जीएसटी के चक्रव्यूह में पॉपकॉर्न! सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
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जीएसटी के चक्रव्यूह में पॉपकॉर्न! सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

GST Council Meeting: अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि जटिल जीएसटी से सरकारी खजाने में बहुत अधिक वृद्धि नहीं होती है. लेकिन उपभोक्ताओं पर भार बढ़ता है.


GST on popcorn: अक्सर फैमिली या दोस्तों के साथ जब भी आप थिएटर में मूवी देखने जाते हैं तो इंटरवल में पॉपकॉर्न (popcorn) के मजे जरूर लेते होंगे. हालांकि, अब पॉपकॉर्न का स्वाद लेना महंगा पड़ सकता है. दरअसल, राजस्थान के जैसलमेर में हुई जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक (GST Council Meeting) में पॉपकॉर्न पर टैक्स को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है. अब इसे खरीदने पर ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे. क्योंकि पॉपकॉर्न (popcorn) की कीमतें अब इसके फ्लेवर और पैकेजिंग के आधार पर निर्धारित होंगी. पहले से पैक और लेबल किए गए रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर 12% जीएसटी (GST) लगेगा. वहीं, चीनी के साथ मिक्स कारमेल पॉपकॉर्न (popcorn) पर 18% जीएसटी (GST) लागू होगा.

जीएसटी काउंसिल (GST Council) की इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई और इस पर तीखी बहस भी छिड़ गई है. यूजर्स मीम्स के जरिए सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाने लगे हैं. बता दें कि जीएसटी परिषद (GST Council) ने फैसला किया है कि सादे नमकीन पॉपकॉर्न (popcorn) पर केवल 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. जबकि पहले से पैक और लेबल वाली किस्म पर 12 प्रतिशत और कारमेलाइज्ड पॉपकॉर्न (popcorn) पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

बता दें कि भारत के जीएसटी (GST) में चार स्लैब हैं- 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत. वहीं, कुछ वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर भी हैं. जैसे पेट्रोलियम, कच्चा तेल, विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ), प्राकृतिक गैस और मानव उपभोग के लिए शराब. अब बात करते हैं पॉपकॉर्न की. पॉपकॉर्न को जीएसटी परिषद ने तीन श्रेणियों में विभाजित किया है. एक अभिजात्य, एक साधारण और एक इनके बीच का. इसके बाद सोशल मीडिया पर एक गरमागरम ऑनलाइन बहस छिड़ गई है.

वहीं, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने अपने एक्स हैंडल पर इसका गणित समझाया है. उन्होंने बताया कि साल 2025 में अनुमानित पॉपकॉर्न बिक्री (ग्लोबलडेटा से अनुमानित) = ₹1700 करोड़. मान लें कि संपूर्ण 18% है तो पॉपकॉर्न (popcorn) से जीएसटी कलेक्शन = ₹300 करोड़. कुल जीएसटी संग्रह (अनुमानित 2025) = ₹22,00,000 करोड़. ऐसे में पॉपकॉर्न (popcorn) निर्णय का अधिकतम राजस्व योगदान= 300/2200000 = 0.013%!

ऐसे में सुब्रमण्यन ने प्रशासनिक सुधारों की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए पूछा है कि ऐसे फैसले का औचित्य क्या है, जो राजस्व में अधिकतम 0.013% योगदान दे सकता है. लेकिन नागरिकों को असुविधा पहुंचा सकता है? उन्होंने आगे कहा है कि निर्णय लेने से पहले, अधिकारियों को आवश्यक रूप से इसका उद्देश्य पूछना चाहिए और इसके प्रभाव की जांच करने के लिए डेटा का इस्तेमाल करना चाहिए.

टैक्स आतंकवाद की चेतावनी

इससे पहले सुब्रमण्यन ने इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई की पोस्ट को इस टिप्पणी के साथ शेयर किया था कि "जटिलता नौकरशाहों के लिए खुशी और नागरिकों के लिए दुःस्वप्न है." पाई ने अपने एक्स पोस्ट में नई दरों को "मूर्खतापूर्ण और जटिल" बताया और चेतावनी दी कि इससे "टैक्स आतंकवाद" हो सकता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को टैग करके इस बात पर प्रकाश डाला कि "नागरिक खराब नीति के शिकार बन रहे हैं, जो उन्हें किराया मांगने वाले अधिकारियों के बंधक बना देगा और विवाद पैदा करेगा". उन्होंने कहा कि जीएसटी को सरल बनाने की जरूरत है.

एक अन्य पूर्व सीएफओ अरविंद सुब्रमण्यन ने इस निर्णय को “एक राष्ट्रीय त्रासदी बताया, जो जीएसटी को अच्छे और सरल कर के रूप में स्थापित करने की भावना का उल्लंघन करता है.” उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि मूर्खता और भी बढ़ गई है. क्योंकि सरलता की दिशा में आगे बढ़ने के बजाय हम अधिक जटिलता, कार्यान्वयन की कठिनाई और तर्कहीनता की ओर बढ़ रहे हैं.

क्रीम बन मामला

केवल पॉपकॉर्न ही नहीं, बल्कि जीएसटी (GST) वर्गीकरण की मूर्खता को कोयम्बटूर के होटल व्यवसायी डी. श्रीनिवासन ने खुद सीतारमण के साथ बैठक के दौरान भी सामने लाया था. श्रीनिवासन ने वित्त मंत्री से कहा था कि मैडम, बन पर जीएसटी नहीं लगता. लेकिन जब क्रीम लगाकर उसे क्रीम बन बनाया जाता है तो उस पर 12 प्रतिशत जीएसटी (GST) लगता है. अब ग्राहक कहते हैं कि 'आप बन और क्रीम अलग-अलग लाएं, मैं क्रीम बन बनाऊंगा'. इस पर दर्शकों ने ठहाके लगाए थे.

कोयंबटूर डिस्ट्रिक्ट होटलियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने मज़ाक में कहा कि जब कई तरह की चीज़ें मंगवाई जाती हैं तो होटलों और खाने-पीने की जगहों पर कंप्यूटर भी अलग-अलग जीएसटी दरों (GST) की गणना करने में संघर्ष करते हैं. उन्होंने मंत्री से आग्रह किया कि कम से कम सभी खाद्य पदार्थों के लिए एक समान दर होनी चाहिए. सीतारमण ने बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जीएसटी (GST) को सुचारू रूप से लागू करने और लोगों पर बोझ न बनने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. वह श्रीनिवासन की चुटकी से थोड़ी नाराज़ दिखीं और अफ़वाहों को हवा दी कि श्रीनिवासन को माफ़ी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा. क्योंकि उन्होंने इसके तुरंत बाद उनसे फिर मुलाकात की.

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