
ट्रेड यूनियन 4 लेबर कोड वापस लेने के लिए सरकार पर बनायेंगे दबाव, नए साल में हड़ताल की तैयारी
CTU ने कहा सरकार और कॉरपोरेट मीडिया लेबर कोड्स के “फायदों” का झूठा प्रचार कर रहे हैं, जबकि असल में इससे मजदूरों के अधिकार कम होते हैं.
देश की प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और सेक्टोरल फेडरेशंस ने घोषणा की है कि जब तक सरकार चारों लेबर कोड वापस नहीं लेती, तब तक आंदोलन और तेज किया जाएगा. यूनियनों ने फरवरी 2026 में देशभर में आम हड़ताल करने की तैयारी कर ली है. हड़ताल की तारीख 22 दिसंबर को तय सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की बैठक में तय की जाएगी.
ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच CTU ने कहा सरकार और कॉरपोरेट मीडिया लेबर कोड्स के “फायदों” का झूठा प्रचार कर रहे हैं, जबकि असल में इससे मजदूरों के अधिकार कम होते हैं. उन्होंने कहा कि लेबर विभागों और अदालतों में भी कोड लागू होने के बाद भारी अव्यवस्था है. CTU ने बताया कि 26 नवंबर को पूरे देश में हुए विरोध प्रदर्शनों में मजदूरों की बड़ी भागीदारी रही है. कार्यस्थलों, जिलों और ब्लॉकों में व्यापक विरोध हुआ. कई गैर-संगठित मजदूर, BMS से जुड़े कर्मचारी और पत्रकार भी इस विरोध में शामिल हुए.
बैठक में हाल की इंडिगो उड़ानों की गड़बड़ी का भी मुद्दा उठाया गया. यूनियनों ने कहा कि यह घटना दिखाती है कि कॉरपोरेट कंपनियों को मजदूरों और यात्रियों की सुरक्षा की परवाह नहीं है. सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने न्यायिक जांच, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा की मांग की है. उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार को बिजली, पेट्रोलियम, रेलवे, रक्षा, टेलीकॉम और बैंकिंग जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में जल्दबाजी में निजीकरण का कदम रोकना चाहिए.
यूनियनें आने वाले दिनों में देशभर में रैलियाँ, जुलूस, डोर-टू-डोर अभियान और सेक्टर-स्तर पर विरोध तेज करेंगी.
CTU ने यह भी कहा कि वे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के साथ मिलकर आंदोलन करेंगे. किसान MSP, कर्ज माफी, सीड बिल और बिजली संशोधन बिल के खिलाफ पहले से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. यूनियनों ने विपक्षी दलों, छात्रों, युवाओं और आम नागरिकों से अपील की कि वे मजदूरों के अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने की इस लड़ाई में समर्थन दें.

