क्या सोना खो रहा है अपना आकर्षण? सरकार ने गोल्ड बॉन्ड को लेकर लिया ये फैसला
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क्या सोना खो रहा है अपना आकर्षण? सरकार ने गोल्ड बॉन्ड को लेकर लिया ये फैसला

भारतीय सोने की खरीद को लेकर हमेशा उत्साहित रहते हैं. सोने की पीली चमक लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. हालांकि, क्या अब सोने की चमक फीकी पड़ रही है? सरकार के फैसले से तो ऐसा ही लगता है.


Sovereign Gold Bonds: भारतीय सोने की खरीद को लेकर हमेशा उत्साहित रहते हैं. सोने की पीली चमक लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. इसको निवेश के लिहाज से भी काफी सही माना जाता है. यही वजह है कि लोग गहने के तौर पर सोने पर निवेश करते हैं. हालांकि, क्या अब सोने की चमक फीकी पड़ रही है? सरकार के फैसले से तो ऐसा ही लगता है. सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में गोल्ड बॉन्ड जारी करने के अपने लक्ष्य को पिछले अंतरिम बजट लक्ष्य की तुलना में 38 फीसदी कम कर दिया है. संशोधित लक्ष्य 18,500 करोड़ रुपये है, जो अंतरिम बजट में अनुमानित 29,638 करोड़ रुपये और 2023-24 में 26,852 करोड़ रुपये से कम है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह निर्णय निवेशकों की मांग, अन्य निवेश उत्पादों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के आसपास की अनिश्चितताओं सहित विभिन्न कारकों के पुनर्मूल्यांकन के बाद लिया गया है. क्योंकि फरवरी में अंतरिम बजट के बाद से स्थिति बदल गई है. इस वित्त वर्ष के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के शुद्ध निर्गम का अनुमान अब 15,000 करोड़ रुपये है, जो अंतरिम बजट में अनुमानित 26,138 करोड़ रुपये और 2023-24 के संशोधित अनुमान में 25,352 करोड़ रुपये से काफी कम है.

वहीं, खुदरा निवेशकों भी अब बेहतर रिटर्न की उम्मीद में इक्विटी का विकल्प चुन रहे हैं. हाल ही में आई तेजी के बाद लोग अल्पावधि से मध्यम अवधि में सोने की कीमतों में और वृद्धि की संभावना के बारे में अनिश्चित हैं. खुदरा मुद्रास्फीति और अन्य कारकों से ग्रामीण क्षेत्रों में बचत प्रभावित हुई है. कीमती धातुओं की भौतिक खरीद को हतोत्साहित करने और आयात को कम करने के लिए सरकार ने साल 2015 के अंत में गोल्ड बांड और गोल्ड मुद्रीकरण योजनाएं शुरू की थीं, जिससे चालू खाता घाटे पर नकारात्मक प्रभाव कम हो गया.

इन दोनों योजनाओं के माध्यम से सकल संग्रह अब 2024-25 में 20,030 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. जबकि अंतरिम बजट में यह 31,168 करोड़ रुपये और पिछले वित्त वर्ष में 28,240 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) था. इसी तरह नेट कलेक्शन 16,433 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो अंतरिम बजट में 27,571 करोड़ रुपये और पिछले वर्ष के 26,653 करोड़ रुपये से कम है.

हालांकि, गोल्ड मुद्रीकरण योजना के अनुमान अंतरिम बजट स्तर से अपरिवर्तित हैं. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना उन निवेशकों को लक्षित करती है, जो सोने को निवेश के रूप में देखते हैं, उन्हें भौतिक सोने के बजाय कागजी सोना खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. दूसरी ओर, स्वर्ण मुद्रीकरण योजना का उद्देश्य घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए घरों, मंदिर ट्रस्टों और अन्य लोगों द्वारा रखे गए निष्क्रिय सोने को बाहर निकालना है. दोनों योजनाओं को सोने के आयात पर अंकुश लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो कच्चे तेल के साथ भारत के चालू खाता घाटे में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहे हैं. बता दें कि साल 2020-21 में कोविड-19 महामारी के दौरान 16,049 करोड़ रुपये तक पहुंचने के बाद गोल्ड बॉन्ड जारी करने में कमी आई थी.

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