विदेशी निवेशकों ने इतने अरब डॉलर निकाले, क्या चीनी बाजार आ रहा है रास
विदेशी संस्थागत निवेशक अपने शेयरों को क्योें बेच रहे रहे हैं। क्या उन्हें चीन की मार्केट अधिक रास आ रही है या वजह कुछ और है।
चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिया है। लेकिन उसका नकारात्मक असर भारत समेत दूसरे एशियाई बाजारों पर नजर आ रहा है। अगर बात अक्टूबर महीने की करें तो अभी 10 दिन बाकी है और करीब विदेशी निवेशकों ने करीब 10 अरब डॉलर की निकासी की है। शेयर बाजार में उतार चढ़ाव का दौर पिछले 2 हफ्तों से जारी है। आज शेयर मार्केट जब खुला तो सेंसेक्स ने पहले 500 अंकों की उछाल लगाई और बाद में 300 अंकों का गोता लगाया। अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली को देखें तो कोरोना के दौर में 7.9 अरब डॉलर की निकासी की थी। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 55, 595 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी।
एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 83 हजार करोड़ रुपए से अधिक के शेयर बेचे हैं जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 74,200 करोड़ रुपए की खरीदारी की है। डीआईआई में ज्यादातर म्यूचुअल फंड हैं। विदेशी निवेशकों की इतनी बिकवाली के बाद घरेलू संस्थागत निवेशक उस स्तर पर नहीं घबराएं हैं। अगर कैलेंडर वर्ष में डीआईआई ने अब तक चार लाख करोड़ रुपए की खरीदारी की है।
ऐसा कहा जा रहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली के लिए चीन जिम्मेदार है। निवेशक चीन में खरीदें, भारत में बेचें की रणनीति पर काम कर रहे हैं। पिछले एक महीने में निफ्टी में 4% गिरावट आई है जबकि हैंग सेंग में 14 फीसद और शंघाई के CSI 300 इंडेक्स में 22 फीसद की तेजी आई है। शी जिनपिंग यानी चीन की सरकार ने अर्थव्यवस्था में रफ्तार भरने के लिए पैकेज की घोषणा की है और असर चीन की मार्केट में नजर भी आ रहा है। आर्थिक मामलों से जुड़े जानकारों का कहना है कि निवेशकों को उम्मीद है कि चीन सरकार का इस कदम से न केवल 2024 में ग्रोथ को बढ़ावा देगा, बल्कि अगले साल तक इसका असर दिख सकता है। हालांकि चीन सरकार के पैकेज को लेकर फंड मैनेजमेंट समुदाय की सोच एक जैसी नहीं है।