Currency In Circulation
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करेंसी सर्कुलेशन रिकॉर्ड हाई पर

डिजिटल लेन-देन बढ़ने के बावजूद नहीं कम हो रही नोटों की चाहत, 7 वर्षों में 104 फीसदी बढ़ गई करेंसी सर्कुलेशन

2022-23 में कुल करेंसी इन सर्कुलेशन 33.48 लाख करोड़ रुपये था तो 2023-24 में 34.77 लाख करोड़ रुपये. यानी केवल पिछले एक साल में 2 लाख करोड़ से ज्यादा करेंसी सर्कुलेशन में बढ़ोतरी आई है.


Currency In Circulation: बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर आरबीआई के सलाना रिपोर्ट के मुताबिक देश में जो करेंसी सर्कुलेशन में मौजूद है उस का वैल्यू बढ़कर करीब 37 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है. जो कि साल 2018-19 में केवल 21 लाख करोड़ रुपये हुआ करता था. भले ही हर महीने देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन नए रिकॉर्ड बना रहो लेकिन इसके बावजूद भारत वासियों की नगद करेंसी रखने की चाहत कम नहीं हो रही है. मई 2025 में 25.14 लाख करोड़ रुपये का डिजिटल लेन-देन देखने को मिला है जो कि बीते साल के मई महीने के मुकाबले 23 फीसदी ज्यादा है.

नोटबंदी के बाद भी बढ़ी करेंसी सर्कुलेशन

8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने का हवाला देते हुए पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट को बैंकिंग सिस्टम से वापस लेने का एलान करते हुए नोटबंदी की घोषणा कर दी. तब ये दलील दिया गया कि देश में बैंकिंग सिस्टम में करेंसी की सर्कुलेशन में कमी आएगी. डिजिटल पेमेंट का कल्चर देश में पैदा होगा और नोटबंदी के फैसले से इसे बढ़ावा मिलेगी. जिस वित्त वर्ष में नोटबंदी का एलान किया गया तब भारतीय रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक 16.41 लाख करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थी.

37 लाख करोड़ हो गया करेंसी सर्कुलेशन

लेकिन पिछले 9 सालों में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की तमाम कोशिशों के बावजूद आरबीआई के मुताबिक बैंकिंग सिस्टम में जो करेंसी सर्कुलेशन में मौजूद है उसका बढ़कर 36.87 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है जो कि 2015-16 वित्त वर्ष के मुकाबले 124 फीसदी ज्यादा है. और नोटबंदी के बाद वाले वित्त वर्ष 2017-18 के 18.03 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 104 फीसदी ज्यादा है.

2022-23 में कुल करेंसी इन सर्कुलेशन 33.48 लाख करोड़ रुपये था तो 2023-24 में 34.77 लाख करोड़ रुपये. यानी केवल पिछले एक साल में 2 लाख करोड़ से ज्यादा करेंसी सर्कुलेशन में बढ़ोतरी आई है. आरबीआई ने अपने सालाना रिपोर्ट में बताया कि 2024-25 में बैंक नोट्स के वैल्यू में 6 फीसदी और वॉल्यूम में 5.6 फीसदी का उछाल आया है. इस वित्त वर्ष के दौरान कुल करेंसी जो सर्कुलेशन में मौजूद है उसमें 500 रुपये की करेंसी की हिस्सेदारी 86 फीसदी है.

इसलिए बढ़ रही करेंसी की डिमांड

बैंकिंग सेक्टर के जानकार और वॉयस ऑफ बैंकिंग के फउंडर अशनवी राणा के मुताबिक "देश की जीडीपी का जैसे-जैसे आकार बढ़ रहा है करेंसी का वॉल्यूम में भी इजाफा हो. खपत बढ़ रहा तो करेंसी की डिमांड भी बढ़ेगी. साथ ही आरबीआई के लिए भी ये जरूरी है कि वो बैंकिंग सिस्टम में डिमांड के मुताबिक करेंसी की उपलब्धता बनाए रखे. आपको बता दें वित्त वर्ष 2017-18 में भारत की जीडीपी का साइज जहां 130.11 लाख करोड़ रुपये था जो 2024-25 में बढ़कर 187.97 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है.

इन आकड़ों से स्पष्ट है कि सरकार के डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने की तमाम कोशिशों के बावजूद देश में नगद करेंसी की डिमांड भी उसी तेजी से बढ़ रही है.

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