
new labour codes: क्रांतिकारी बदलाव या मामूली सुधार?
ये संहिताएं 2019 और 2020 में न्यूनतम परामर्श के साथ लाई गई थीं। इस बार भी अचानक घोषणा हुई। संसदीय स्थायी समिति ने मार्च 2025 में रिपोर्ट में कहा कि पिछले 10 सालों में भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया।
सरकार ने अचानक घोषणा की है कि चार श्रम संहिता 21 नवंबर 2025 से प्रभावी हो जाएंगी। यह निर्णय ऐसे समय आया है, जब इन कानूनों को 2019-2020 से रोक रखा गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में बिहार चुनाव में NDA की ऐतिहासिक जीत इस अचानक घोषणा के पीछे एक प्रमुख कारण हो सकती है।
ये चार संहिता हैं:-
1. वेतन संहिता, 2019
2. औद्योगिक संबंध संहिता, 2020
3. सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020
4. व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020
इनका नोटिफिकेशन पहले हो चुका था, लेकिन नियम जारी नहीं होने के कारण इन्हें लागू नहीं किया गया। केंद्र सरकार को डर था कि विपक्ष शासित राज्यों और ट्रेड यूनियनों से कड़ा विरोध हो सकता है। अब श्रम मंत्रालय ने कहा है कि सात दिन में नए ड्राफ्ट नियम जनता से राय के लिए साझा किए जाएंगे और 45 दिन तक सार्वजनिक परामर्श होगा। अंतिम नियमों के नोटिफिकेशन के बाद ही संहिताएं लागू होंगी।
विकास धीमा, निजी निवेश कम और FDI में भारी गिरावट
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अचानक इस निर्णय के पीछे आर्थिक स्थिति भी एक कारण हो सकती है। जीडीपी की वृद्धि दर पहले तिमाही में 7.8% रही, GST दरों में कटौती के बाद माहौल उत्साहित है, लेकिन RBI के अनुसार अगले तीन तिमाहियों में वृद्धि क्रमशः 7%, 6.4%, और 6.2% रह सकती है।
निजी क्षेत्र ने निवेश योजनाओं को लगातार चौथे तिमाही में वापस लिया, जिसकी कुल राशि 14.3 लाख करोड़ रुपये रही। यह पिछली अधिकतम राशि 13.4 लाख करोड़ रुपये (मार्च 2019) से अधिक है। निवेश वापसी का कारण अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से जुड़ी व्यापार अनिश्चितता मानी जा रही है।
नियोक्ताओं के लिए लाभ
नई श्रम संहिताओं में नियोक्ताओं को अधिक सुविधा दी गई है:-
* कार्य घंटे बढ़ाकर 8 घंटे से 12 घंटे प्रतिदिन किए गए, जबकि साप्ताहिक सीमा 48 घंटे बनी रहेगी।
* कर्मचारियों को निकालने की सीमा बढ़ाकर 100 से 300 कर्मचारियों तक कर दी गई।
* फिक्स्ड टर्म रोजगार (FTE) की नई श्रेणी जोड़ी गई, जिसमें कर्मचारी को वेतन और सामाजिक सुरक्षा मिलेगी, लेकिन स्थायी कर्मचारी नहीं बनाया जाएगा।
* नियोक्ता को ठेकेदार के रूप में दोहरी भूमिका निभाने की अनुमति, जिससे भर्ती में लचीलापन मिलेगा।
* हड़तालों पर सख्त प्रतिबंध और जुर्माने/कैद का प्रावधान।
* स्वास्थ्य और सुरक्षा उपाय अब 20 या अधिक कर्मचारियों (बिना बिजली) और 40 या अधिक कर्मचारियों (बिजली के साथ) वाले यूनिट्स पर लागू होंगे।
कर्मचारियों पर असर
सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम वेतन के लिए संहिताएं वादा करती हैं, लेकिन कई अपवाद भी हैं:-
कृषि क्षेत्र में 5 या उससे कम कर्मचारियों वाले कार्यस्थलों में न्यूनतम वेतन लागू नहीं होगा। गिग/प्लेटफॉर्म कर्मचारी, गृह-आधारित कर्मचारी, आंगनवाड़ी, ASHA, MGNREGS कर्मचारी न्यूनतम वेतन कवरेज में शामिल नहीं हैं। सामाजिक सुरक्षा योजना पर निर्भरता नियोक्ताओं द्वारा योगदान और सरकारी फंडिंग पर है।
विशेषज्ञों का कहना है कि 90% भारतीय कार्यबल असंगठित क्षेत्र में है, इसलिए न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा कवरेज सभी कर्मचारियों के लिए जरूरी था। नई संहिताएं एक सकारात्मक शुरुआत हैं, लेकिन “विकसित भारत@2047” के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
परामर्श के बिना लागू संहिताएं
ये संहिताएं 2019 और 2020 में न्यूनतम परामर्श के साथ लाई गई थीं। इस बार भी अचानक घोषणा हुई। संसदीय स्थायी समिति ने मार्च 2025 में रिपोर्ट में कहा कि पिछले 10 सालों में भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) आयोजित नहीं किया गया। समिति ने केंद्र से कहा था कि ILC को जल्द से जल्द बुलाया जाए, लेकिन केंद्र ने सुझाव को नजरअंदाज कर 21 नवंबर को संहिताओं को तुरंत लागू कर दिया। इस निर्णय के खिलाफ केंद्र सरकार के सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 26 नवंबर से राष्ट्रीय हड़ताल की घोषणा की है (केवल RSS से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर)।

