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विश्लेषकों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप द्वारा Apple से उत्पादन अमेरिका में शिफ्ट करने की मांग घरेलू नौकरियों के सृजन से जुड़े राजनीतिक वादों से प्रेरित है।

ट्रंप का 'मेक इन USA' दबाव, क्या Apple भारत से मुंह मोड़ेगा?

भारत जहां वैश्विक iPhone उत्पादन का 20% हिस्सा बनाता है और एक बड़ा उत्पादन केंद्र है, विशेषज्ञों का मानना है कि Apple की जटिल सप्लाई चेन को उखाड़ना व्यवहारिक नहीं होगा।


दुनिया की सबसे मूल्यवान टेक्नोलॉजी कंपनी Apple Inc., जिसकी मार्केट कैप $3.16 ट्रिलियन है, एक बार फिर से राजनीतिक दबाव का सामना कर रही है जिससे इसकी वैश्विक निर्माण रणनीति बदल सकती है और भारत इस टकराव की चपेट में आ सकता है।

राजनीति बनाम अर्थव्यवस्था

15 मई, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से Apple से कहा कि वह भारत में उत्पादन को छोड़कर iPhone का प्रोडेक्शन फिर से अमेरिका में शुरू करे। यह मांग Apple द्वारा भारत में किए जा रहे भारी निवेश के ठीक विपरीत है, जिससे यह सवाल उठता है कि दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता टेक निर्माण केंद्र अब कहाँ खड़ा होगा।

यह मामला केवल राजनीति का नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था का भी है। 2024 में Apple ने $391 बिलियन का रेवेन्यू कमाया। अमेरिका सहित अमेरिकी महाद्वीपों से 43% ($167 बिलियन) की आमदनी हुई, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार अब कंपनी की कमाई के लिए और भी अहम हो चुके हैं। यूरोप से 26% ($101 बिलियन), ग्रेटर चीन से 17% ($67 बिलियन), जापान से 6% ($25 बिलियन), और शेष एशिया-प्रशांत क्षेत्र से 8% ($30 बिलियन) की आमदनी हुई। ये आंकड़े साफ इशारा करते हैं कि Apple भले ही कैलिफ़ोर्निया में पैदा हुआ हो, लेकिन इसका भविष्य पूरी तरह वैश्विक है।

चीन: एक मैन्युफैक्चरिंग पावर हाउस

Apple की शुरुआत 1970 के दशक में एक अमेरिकी गैराज कंपनी के रूप में हुई थी, लेकिन जल्दी ही यह लागत में कटौती के लिए बाहरी विकल्पों की तलाश में निकल पड़ी। 2000 के दशक की शुरुआत में Apple ने ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी Foxconn के साथ साझेदारी की, जिसकी चीन में भारी उपस्थिति थी।

2007 तक Foxconn की झेंगझोउ फैक्ट्री 'iPhone City' एप्पल की वैश्विक उत्पादन इकाई बन गई, जो 2010 के दशक में 90% से अधिक iPhones असेंबल करने लगी। लेकिन 2017 में ट्रंप प्रशासन की ओर से चीन के साथ छेड़े गए व्यापार युद्ध और फिर COVID लॉकडाउन ने इस मॉडल को हिला कर रख दिया। Apple ने धीरे-धीरे अपनी निर्माण क्षमता को दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में फैलाना शुरू किया जिसमें भारत सबसे आगे रहा।

भारत में Apple का तेज उदय

मार्च 2025 तक Apple ने भारत में $22 बिलियन के iPhones असेंबल किए जो पिछले साल की तुलना में 60% ज़्यादा है। अब भारत वैश्विक iPhone उत्पादन का 20% करता है, जो अगले वर्ष तक 25% तक जा सकता है। Apple की योजना है कि 2026 के अंत तक अमेरिका में बिकने वाले सभी iPhones भारत में ही बनाए जाएं—बशर्ते राजनीतिक या नीतिगत बाधाएं न आएं।

इस बदलाव का केंद्र तमिलनाडु है, जहां चेन्नई के पास श्रीपेरंबुदूर में Foxconn की 500 एकड़ की विशाल फैक्ट्री है। यहां 40,000 कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं। यह फैक्ट्री चार iPhone मॉडल बनाती है और इसका विस्तार किया जा रहा है। चेन्नई के पास ही Pegatron का एक और यूनिट है, जबकि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स होसूर में पुराने iPhone मॉडल बनाता है।

कर्नाटक Apple की भारत रणनीति का एक नया केंद्र बन गया है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने बेंगलुरु के पास कोलार जिले में Wistron की पुरानी फैक्ट्री ले ली है, और Foxconn देवानहल्ली (एयरपोर्ट के पास) में 300 एकड़ में एक विशाल प्लांट बना रहा है, जिसकी लागत ₹22,000 करोड़ है और इससे 50,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। जून 2025 में उत्पादन शुरू होगा और 2027 तक पूरा संचालन शुरू हो जाएगा।

विश्लेषकों का अनुमान है कि Apple की भारत में कंपोनेंट निर्माण और सप्लाई चेन गतिविधियों से लगभग 2 लाख नौकरियां पहले ही बन चुकी हैं।

Apple से जुड़े अन्य निर्माण स्थल: तिरुपति में Sunny Opotech (कैमरा मॉड्यूल), ओरगडम में Foxlink (चार्जिंग केबल), पुणे में Jabil (AirPods कंपोनेंट), तेलंगाना में Foxconn का AirPods यूनिट।

तमिलनाडु की PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) बढ़त

तमिलनाडु की यह सफलता संयोग नहीं है। राज्य के उद्योग मंत्री टीआरबी राजा का कहना है कि यह वर्षों से बनी मज़बूत आधारभूत संरचना और स्किलिंग की बदौलत है। उन्होंने Apple पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया, लेकिन कहा कि PLI स्कीम निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित करने में अहम रही है। उन्होंने कहा, "PLI स्कीम प्रभावी रही है, लेकिन तमिलनाडु में यह इसलिए काम आई क्योंकि यहां पहले से एक मज़बूत ईकोसिस्टम मौजूद था।"

क्या ट्रंप की मांग व्यवहारिक है?

जैसे ही भारत में Apple का पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत हो रहा था, ट्रंप की टिप्पणी ने अनिश्चितता पैदा कर दी है। दोहा में एक समिट के दौरान ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के उपभोक्ताओं के लिए iPhone भारत में नहीं बनाए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि टिम कुक ने अमेरिका में निर्माण बढ़ाने पर सहमति जताई है, लेकिन उन्होंने इसका कोई प्रमाण नहीं दिया।

विश्लेषकों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। Wedbush Securities के डैन आइव्स ने कहा कि यह विचार "शुरू होने से पहले ही खत्म" है, और अनुमान लगाया कि अगर iPhone पूरी तरह अमेरिका में बना, तो इसकी कीमत $1,000 से बढ़कर $3,000 तक हो सकती है। पुणे की एमसीसीआईए के प्रशांत गिरबने ने सवाल उठाया कि क्या अमेरिकी ग्राहक इतना ज़्यादा भुगतान करने को तैयार होंगे। ज़्यादातर विश्लेषकों ने ट्रंप की बात को "राजनीतिक ड्रामा" बताया और कहा कि व्यावसायिक रूप से ये संभव विचार नहीं है।

कीमतों को बचाने के लिए एयरलिफ्ट

मार्च 2025 के अंत में Apple ने 33 मालवाहक विमानों के जरिए चेन्नई से अमेरिका तक 600 टन यानी लगभग 15 लाख iPhones की एयरलिफ्ट कराई ताकि नए टैरिफ लागू होने से पहले वे अमेरिका पहुंच सकें। Counterpoint के विश्लेषक अरुण मेनन के मुताबिक, अगर यह एयरलिफ्ट नहीं होती, तो iPhone 16 Pro Max की कीमत $1,599 से बढ़कर $2,300 तक जा सकती थी। Bloomberg Intelligence के Woo Jin Ho ने इसे “1970 के दशक के तेल संकट के बाद का सबसे अस्थिर व्यापार वातावरण” कहा और बताया कि इस ऑपरेशन ने Apple को 90 दिन की कीमत स्थिरता दी।

भारत में Apple का भरोसा बरकरार

कुछ लोगों ने ट्रंप की मंशा पर सवाल उठाए हैं, खासकर उनके अतीत में लेन-देन आधारित कूटनीति को देखते हुए। हाल ही में ट्रंप ने एक प्राइवेट जेट गिफ्ट के रूप में स्वीकार किया, जिसे आलोचकों ने 'घूस जैसी छूट' करार दिया। हालांकि, Apple से किसी निजी लाभ का कोई ठोस सबूत नहीं है। फिर भी, अधिकांश टिप्पणीकारों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम घरेलू नौकरियों के वादे के तहत उठाया गया है न कि किसी निजी सौदे के तहत।

राजनीतिक दबाव के बावजूद, Apple भारत पर केंद्रित अपनी रणनीति पर टिका हुआ है। कंपनी की योजना है कि 2026 के अंत तक अमेरिका के लिए सभी iPhones भारत में बनाए जाएं। ट्रंप की टिप्पणी के बाद Apple के शेयर में सिर्फ 0.4% की गिरावट आई—जो इस बात का संकेत है कि निवेशकों को Apple की दीर्घकालिक रणनीति पर भरोसा है।

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