भारत की R&D पर नीति आयोग का जोर, बदलाव अब अनिवार्य
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भारत की R&D पर नीति आयोग का जोर, बदलाव अब अनिवार्य

नीति आयोग ने MIC 2025 का विश्लेषण किया। इसमें चीन की तकनीकी सफलता और R&D मॉडल से भारत के लिए छह रणनीतिक सबक सामने आए।


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15 सितंबर 2025 को नीति आयोग ने “Made in China (MIC) 2025” पहल की सफलता का विश्लेषण प्रस्तुत किया, जिसे 2015 में लॉन्च किया गया था। इस अध्ययन में चीन की तकनीकी नवाचार और उन्नति के छह “रणनीतिक सबक” भारत के लिए सुझाए गए। हालांकि, इसमें 2014 में शुरू की गई “Make in India” मिशन का कोई ज़िक्र नहीं था, लेकिन भारत के R&D (अनुसंधान एवं विकास) महत्वाकांक्षा और उसके प्रभाव को फिर से कल्पना करने की “तत्काल आवश्यकता” पर जोर दिया गया। नीति आयोग ने 2035 में भारत के लिए एक दृष्टि तैयार करने और प्रमुख तकनीकों में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने की रोडमैप बनाने के लिए विशेषज्ञ समूह की भी घोषणा की।

दो पहलुओं पर नहीं गया ध्यान

भारत के लिए वैश्विक तकनीकी नेतृत्व का लक्ष्य असंभव लग सकता है, लेकिन यह दिशा में सही कदम है। दशकों तक भारत की तकनीकी सफलता केवल अंतरिक्ष अनुसंधान तक सीमित रही, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 1962 में स्थापित किया।नीति आयोग ने MIC 2025 के दो महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज किया — चीन का वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केंद्र के रूप में मजबूत होना। इसके विपरीत, 2014 का “Make in India” मिशन (MII 2014) किसी भी वैश्विक मान्यता का दावा नहीं कर सकता।

नवाचार और तकनीकी उन्नति

नीति आयोग ने पाया कि दोनों देशों के R&D पारिस्थितिकी तंत्र में मापक, ध्यान और एकीकरण में काफी अंतर है, जिससे अत्यधिक भिन्न नतीजे सामने आए।

कुछ महत्वपूर्ण भिन्नताएं:

वित्तीय निवेश: चीन ने 2024 में GDP का 2.7% ($496 अरब) R&D पर खर्च किया, जबकि भारत का ऐतिहासिक निवेश 0.7% (लगभग $100 अरब) रहा।

अनुसंधान का नेतृत्व: चीन में R&D निजी क्षेत्र द्वारा संचालित, भारत में सरकारी नेतृत्व में।

अनुप्रयुक्त बनाम मूल अनुसंधान: चीन का जोर अनुप्रयुक्त अनुसंधान और व्यावसायिक परिणामों पर, भारत में मूल शोध और कम व्यावसायिक आवंटन।

रणनीतिक उद्योग: चीन ने 10 रणनीतिक उद्योगों पर केंद्रित किया, भारत का फोकस विविध और प्रसारपूर्ण।

R&D केंद्र: चीन ने 40 समर्पित R&D केंद्र और राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित की, भारत के लिए कोई तुलनात्मक उदाहरण नहीं।

त्रि-हैलिक्स मॉडल: चीन में अकादमिक संस्थान, सरकारी उपक्रम और निजी टेक कंपनियां मिलकर काम करती हैं। भारत में अकादमिक-उद्योग अंतर अभी भी बड़ा है।

नीति आयोग ने 10 रणनीतिक क्षेत्रों में तकनीकी नवाचार और उन्नति की पहचान की:इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर, उच्च गति रेल, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन।

चीन की बढ़त, भारत के लिए सबक

2020-2025 के बीच MIC 2025 ने 13 तकनीकी नवाचार और उन्नति की: जैव प्रौद्योगिकी, AI, नवीकरणीय ऊर्जा, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष अन्वेषण, उच्च गति रेल, उन्नत सामग्री और इन्फ्रास्ट्रक्चर। भारत के लिए कोई तुलनात्मक उदाहरण नहीं मिला।इससे नीति आयोग ने चार महत्वपूर्ण परिवर्तन सूचीबद्ध किए। चीन के पेटेंट 2024 तक 4.76 मिलियन तक पहुँच गए, भारत के मुकाबले केवल अंश।चीन ने EV, सोलर पैनल, दूरसंचार उपकरण में वैश्विक प्रभुत्व हासिल किया। भारत केवल कुछ पारंपरिक क्षेत्रों में ही अग्रणी।चीन ने विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम की, भारत अभी भी भारी मात्रा में आयात करता है।चीन ने रणनीतिक उद्योगों में पूरी सप्लाई चेन विकसित की, भारत उच्च तकनीक उत्पादों के लिए आयात पर निर्भर।

भारत के लिए रणनीतिक सीख

नीति आयोग ने भारत के लिए छह “रणनीतिक सीखें” सुझाई

रणनीतिक क्षेत्रीय फोकस और स्पष्ट व्यावसायिक रोडमैप।

मजबूत R&D निवेश।

समग्र नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र।

प्रदर्शन ट्रैकिंग और मापन।

नीति की निरंतरता और दीर्घकालिक दृष्टि।

कठोर जवाबदेही।

MIC 2025: स्मार्ट विनिर्माण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

MIC 2025 को व्यापक रूप से अध्ययन किया गया क्योंकि इसके परिणाम अत्यधिक प्रभावशाली रहे। योजना का उद्देश्य 10 उच्च-तकनीकी रणनीतिक विनिर्माण क्षेत्रों में चीन को “स्मार्ट विनिर्माण” का वैश्विक केंद्र बनाना और विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम करना था।

इन 10 क्षेत्रों में शामिल हैं:

नई पीढ़ी की सूचना प्रौद्योगिकी, स्वचालित मशीन टूल, एयरोस्पेस उपकरण, हाई-टेक शिप्स, रेलवे उपकरण, ऊर्जा बचत, नई सामग्री, चिकित्सा उपकरण, कृषि मशीनरी और पावर उपकरण।

उत्पादन और निर्यात में सुधार

अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्ययन (5 मई 2025) ने MIC 2025 के चार पहलुओं पर मूल्यांकन किया:

आयात निर्भरता कम करना: विदेशी कंपनियों को स्थानीय उत्पादन और R&D में निवेश करना पड़ा।

विदेशी कंपनियों पर निर्भरता: नई चीनी कंपनियों ने सभी लक्षित क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों से बाज़ार हिस्सेदारी हासिल की।

प्रतिस्पर्धात्मकता: कई मध्यम और उच्च तकनीकी क्षेत्रों में चीनी कंपनियां वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी।

तकनीकी नेतृत्व: चीनी कंपनियों ने पेटेंट, अनुसंधान और तकनीकी नवाचार में महत्वपूर्ण प्रगति की।

चीन की तरक्की और चुनौतियां

MIC 2025 ने “विपरीत निर्भरताएं” पैदा कीं — विश्व चीन के उत्पादन पर निर्भर हो गया। यह प्रभाव EV, सोलर ऊर्जा, दूरसंचार और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से देखा गया।

हालांकि, हाल के वर्षों में चीन का वैश्विक शेयर घटा है। इसका कारण COVID-19 लॉकडाउन, रियल एस्टेट संकट, वैश्विक सेवाओं की ओर बदलाव और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध जैसे कारक रहे।

नीति आयोग का विश्लेषण स्पष्ट करता है कि चीन ने MIC 2025 के माध्यम से तकनीकी नवाचार, स्मार्ट विनिर्माण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उल्लेखनीय सफलता हासिल की। भारत के लिए सबक यह है कि R&D, रणनीतिक फोकस, समग्र नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और दीर्घकालिक नीति पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है।

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