केंद्र सरकार के टैक्स सुधारों से सीमित फायदा, विकास दर में नहीं आया खास उछाल
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केंद्र सरकार के टैक्स सुधारों से सीमित फायदा, विकास दर में नहीं आया खास उछाल

आंकड़ों के अनुसार, न तो उपभोग में तेजी आई है, न ही घरेलू बचत बढ़ी है और न ही मैन्युफैक्चरिंग में अपेक्षित उछाल देखा गया है। इस पर विशेषज्ञों का मत है कि आयकर में दी गई राहतों का वास्तविक लाभ कहां गया, यह जानने के लिए एक विस्तृत विश्लेषण की आवश्यकता है।


केंद्र सरकार द्वारा बीते एक दशक में किए गए इनकम टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स सुधारों के बावजूद न तो उपभोग में तेज़ी आई है और न ही घरेलू बचत में कोई उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन नीतियों के दीर्घकालिक असर को लेकर गहन विश्लेषण की आवश्यकता है।

वर्ष 2015 के बजट में केंद्र ने वेल्थ टैक्स (संपत्ति कर) को समाप्त कर दिया था। इसके पीछे कारण बताया गया था कि इससे टैक्स कलेक्शन बहुत कम हो रहा था – FY12 में ₹788 करोड़, FY13 में ₹846 करोड़ और FY14 में ₹1,008 करोड़। RJ चेलैया समिति और विजय केलकर टास्क फोर्स ने भी इसे हटाने की सिफारिश की थी, क्योंकि इसके अनुपालन और प्रशासनिक खर्च अत्यधिक थे। इसके स्थान पर एक करोड़ से अधिक सालाना आय वालों पर 2% का सरचार्ज लगाया गया, जिसे बाद में विरोध के कारण हटा लिया गया।

आयकर कानून में बड़ा बदलाव

इस माह की शुरुआत में केंद्र सरकार ने आयकर अधिनियम 1961 को पूरी तरह से दोबारा तैयार किया। अब इसकी भाषा सरल और संरचना अधिक स्पष्ट है। शब्दों की संख्या लगभग आधी कर दी गई। अध्यायों की संख्या 50% से अधिक कम और धाराएं (Sections) 65% तक घटा दी गईं।

PIF को बड़ी टैक्स छूट

लोकसभा से पारित संशोधन के तहत सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF) और उसकी सहायक कंपनियों को डिविडेंड, ब्याज और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन से छूट दी गई है – यह Income Tax Act में पहली बार किसी विदेशी फंड को ऐसा लाभ दिया गया है। यह निर्णय प्रधानमंत्री की अप्रैल 2025 में सऊदी यात्रा के बाद लिया गया। GIFT सिटी (गुजरात) में PIF जल्द कार्यालय खोल सकता है।

खाली मकानों पर डिम्ड रेंट से राहत

आवास क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए खाली पड़े मकानों पर माने जाने वाले किराए (deemed rent) की शर्तों को हटाया गया है। साथ ही, गैर-व्यक्तिगत संस्थाओं (जैसे कंपनियों) द्वारा दिए गए किराए पर TDS की सीमा भी बढ़ा दी गई है।

उपभोग और मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ पर असर सीमित

FY15-FY25 के दौरान उपभोग (PFCE) की 'वास्तविक' वृद्धि दर 6.1%** रही है, जो GDP वृद्धि (6.2%) से कम है। मैन्युफैक्चरिंग GVA की ग्रोथ भी 6.1% रही। इससे साफ है कि टैक्स कटौती के बावजूद उपभोग और उत्पादन में तेजी नहीं आई है। प्रधान आर्थिक सलाहकार वीए नागेश्वरन ने दिसंबर 2024 में उद्योगपतियों की आलोचना की थी कि उन्होंने मुनाफा बढ़ने के बावजूद ना तो नौकरियाँ बढ़ाईं और ना ही वेतन।

घरेलू बचत घटी

राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों के अनुसार, घरेलू बचत FY12 में GDP का 23.6% थी, जो FY24 में घटकर 18.1% रह गई। इसी दौरान घरेलू कर्ज का अनुपात GDP के 3.3% से बढ़कर 6.2% हो गया और नेट वित्तीय संपत्ति 40 वर्षों के निचले स्तर 5% पर आ गई।

GST सुधारों से केंद्र-राज्य संबंधों में फिर तनाव

GST ने 8 केंद्रीय और 9 राज्य करों को समाहित किया, लेकिन पेट्रोल, शराब, रियल एस्टेट और बिजली जैसी बड़ी वस्तुएं बाहर रहीं। हाल ही में केंद्र ने दिवाली से पहले GST ढांचे में बड़ा बदलाव करने का ऐलान किया, जिससे राज्य सरकारों में राजस्व हानि को लेकर चिंता बढ़ी है। राज्यों की ओर से मुआवजे की मांग फिर से तेज़ हो गई है।

टैरिफ वॉल फिर से खड़ी

1991 में शुरू हुई व्यापार उदारीकरण नीति को पलटते हुए केंद्र ने आयात पर शुल्क बढ़ाए। इसका मकसद घरेलू उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बचाना बताया गया। हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को "टैरिफ किंग" कहने और पारस्परिक शुल्क की धमकी देने के बाद भारत ने फरवरी 2025 के बजट में कई उत्पादों पर टैरिफ कम कर दिए – जिनमें हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार, स्मार्टफोन पार्ट्स आदि शामिल हैं। बाद में अमेरिका से आने वाली बोर्बन व्हिस्की पर ड्यूटी घटाई गई और 6% इक्वलाइज़ेशन लेवी (Google टैक्स) भी हटा दिया गया।

कैपिटल मार्केट से घरों को दूर करने की कोशिश

जुलाई 2024 के बजट में सरकार ने Security Transaction Tax (STT) और Long-Term Capital Gains (LTCG) टैक्स बढ़ाया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि F-&O जैसे "अत्यधिक सट्टात्मक" क्षेत्र से घरों को हटाना ज़रूरी है। SEBI की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, FY22 से FY24 के बीच 93% खुदरा निवेशकों को F-&O ट्रेडिंग में नुकसान हुआ।

टैक्स संग्रह दरों में वृद्धि

वित्तीय वर्ष 2013 से 2026 (अनुमानित) तक:-

* कॉर्पोरेट टैक्स ग्रोथ: 10.2%

* पर्सनल इनकम टैक्स ग्रोथ: 16.9%

* कुल अप्रत्यक्ष करों का ग्रोथ (GST, कस्टम, एक्साइज आदि): 11.5%

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