GST रेट कटौती के बाद घरेलू डिमांड में जोरदार उछाल, FICCI सर्वे में 83% ने  ज्यादा आर्डर मिलने की जताई उम्मीद
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GST रेट कटौती के बाद घरेलू डिमांड में जोरदार उछाल, FICCI सर्वे में 83% ने ज्यादा आर्डर मिलने की जताई उम्मीद

फिक्की ने अपने 67वें तिमाही सर्वे जारी किया है जिसमें जुलाई-सितंबर 2025 के दौरान 8 प्रमुख सेक्टरों जिसमें ऑटोमोबाइल, मशीन टूल्स, मेटल, केमिकल्स, फर्टिलाइज़र व फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और टेलीकॉम सेक्टर शामिल है उनकी स्थिति का आकलन किया गया है.


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बिजनेस चैंबर फिक्की (FICCI) ने तिमाही मैन्युफैक्चरिंग सर्वे में कहा है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जबरदस्त तेजी की उम्मीद है. सर्वे के मुताबिक, भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर लगातार मजबूत हो रहा है और कंपनियों का रुख काफी सकारात्मक है. सर्वे में कहा गया कि, जीएसटी दरों में कटौती के बाद घरेलू मांग में उछाल देखने को मिल रहा है. 83% कंपनियों ने सर्वे में ज्यादा ऑर्डर मिलने की उम्मीद जताई है.

फिक्की ने अपने 67वें तिमाही सर्वे जारी किया है जिसमें जुलाई-सितंबर 2025 के दौरान 8 प्रमुख सेक्टरों जिसमें ऑटोमोबाइल, मशीन टूल्स, मेटल, केमिकल्स, फर्टिलाइज़र व फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और टेलीकॉम सेक्टर शामिल है उनकी स्थिति का आकलन किया गया है. सर्वे में मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में जहां 77% कंपनियों ने कहा था कि उनका उत्पादन बढ़ा है या पहले जैसा है, वहीं दूसरी तिमाही (Q2) में यह संख्या बढ़कर 87% हो गई. यह कई तिमाहियों में सबसे ऊंचा स्तर है. जीएसटी दरों में हाल की कटौती के बाद 83% कंपनियों को उम्मीद है कि उनके ऑर्डर में और बढ़ोतरी होगी. सर्वे में बड़ी और मझोली कंपनियों दोनों के जवाब शामिल हैं, जिनका कुल सालाना कारोबार 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है.

सर्वे के मुताबिक, औसतन 75% उत्पादन क्षमता का उपयोग हो रहा है, जो सेक्टर में मजबूत गतिविधि का संकेत देता है. 50% से ज्यादा कंपनियां अगले छह महीनों में नया निवेश और विस्तार करने की योजना बना रही हैं. वहीं वैश्विक तनाव, व्यापार प्रतिबंध, श्रमिकों की कमी और कच्चे माल की महंगाई विस्तार में बाधाएं बन रही हैं. वित्त वर्ष 2025-26 की पहली और दूसरी तिमाही में 90% कंपनियों ने बताया कि उनका स्टॉक पहले जैसा या उससे ज्यादा है.

पहली तिमाही में 61% कंपनियों ने बताया कि उनका निर्यात बढ़ा है या स्थिर रहा है. दूसरी तिमाही में 70% कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि उनका निर्यात पिछले साल की तुलना में बढ़ेगा. 57% कंपनियां अगले तीन महीनों में नई भर्तियां करने की योजना बना रही हैं. सर्वे में बताया गया कि औसतन कंपनियों को 8.9% ब्याज दर पर लोन मिल रहा है. 81% कंपनियों ने कहा कि उन्हें बैंकों से वर्किंग कैपिटल और लॉन्ग-टर्म कैपिटल आसानी से मिल रही है.

सर्वे में भाग लेने वाली कंपनियों ने बताया कि उत्पादन लागत पहली और दूसरी तिमाही में ऊंची बनी रही है. आधी से ज्यादा कंपनियों ने कहा कि उत्पादन लागत बिक्री के मुकाबले बढ़ी है. लागत बढ़ने की मुख्य वजहें हैं जिसमें कच्चे माल की कीमतें, श्रम खर्च, लॉजिस्टिक्स और बिजली की बढ़ती लागत शामिल है. श्रमिकों की उपलब्धता को लेकर कंपनियों का कहना है कि 80% कंपनियों को श्रमिकों की कोई कमी नहीं है. लेकिन 20% कंपनियों का कहना है कि कुशल श्रमिकों की कमी अभी भी बनी हुई है, इसलिए सरकार और उद्योग दोनों को मिलकर इस पर काम करने की जरूरत है.

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