
DGCA ने पायलटों को आराम देने का अपना ही नियम वापस लिया, IndiGo को आंशिक राहत
नए आदेश ऐसे समय आया है जब पायलट और क्रू की भारी कमी के कारण हज़ारों IndiGo यात्री फंसे हुए हैं।
इंडिगो में कार्यरत पायलटों और क्रू सदस्यों के साप्ताहिक विश्राम से संबंधित DGCA के निर्देशों को वापस ले लिया गया है। यह नया नोटिफिकेशन ऐसे समय आया है जब कर्मचारियों की कमी के चलते हज़ारों IndiGo यात्री एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं। DGCA ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है, “चल रही परिचालन बाधाओं और विभिन्न एयरलाइंस से संचालन की निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिली मांगों के मद्देनज़र… यह निर्देश कि साप्ताहिक विश्राम के स्थान पर कोई छुट्टी नहीं दी जा सकती, तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है।”
यह राहत IndiGo द्वारा दो महीने के लिए छूट मांगे जाने के बाद दी गई है।
IndiGo की उड़ानें देरी और रद्द क्यों हो रही हैं?
IndiGo कई दिनों से लगातार कैंसिलेशन और देरी से जूझ रही है। हज़ारों यात्री या तो फंसे हुए हैं या लंबे समय तक इंतज़ार कर रहे हैं। भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन जिसका घरेलू बाज़ार में 60% से अधिक हिस्सा है, नए Flight Duty Time Limitation (FDTL) नियमों के चलते क्रू की भारी कमी का सामना कर रही है।
शुक्रवार को भी करीब 500 निर्धारित उड़ानों के रद्द होने का अनुमान था। इसके अलावा, IndiGo के सबसे बड़े हब दिल्ली से आधी रात तक सभी घरेलू प्रस्थान रद्द कर दिए गए।
IndiGo का कहना है कि उसकी सेवाएँ 10 फरवरी तक पूरी तरह सामान्य हो जाएँगी। DGCA ने भी बताया कि IndiGo पायलट रोस्टरिंग सुधारने, ATC और हवाईअड्डों के साथ बेहतर तालमेल बनाने, टर्नअराउंड प्रक्रिया तेज़ करने और व्यवधान प्रबंधन को बेहतर करने पर काम कर रही है।
नए ड्यूटी और विश्राम नियमों का दूसरा और अंतिम चरण पिछले महीने लागू हुआ है, और एयरलाइन इसके लिए तैयार नहीं दिखी।
3 दिसंबर को सिर्फ 19.7% IndiGo उड़ानें समय पर उड़ीं, जबकि इससे एक दिन पहले यह आंकड़ा 35% था और सोमवार को लगभग 50%।
देश भर के एयरपोर्ट अव्यवस्थित दिखे। सोशल मीडिया पर यात्रियों ने लंबी देरी, अंतिम समय में रद्दीकरण और महंगी वैकल्पिक उड़ानें लेने की मजबूरी की शिकायतों की बाढ़ ला दी।
IndiGo ने माफ़ी जारी की और ‘कैलिब्रेटेड एडजस्टमेंट्स’ करते हुए अपनी उड़ानों की नई योजना बनाई — यानी उपलब्ध क्रू के अनुसार चुनिंदा उड़ानें रीस्ड्यूल और रद्द करना। DGCA ने भी एयरलाइन से व्यवधान के कारणों और सुधार की योजना मांगी।
हालाँकि नए FDTL नियम सभी एयरलाइंस पर लागू हैं, IndiGo सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। उद्योग सूत्रों के अनुसार इसका कारण है — इसका विशाल नेटवर्क, भारी संख्या में नाइट-फ्लाइट्स, और विमान व क्रू का अत्यधिक उपयोग मॉडल।
अन्य भारतीय एयरलाइंस इस समय नये विमान आने में देरी और मेंटेनेंस के कारण पहले से कम उपयोग स्तर पर चल रही हैं, इसलिए उनके पास क्रू रोस्टरिंग में अधिक लचीलापन है।
नए FDTL नियम IndiGo को कैसे प्रभावित कर रहे हैं?
संशोधित नियमों के तहत पायलटों की साप्ताहिक विश्राम अवधि 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दी गई है। नाइट लैंडिंग की अनुमति 6 से घटाकर 2 कर दी गई है। नाइट आवर्स की परिभाषा बढ़ा दी गई है।
यह बदलाव पायलट थकान कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए किए गए हैं, लेकिन इसका बड़ा असर IndiGo की शेड्यूलिंग पर पड़ा है।
ये नियम पहले जून 2024 में लागू होने थे, लेकिन एयरलाइंस — विशेषकर IndiGo — ने अधिक समय मांगा था। दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ये दो चरणों में जुलाई और नवंबर में लागू हुए।
पहले चरण में IndiGo ने स्थिति को संभाल लिया। लेकिन दूसरे चरण में, जिसने रात की उड़ानों में क्रू उपयोग पर कड़े प्रतिबंध लगाए, IndiGo को भारी झटका लगा।
एयरलाइन की उच्च आवृत्ति वाली उड़ानें, सीमित स्टाफ, और बड़ी संख्या में रात की उड़ानें — इन सभी ने इसे संवेदनशील बना दिया।
IndiGo के पास 400 से अधिक विमान हैं जो रोज़ाना 2,300 से ज्यादा उड़ानें भरते हैं। यदि सिर्फ 10% उड़ानें भी रद्द हों, तो यह संख्या 230 से अधिक हो जाती है — जो किसी अन्य भारतीय एयरलाइन के मुकाबले कहीं अधिक है।
IndiGo के सुधार प्रयास
DGCA के अनुसार, नवंबर में IndiGo ने 1,232 उड़ानें रद्द कीं-
* 755 — क्रू और FDTL बाधाओं के कारण
* 258 — हवाई क्षेत्र और एयरपोर्ट प्रतिबंधों के कारण
* 92 — ATC सिस्टम विफलताओं के कारण
* 127 — अन्य परिचालन कारणों से
IndiGo का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस अक्टूबर के 84.1% से गिरकर नवंबर में 67.7% पर पहुँच गया और दिसंबर की शुरुआत में और नीचे चला गया।
एयरलाइन ने कहा कि “अप्रत्याशित परिचालन चुनौतियों” ने सेवाओं को प्रभावित किया है। इनमें तकनीकी दिक्कतें, विंटर शेड्यूल, मौसम संबंधी व्यवधान, हवाई क्षेत्र में भीड़, और नए नियमों का पूर्ण लागू होना शामिल है।
पायलट संगठन IndiGo को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं
पायलट यूनियनों ने आरोप लगाया कि IndiGo ने नए FDTL नियमों के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं की, जबकि उसके पास दो साल का समय था। ALPA (Airline Pilots’ Association of India) ने कहा कि हालिया व्यवधान प्रमुख एयरलाइंस की कमजोर प्लानिंग दिखाता है और यह स्थिति नियामकों पर दबाव डालने के लिए भी इस्तेमाल हो सकती है।
FIP (Federation of Indian Pilots) ने कहा कि मुश्किलें IndiGo की “लंबे समय से अपनाई गई कम स्टाफिंग रणनीति” का परिणाम हैं। संगठन का आरोप है-
* IndiGo ने हायरिंग फ्रीज़ रखी
* प्रतियोगी एयरलाइंस के साथ नॉन-पोचिंग एग्रीमेंट किए
* पायलट वेतन में वृद्धि रोक दी
* जुलाई में फेज-1 के बाद पायलटों की छुट्टियाँ कम कर दीं
* नवंबर के बाद छुट्टियाँ खरीदने की कोशिश से मनोबल गिरा
दूसरी ओर, वरिष्ठ प्रबंधन ने भारी वेतन वृद्धि ली — जिससे तनाव और बढ़ गया। यूनियनों ने DGCA से मांग की है कि नए नियमों के तहत पर्याप्त पायलट क्षमता के प्रमाण मिलने के बाद ही एयरलाइंस को सीज़नल शेड्यूल की मंजूरी दी जाए।
FIP ने कहा कि यदि IndiGo स्टाफिंग समस्याओं के कारण संचालन नहीं संभाल पाती, तो DGCA उसके एयरपोर्ट स्लॉट्स Air India और Akasa जैसे कैरियर्स को दे — जो पीक ट्रैवल और फॉग सीज़न में बिना व्यवधान उड़ानें चला सकते हैं।

