
जेपी इंफ्राटेक के एमडी मनोज गौड़ पर ED का शिंकजा, होमबायर्स से ठगी के मामले में हुए गिरफ्तार
इसी वर्ष मई 2025 में ईडी ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और उनसे जुड़ी कंपनियों के 15 ठिकानों पर छापे मारे थे.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ को घर खरीदारों से धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार कर लिया है. मनोज गौड़ की गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में हुई है, जो खरीदारों के 12000 करोड़ रुपये पैसे की कथित हेराफेरी से जुड़ा है.
मई 2025 में, ईडी ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और उनसे जुड़ी कंपनियों के 15 ठिकानों पर छापे मारे थे. इस दौरान एजेंसी ने 1.7 करोड़ रुपये से ज्यादा नकद, कई वित्तीय दस्तावेज, डिजिटल डेटा और संपत्ति के कागजात जब्त किए थे, जो कंपनी के प्रमोटरों और उनके परिवारों के नाम पर थे. ये छापे दिल्ली, मुंबई, नोएडा और गाजियाबाद में PMLA 2002 के तहत चल रही जांच के हिस्से के तौर पर किए गए थे.
मनोज गौड़ की गिरफ्तारी को लेकर उनके दफ्तर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. जेपी इंफ्राटेक अगस्त 2017 में दिवालिया हो गई थी, जब आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले समूह की याचिका को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने स्वीकार किया था. कंपनी को नोएडा की अलग-अलग हाउसिंग परियोजनाओं में कुल 32,691 फ्लैट बनाकर देने थे. इनमें से 4,889 फ्लैट दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने से पहले पूरे हो चुके थे, जबकि 27,802 फ्लैट अधूरे रह गए थे.
दिवालिया प्रक्रिया के दौरान कंपनी ने 7,278 फ्लैट पूरे किए, लेकिन 31 मार्च 2019 तक 20,524 फ्लैट अब भी बाकी थे. कुल 20,097 फ्लैट, जिनमें से 17,756 जेपी विशटाउन में हैं, अब भी होमबायर्स को नहीं मिल पाए हैं. जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया (CIRP) अगस्त 2017 में शुरू हुई थी. 7 मार्च 2024 को एनसीएलटी ने मुंबई की सुरक्षा ग्रुप की बोली को मंजूरी दी, जिसके तहत इसने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड को खरीदने का प्रस्ताव दिया था.

