क्या GST कटौती से लौटे अच्छे दिन? खपत बढ़ी, पर निर्यात में झटका बरकरार
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क्या GST कटौती से लौटे अच्छे दिन? खपत बढ़ी, पर निर्यात में झटका बरकरार

GST कटौती के एक महीने बाद बाज़ार में जबरदस्त उछाल दिखा। FMCG से लेकर सोना-चांदी तक बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुँची। शेयर और बीमा सेक्टर भी चढ़े।


GST दरों में की गई बड़ी कटौती को एक महीना पूरा हो गया है, और अब सवाल यह है कि क्या इससे खपत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और क्या यह भारत की आर्थिक विकास दर को नया प्रोत्साहन दे सकती है?

पहले सवाल का जवाब आसान है — शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लेकिन दूसरा सवाल उतना सरल नहीं, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ नीतियों ने सितंबर में भारत के अमेरिका को होने वाले निर्यात को 12% तक घटा दिया। रुपये में तेज गिरावट और अमेरिकी टैरिफ को लेकर जारी अनिश्चितता के चलते आर्थिक विकास का परिदृश्य अभी धुंधला बना हुआ है।

सरकार का दावा: 20 लाख करोड़ की अतिरिक्त खपत

18 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल और अश्विनी वैष्णव ने मीडिया से कहा कि GST दरों में कटौती से चालू वित्तीय वर्ष में उपभोक्ता खर्च में लगभग 20 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी होगी, जिससे विकास दर में मजबूती आएगी।

हालांकि इस दावे को साबित करने के लिए ठोस आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं। कुछ डेटा आने में अभी हफ्तों या महीनों का समय लगेगा, लेकिन शुरुआती संकेत काफी सकारात्मक हैं।

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह असामान्य उछाल आंशिक रूप से 15 अगस्त से 22 सितंबर के बीच रुकी हुई खरीदारी के कारण भी हो सकता है — जब प्रधानमंत्री मोदी ने “GST दरों में दिवाली गिफ्ट” की घोषणा की थी और 22 सितंबर को नई दरें लागू हुईं।

FMCG और ऑटोमोबाइल में ‘डिफर्ड परचेज़’ का असर

मार्केट रिसर्च फर्म NielsenIQ के आंकड़ों के अनुसार, भारत में उपभोक्ताओं ने दर कटौती लागू होने से पहले बड़ी मात्रा में खरीदारी टाल दी थी। सितंबर तिमाही में FMCG प्रोडक्ट्स जैसे कि पैक्ड ग्रॉसरी, सॉफ्ट ड्रिंक, रेफ्रिजरेटर, एसी, और स्मार्टफोन की बिक्री में 5% से 25% तक की गिरावट देखी गई थी।

फर्म Bizom के हेड हर्षित बोरा ने बताया कि 3 सितंबर के बाद शुरुआती 10 दिनों में FMCG बिक्री में 18–20% की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन 22 सितंबर के बाद 30% तक की उछाल आई — जिसे उन्होंने “pent-up demand” यानी रुकी हुई मांग का नतीजा बताया।

नवरात्रि (22 सितंबर–2 अक्टूबर) के दौरान FMCG बिक्री पिछले साल की तुलना में बेहतर रही। बोरा के मुताबिक, “श्राद्ध” के बाद का समय खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है, इसलिए बिक्री में यह उछाल स्वाभाविक भी था।

ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी यही ट्रेंड दिखा। FADA (Federation of Automobile Dealers Association) की अगस्त रिपोर्ट का शीर्षक था — “GST 2.0 defers purchases to September”। रिपोर्ट में बताया गया कि अगस्त में बिक्री में मामूली बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन सितंबर के आखिरी दिनों में दर कटौती लागू होने के बाद खरीदारों की वापसी तेज़ रही।

सोना-चांदी की बिक्री में रिकॉर्ड उछाल

CAIT के महासचिव और भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक, 22 सितंबर से 18 अक्टूबर तक की दिवाली सीजन बिक्री ₹5.4 लाख करोड़ रही, जो 2024 के ₹4.25 लाख करोड़ से कहीं ज्यादा है।

इनमें सोना-चांदी (10% बढ़त), FMCG (12%), इलेक्ट्रॉनिक्स, मिठाई, गिफ्ट, परिधान और घरेलू सजावट के सामान की बिक्री में भारी वृद्धि शामिल है।

ऑल इंडिया ज्वेलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने बताया कि इस सीजन में सोना-चांदी की बिक्री ₹60,000 करोड़ तक पहुंच गई, जो पिछले साल ₹22,000 करोड़ थी।

सोने की बिक्री 25 टन से बढ़कर 30 टन, जबकि चांदी की 300 टन से बढ़कर 1,200 टन हो गई। उन्होंने कहा कि बढ़ती कीमतों के बावजूद निवेशक अब सोना-चांदी को सुरक्षित विकल्प मान रहे हैं — खासकर 2020 की महामारी के बाद से।

बीमा और शेयर बाजार में भी तेजी

GST कटौती के बाद बीमा क्षेत्र में भी उछाल देखा गया, खासकर टर्म और हेल्थ पॉलिसियों में। हालांकि आधिकारिक आंकड़े अभी आने बाकी हैं, परंतु विशेषज्ञों का मानना है कि दर कटौती के बाद बीमा खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।शेयर बाजार ने भी त्योहारी जोश का साथ दिया। Nifty50 और BSE Sensex ने 30 सितंबर से लगातार चढ़ाई शुरू की और 21 अक्टूबर की ‘मुहूर्त ट्रेडिंग’ में दोनों इंडेक्स में लगभग 0.3% की बढ़त दर्ज की गई।कुल मिलाकर 30 सितंबर से 21 अक्टूबर के बीच Nifty में 5.1% और Sensex में 5.2% की छलांग लगी।

भले ही अमेरिकी टैरिफ ने भारत के निर्यात को झटका दिया हो, लेकिन घरेलू खपत में उछाल ने फिलहाल उस असर को पीछे छोड़ दिया है। GST कटौती ने उपभोक्ताओं में फिर से ‘खर्च करने का आत्मविश्वास’ जगाया है।हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका असली आर्थिक प्रभाव आने वाले महीनों में ही स्पष्ट हो पाएगा।

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