चीनी एफडीआई पर सरकार नहीं करेगी पुन:विचार: पीयूष गोयल
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चीनी एफडीआई पर सरकार नहीं करेगी पुन:विचार: पीयूष गोयल

सर्वेक्षण का हवाला देते हुए गोयल ने कहा, "जहां तक मुख्य आर्थिक सलाहकार का सवाल है, वे स्वतंत्र, स्वायत्त रिपोर्ट लेकर आते हैं. ये उनकी सोच है, भारत सरकार ने फिलहाल अपना रुख नहीं बदला है


No Chinese FDI: भारत सरकार के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार (30 जुलाई) को स्पष्ट किया है कि चीनी निवेश की अनुमति देने के मामले में सरकार के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और आर्थिक सर्वेक्षण में व्यक्त विचार सरकार के रुख को नहीं दर्शाते हैं.

लोकसभा में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए गोयल ने कहा कि सरकार चीनी निवेश की जांच करती है और इस संबंध में उसका रुख नहीं बदला है.
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि भारत चीन पर निर्भर हो गया है और उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि इसमें पड़ोसी देश से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त करने का समर्थन किया गया है.

गोयल का पलटवार
पियूष गोयल ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ( यूपीए ) के शासन में भारत पड़ोसी देशों पर निर्भर हो गया था. मंत्री ने कहा, "कांग्रेस के कार्यकाल में आयात 4 अरब डॉलर से बढ़कर 40-45 अरब डॉलर हो गया, जो 10 गुना से भी अधिक है. हमारे कार्यकाल में ये वृद्धि केवल 2-2.5 गुना है. हमने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठाए हैं."
उन्होंने कहा, "मैं यूपीए के खिलाफ सीधा आरोप लगा रहा हूं. उनका नाम बदल गया है, अब ये इंडी गठबंधन है."
वाणिज्य मंत्री ने कहा, "हमें नहीं पता कि चीन के साथ वो समझौता ज्ञापन (एमओयू) क्या था? यूपीए के कार्यकाल में व्यापार घाटा 30 गुना बढ़ गया था."
गोयल ने ये भी कहा, ‘‘भाजपा नीत NDA ने चीन और उसके निवेश पर नियंत्रण किया है.’’

आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए गोयल ने कहा, "जहां तक मुख्य आर्थिक सलाहकार का सवाल है, वे स्वतंत्र, स्वायत्त रिपोर्ट लेकर आते हैं. ये उनकी सोच है, भारत सरकार ने फिलहाल अपना रुख नहीं बदला है." उन्होंने कहा, "चीन से आने वाले निवेश की जांच की जाती है, जहां हमें उचित नहीं लगता, उसे रोक दिया जाता है. हमारी नीति वही है, मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सलाह दी."

बीजिंग से एफडीआई
बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा निर्यात बाजार का लाभ उठाने के लिए बीजिंग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त करने का मजबूत मामला बनाया गया.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि चूंकि अमेरिका और यूरोप अपनी तत्काल आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं, इसलिए पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है.
"चीन-प्लस-वन रणनीति" से लाभ उठाने के लिए भारत के सामने दो विकल्प हैं - या तो वो चीन की आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत हो जाए या फिर चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दे.

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)


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