इस दिवाली, पड़ेगी महंगाई की मार? तोहफा देने पर जेब करनी पड़ सकती है अधिक ढीली
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इस दिवाली, पड़ेगी महंगाई की मार? तोहफा देने पर जेब करनी पड़ सकती है अधिक ढीली

फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है. यही समय होता है, जब विभिन्न सेक्टर की कंपनियां अपनी सेल बढ़ाने के लिए कई तरह के ऑफर देती हैं.


festive season impact inflation: फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है. यही समय होता है, जब विभिन्न सेक्टर की कंपनियां अपनी सेल बढ़ाने के लिए कई तरह के ऑफर देती हैं. क्योंकि, इसी समय ग्राहक सबसे अधिक खरीदारी करते हैं. हालांकि, इस बार महंगाई की मार त्योहारों पर भी पड़ते दिख रही है. खासकर जब भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दिवाली आने वाली है और लोग एक-दूसरो के तोहफा देने के लिए सूखे मेवे, चॉकलेट, कुकीज, जूस और आलू वेफर्स के गिफ्ट हैम्पर्स देते हैं. हालांकि, इन गिफ्ट्स पर महंगाई की मार पड़ते हुए दिखाई दे रही है, जिस वजह से इनकी बिक्री में गिरावट देखी जा सकती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिवाली पर जिन चीजों को सबसे अधिक गिफ्ट्स में दिया जाता है. उनके लिए लोगों को इस त्योहारी सीजन में पिछले साल की तुलना में औसतन 14% अधिक पैसे खर्च करने होंगे. क्योंकि काजू, बादाम और कैडबरी सिल्क, हर्षीज़ किसेस और फेरेरो रोशर जैसे चॉकलेट महंगे हो चुके हैं. ऐसे में उद्योग जगत को डर है कि इससे उपभोक्ता मांग कम हो सकती है. बादाम, काजू और कैलिफोर्निया पिस्ता की कम आपूर्ति ने खुदरा कीमतों में उछाल ला दिया है.

रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक मांग वाले ग्रेड बादाम की कीमत इस सितंबर में 27% बढ़कर 800 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो एक साल पहले 630 रुपये थी. हालांकि, किशमिश की कीमत वही है. लेकिन काजू में सबसे ज्यादा 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले साल के 700 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 960 रुपये हो गया है. काजू की कीमतों वृद्धि का एक कारण इस साल वैश्विक और घरेलू फसल में लगभग 15 फीसदी कमी है. ऐसे में डिमांड और सप्लाई में अंतर की वजह से काजू के कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.

वहीं, तीन से चार साल पहले, मांग-आपूर्ति में कोई बेमेल नहीं था, जिससे कीमतें 800-850 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रहती थीं. लेकिन फिर वैश्विक स्तर पर डिमांड के मुकाबले सप्लाई में कमी की वजह से कीमत बढ़ती रहीं. फिलहाल काजू की कीमतें 900-950 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हैं.

कैलिफोर्निया के पिस्ता का दाम भी करीब 7 फीसदी बढ़कर 1,030 रुपये से 1,100 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. इस साल कैलिफोर्निया के पिस्ता की फसल 1.1 अरब पाउंड है. जबकि पिछले साल 1.5 अरब पाउंड की फसल थी. ऐसे में कंपनियों को डर है कि मौजूदा ऊंची कीमतों से इस त्योहारी सीजन में मांग प्रभावित हो सकती है. हालांकि, ड्राई फ्रूट्स उद्योग को इस साल दिवाली की बिक्री में 10 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद है. लेकिन यह वृद्धि सामान्य उम्मीद का आधा होगा.

कोको की बात करें तो अगस्त 2022 से कोको की बढ़ती कीमतों से चॉकलेट्स को भारी नुकसान हुआ है. कई कंपनियों ने इसके पैक का वजन घटा दिया है और कीमत भी बढ़ा दी है. मिल्क चॉकलेट के 108 ग्राम पैक की कीमत 140 रुपये से बढ़कर 155 रुपये हो गई है. जबकि, मिल्क चॉकलेट प्रीमियम गिफ्ट बॉक्स 200 ग्राम (16 पीस) 524 रुपये से 5 फीसदी अधिक 549 रुपये में मिल रहे हैं.

महंगाई के कारण इस साल अधिकांश क्षेत्रों में उपभोग की मांग धीमी रही है. हालांकि, उद्योग को उम्मीद है कि दिवाली में सुधार होगा. घरेलू फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) बाजार ने जून तिमाही में कुल मात्रा वृद्धि में भारी गिरावट दर्ज की, जो एक साल पहले 7.5% और मार्च तिमाही में 6.5% की तुलना में 3.8% रह गई. पैकेज्ड फूड कैटेगरी में इस अवधि में 2.4% की वॉल्यूम ग्रोथ देखी गई. जबकि एक साल पहले यह 8.5% और मार्च में 4.8% थी.

लगभग 87% भारतीय खरीदार बढ़ती खाद्य कीमतों का असर महसूस कर रहे हैं. सामान्य मानसून, कम महंगाई और मजबूत त्योहारी स्टॉकिंग के कारण खपत बढ़ रही है, जिससे हालिया मंदी के पलटने की उम्मीद है. अन्य खाद्य श्रेणियों में, कुकीज़ की कीमतें 4-8% बढ़ गई हैं. जबकि घी और मक्खन जैसे दूध आधारित उत्पादों की कीमतों में 15-20% की वृद्धि हुई है, जिससे दूध आधारित मिठाइयों की कीमतें भी बढ़ गई हैं. बता दें कि भारत की रिटेल महंगाई अगस्त में 3.65% थी. जबकि जुलाई में यह 3.6% थी. वहीं, खाद्य मुद्रास्फीति खुदरा मुद्रास्फीति का लगभग आधा हिस्सा है, जो अगस्त में 5.66% थी. जबकि जुलाई में यह 5.42% थी.

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