू की संपत्तियों को लेनदारों से बचाता है और साथ ही इन संपत्तियों के किसी भी हस्तांतरण या बिक्री को रोकता है.
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