
3000 करोड़ का लोन घोटाला, ED ने कसा अनिल अंबानी पर शिकंजा
ED ने यस बैंक लोन घोटाले में अनिल अंबानी से जुड़ी कई जगहों पर छापेमारी की। 3,000 करोड़ के फर्जीवाड़े में 50 कंपनियों और 25 लोगों की जांच जारी है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को अनिल अंबानी से जुड़ी कई जगहों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई यस बैंक लोन घोटाले की जांच के तहत की गई है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस को फ्रॉड घोषित किया है और इसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी की रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भेजने का फैसला किया है।
50 से ज्यादा कंपनियों और 25 लोगों की जांच
ED फिलहाल 50 से अधिक कंपनियों और 25 व्यक्तियों की जांच कर रहा है, जिनके बारे में संदेह है कि वे इस फर्जीवाड़े के नेटवर्क का हिस्सा हैं। शुरुआती जांच में यह संकेत मिला है कि यस बैंक के प्रमोटरों ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह को भारी कर्ज मंजूर करने से ठीक पहले अपने निजी खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी। यह लेन-देन ‘कुछ दो कुछ लो’ (quid pro quo) की ओर इशारा करता है।
घूसखोरी और फर्जी दस्तावेज़ों का संदेह
ED को संदेह है कि बैंक अधिकारियों को रिश्वत दी गई और क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम (CAM) जैसे प्रमुख ऋण स्वीकृति दस्तावेजों को पिछली तारीखों में तैयार किया गया। जांच में यह भी सामने आया है कि बिना किसी उचित जांच या आंतरिक प्रक्रिया के निवेश प्रस्ताव रखे गए और बैंक की क्रेडिट नीतियों की अनदेखी की गई।
CBI की FIR और SEBI से मिली जानकारी के बाद कार्रवाई
यह सख्त कदम CBI की दो FIR और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) से मिली जानकारियों के आधार पर उठाया गया है।
3,000 करोड़ के लोन की जांच
ED की जांच के दायरे में 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा जारी किए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपए के लोन हैं, जिनके शेल कंपनियों और समूह से जुड़ी संस्थाओं में डायवर्जन का संदेह है। ऐसा भी शक है कि यस बैंक के कुछ अधिकारियों को कर्ज मंजूरी प्रक्रिया के दौरान मोटा कमीशन मिला।
सामने आई कई गंभीर अनियमितता
जांच में सामने आया है कि आर्थिक रूप से कमजोर कंपनियों को लोन दिए गए। दस्तावेजों को पीछे की तारीखों में तैयार किया गया। कई मामलों में लोन मंजूरी से पहले ही राशि जारी कर दी गई। खराब लोन को छुपाने के लिए एवरग्रीनिंग तकनीक अपनाई गई। एक ही व्यक्ति कई कर्ज लेने वाली कंपनियों में निदेशक था।
2020 में शुरू हुई थी बड़ी जांच
2020 में ED ने यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी की कंपनियों को दिए गए 12,500 से ₹12,800 करोड़ के लोन की जांच शुरू की थी। यह जांच यस बैंक के पतन और इसके संस्थापक राणा कपूर के खिलाफ ₹4,300 करोड़ की रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद शुरू हुई थी।
अनिल अंबानी की सफाई
अनिल अंबानी ने किसी भी गलत काम से इनकार किया। उन्होंने कहा कि ये लोन पूरी तरह सुरक्षित थे और राणा कपूर से उनका कोई संबंध नहीं था।