
गलत जानकारी देकर टैक्स रिफंड लेने से करें परहेज, पेनल्टी देने के साथ खानी पड़ सकती है जेल की हवा
फेक टैक्स रिफंड को लेकर इनकम टैक्स विभाग बेहत सख्त नजर आ रहा है. कई लोग गलत जानकारियां देकर टैक्स रिफंड क्लेम कर रहे हैं. ऐसा करने वाले टैक्सपेयर्स की मुश्किलें बढ़ सकती है.
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए आपके पास दो महीने शेष बचे हैं. वित्त वर्ष 2024-25 और एसेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की मियाद को 31 जुलाई से बढ़ाकर इस वर्ष 15 सितंबर 2025 कर दिया गया है. लेकिन टैक्सपेयर्स के लिए सबसे जरूरी है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के दौरान टैक्स रिफंड पाने के लिए वे कतई फेक डिडक्शन क्लेम ना करें. अगर आप आयकर रिटर्न में फर्जी डिडक्शन दिखा कर रिफंड लेने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाइए. फेक टैक्स डिडक्शन क्लेम करने पर पेनल्टी का तो भुगतान तो करना ही होगा साथ में जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है.
फेड रिफंड क्लेम करने वालों पर शिकंजा
दो दिन पहले ही इनकम टैक्स विभाग ने बताया कि फेक टैक्स छूट और डिडक्शन क्लेम करने के दावों को लेकर टैक्स विभाग ने देशभर में 150 ठिकानों पर रेड मारा है और बड़ी कार्रवाई की है. ऐसे रैकेट चलाने वालों से लेकर गलत रिटर्न तैयार करने वाले व्यक्तियों और संस्थाएं टैक्स डिपार्टमेंट के निशाने पर है. टैक्स डिपार्टमेंट के डेटा एनालसिस में पाया गया कि 10(13A), 80GGC, 80E, 80D, 80EE, 80EEB, 80G, 80GGA, और 80DDB के तहत सबसे ज्यादा फेक डिडक्शन क्लेम किया जाता है. इसका पता लगाने के लिए AI टूल्स और थर्ड पार्टी डेटा का इस्तेमाल किया गया है. जांच में पता लगा कि कुछ IT रिटर्न फाइल करने वाले संगठित गिरोह की तरह काम कर रहे हैं और झूठे रिटर्न दाखिल कर गलत तरीके से टैक्स रिफंड का दावा कर रहे हैं.
सेक्शन 80U का भी हो रहा गलत इस्तेमाल
आयकर विभाग अब ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई के लिए तैयार है. इसमें जुर्माना, केस दर्ज करने से लेकर कानूनी कार्रवाई शामिल है. टैक्स विभाग ने टैक्सपेयर्स से अपील की है कि सभी टैक्सपेयर्स अपने रिटर्न में सही जानकारी दें और अनधिकृत सलाहकारों या बिचौलियों के बहकावे में आकर फर्जी टैक्स रिफंड का दावा ना करें. टैक्स मामलों के जानकार गोपाल केडिया ने कहा, टैक्सपेयर्स को गलत डिक्लेरेशन के जरिए टैक्स रिफंड लेने से बचना चाहिए. उन्होंने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट में सेक्शन 80U के तहत विकलांग होने पर टैक्स बेनेफिट का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि इसका भी दुरुपयोग किया जाता है.
क्या होता है फर्जी टैक्स डिडक्शन
टैक्स रिटर्न दाखिल करने के दौरान टैक्सपेयर्स ऐसे कई खर्चों के लिए डिडक्शन क्लेम करते हैं जो उन्होंने कभी किया नहीं. इसमें सबसे प्रमुख सेक्शन 80G के तहत फर्जी एनजीओ को डोनेशन दिखाना. इसका अलावा सेक्शन 80D के तहत वो मेडिक्लेम प्रीमियम का भुगतान जो टैक्सपेयर कभी खरीदा ही नहीं. सेक्शन 80C के तहत गलत LIC या PPF निवेश का दावा. किराये के घर में नहीं रहने के बावजूद सेक्शन 10(14) के तहत एचआरए क्लेम करना. ये सभी रेड फ्लैग्स है जिनपर टैक्स विभाग की नजर रहती है. टैक्सपेयर्स द्वारा दिए गए डेटा को TDS, Form 26AS या AIS से मिलाया जाता है. ऐसे में टैक्सपेयर्स को वही डिडक्शन क्लेम करना चाहिए जिसका उनके पास पक्के प्रूफ या सबूत हो.