
अब सिर्फ दो टैक्स स्लैब! जानिए कैसे बदल जाएगा पूरा GST सिस्टम
सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह एक सरल, स्थिर और पारदर्शी जीएसटी प्रणाली विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो समावेशी विकास, औपचारिक अर्थव्यवस्था और Ease of Doing Business को बढ़ावा दे।
15 अगस्त को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने "नेक्स्ट जनरेशन" जीएसटी सुधार** लागू करने की योजना के तहत दो स्लैब वाली जीएसटी दर संरचना का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। यह प्रस्ताव राज्यों के मंत्रियों के समूह (GoM) को सौंपा गया है। साथ ही कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए विशेष दरों (Special Rates) का भी सुझाव दिया गया है। इसका मकसद दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर टैक्स का बोझ कम करना और साधारण टैक्स प्रणाली को अपनाना है, जिसे इसी वित्तीय वर्ष में लागू करने की योजना है।
दो-स्लैब वाला प्रस्ताव
वर्तमान में जीएसटी की चार-स्तरीय कर संरचना है — 5%, 12%, 18% और 28%। इसमें आवश्यक वस्तुओं पर या तो टैक्स नहीं लगता या निचले स्लैब में रखा जाता है, जबकि लग्जरी और डिमेरिट आइटम्स को ऊपरी स्लैब में रखा गया है। इन पर अलग से मुआवजा उपकर (compensation cess) भी लगाया जाता है। अब केंद्र सरकार ने सुझाव दिया है कि जीएसटी को केवल दो स्लैब्स में बांटा जाए। पहला स्टैंडर्ड (Standard) और दूसरा मेरिट (Merit)। इसके अलावा चुनिंदा वस्तुओं पर विशेष टैक्स दरें लागू की जा सकती हैं। 31 मार्च 2026 को मुआवजा उपकर व्यवस्था समाप्त हो रही है। ऐसे में GST परिषद को यह भी तय करना होगा कि उन वस्तुओं पर कितना टैक्स लगाया जाए, जिन पर अभी उपकर लग रहा है।
GST सुधार की तैयारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में कहा था कि देश को इस दिवाली एक बड़ा तोहफा मिलेगा — जीएसटी में बड़े सुधार, जिससे टैक्स का बोझ घटेगा और लघु उद्योगों (MSMEs) को भी राहत मिलेगी। इसके तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने पुष्टि की कि जीएसटी सुधारों का प्रस्ताव तीन स्तंभों पर आधारित है:-
1. संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms)
2. दरों का युक्तिकरण (Rate Rationalisation)
3. ईज़ ऑफ लिविंग (Ease of Living)
सरल टैक्स संरचना की दिशा में कदम
केंद्र सरकार के प्रस्ताव में शामिल हैं:- आम उपभोक्ता वस्तुओं और आकांक्षात्मक वस्तुओं (aspirational goods) पर टैक्स में कमी, जीएसटी स्लैब्स की संख्या घटाकर सिर्फ दो करना और चुनिंदा वस्तुओं पर विशेष दरें लगाना। इसका उद्देश्य उपभोग को बढ़ावा देना, वस्तुएं सस्ती बनाना और आर्थिक गतिविधि में तेजी लाना है। इसके अलावा यह सुधार टैक्स वर्गीकरण से जुड़े विवादों को कम करेगा, उल्टे शुल्क ढांचे (Inverted Duty Structure)** को सुधारने में मदद करेगा और व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) को बढ़ाएगा।
ईज ऑफ लिविंग और डिजिटल प्रक्रिया
GST पंजीकरण को पूरी तरह तकनीक आधारित और सहज बनाया जाएगा, खासकर स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के लिए। इसके साथ पहले से भरे हुए GST रिटर्न (Pre-filled Returns), तेजी से रिफंड प्रोसेसिंग, विशेषकर निर्यातकों और उल्टे शुल्क ढांचे वालों के लिए।
GST परिषद और GoM की भूमिका
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद सितंबर में बैठक करेगी, जिसमें GoM के प्रस्तावों पर चर्चा होगी। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इस राज्य मंत्री समूह (GoM) के संयोजक हैं, जिसे टैक्स दरों का पुनर्गठन, उल्टे शुल्क ढांचे में सुधार, छूट की सूची की समीक्षा, राजस्व बढ़ाने के उपाय की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। यह समूह सितंबर 2021 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में बना था और जून 2022 में एक अंतरिम रिपोर्ट भी GST परिषद को सौंपी थी।