GST Issue: कर्नाटक ने इंफोसिस को दिया नोटिस लिया वापस, DGGI को जवाब दाखिल करने को कहा
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GST Issue: कर्नाटक ने इंफोसिस को दिया नोटिस लिया वापस, DGGI को जवाब दाखिल करने को कहा

कर्नाटक अथॉरिटीज ने इंफोसिस को दिया गया कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया है और जीएसटी मांग से जुड़े मुद्दे पर डीजीजीआई को नया जवाब देने का निर्देश दिया है.


Infosys GST Issue: कर्नाटक अथॉरिटीज ने इंफोसिस को दिया गया कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया है और आईटी कंपनी को करीब 32,400 करोड़ रुपये की जीएसटी मांग से जुड़े मुद्दे पर डीजीजीआई केंद्रीय प्राधिकरण को नया जवाब देने का निर्देश दिया है. बता दें कि डीजीजीआई जीएसटी, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर के उल्लंघन से संबंधित मामलों के लिए सर्वोच्च खुफिया और जांच एजेंसी है और इसे अप्रत्यक्ष कर कानूनों के अनुपालन में सुधार लाने का कार्य सौंपा गया है.

इंफोसिस ने बीएसई को दी गई सूचना में कहा कि कंपनी को कर्नाटक राज्य अथॉरिटीज से एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें पूर्व-कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया गया है और कंपनी को इस मामले पर डीजीजीआई केंद्रीय प्राधिकार को आगे की प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.

बता दें कि भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी ने तब सुर्खियां बटोरीं, जब जीएसटी अधिकारियों ने कंपनी को 2017 से पांच साल के लिए अपनी विदेशी शाखाओं से प्राप्त सेवाओं के लिए 32,403 करोड़ रुपये का नोटिस थमा दिया. कंपनी ने पहले नोटिस को 'पूर्व-कारण बताओ' नोटिस बताया था और पूरे समय स्पष्ट रूप से कहा था कि उसका मानना है कि उल्लिखित खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं है.

एसकेआई कैपिटल के प्रबंध निदेशक और सीईओ नरिंदर वाधवा ने कहा कि बाजार में स्थिरता और निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय जोखिम वाली कंपनियों के खिलाफ मामलों में आगे बढ़ने से पहले गहन जांच और स्पष्ट सबूत महत्वपूर्ण हैं. वाधवा - जो पीएचडीसीसीआई में पूंजी बाजार और कमोडिटी बाजार समिति के सह-अध्यक्ष भी हैं - ने कहा कि जीएसटी विभाग को बड़ी, प्रतिष्ठित कंपनियों, विशेष रूप से इंफोसिस जैसी कंपनियों के खिलाफ इस तरह के नोटिस जारी करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, जिनका प्रमुख कारोबार अंतरराष्ट्रीय है.

आरोप और प्रतिष्ठा को नुकसान इन कंपनियों के व्यावसायिक संचालन और बाजार की स्थिति को काफी प्रभावित कर सकता है. पर्याप्त वैश्विक व्यवसाय वाली कंपनियों के लिए, इस तरह के प्रतिष्ठा संबंधी नुकसान से क्लाइंट का विश्वास खत्म हो सकता है और संभावित रूप से अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और राजस्व प्रवाह प्रभावित हो सकता है. बेंगलुरु मुख्यालय वाली आईटी फर्म ने बुधवार को खुलासा किया कि कर्नाटक राज्य जीएसटी अधिकारियों ने इंफोसिस लिमिटेड के विदेशी शाखा कार्यालयों द्वारा किए गए खर्चों के लिए जुलाई 2017 से मार्च 2022 की अवधि के लिए 32,403 करोड़ रुपये के जीएसटी के भुगतान के लिए प्री-शो कॉज नोटिस जारी किया था और कहा कि कंपनी ने प्री-शो कॉज नोटिस का जवाब दिया है.

इंफोसिस ने बुधवार को वैधानिक फाइलिंग में कहा था कि कंपनी को इसी मामले में जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक से कारण बताओ नोटिस भी मिला है और कंपनी इसका जवाब देने की प्रक्रिया में है. कंपनी का मानना है कि नियमों के अनुसार, ऐसे खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होता है. इंफोसिस ने कहा कि इसके अतिरिक्त जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा हाल में जारी परिपत्र के अनुसार, विदेशी शाखाओं द्वारा भारतीय इकाई को प्रदान की जाने वाली सेवाएं जीएसटी के अधीन नहीं हैं.

इंफोसिस ने तर्क दिया था कि जीएसटी भुगतान आईटी सेवाओं के निर्यात के बदले क्रेडिट या रिफंड के लिए पात्र हैं. कंपनी ने कहा कि इंफोसिस ने अपना पूरा जीएसटी बकाया चुका दिया है और इस मामले में वह केंद्र और राज्य के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही है.

रिपोर्टों के अनुसार, जीएसटी अधिकारियों द्वारा इंफोसिस को भेजे गए दस्तावेज़ में कहा गया है: विदेशी शाखा कार्यालयों से आपूर्ति प्राप्त करने के बदले में, कंपनी ने विदेशी शाखा व्यय के रूप में शाखा कार्यालयों को प्रतिफल का भुगतान किया है. इसलिए, मेसर्स इंफोसिस लिमिटेड, बेंगलुरु 2017-18 (जुलाई 2017 से) से 2021-22 की अवधि के लिए भारत के बाहर स्थित शाखाओं से प्राप्त आपूर्ति पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत 32,403.46 करोड़ रुपये के आईजीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है.

यह मांग - 32,403 करोड़ रुपये - इंफोसिस के एक साल के मुनाफे से भी ज्यादा है. अभी-अभी समाप्त तिमाही में इंफोसिस का शुद्ध लाभ साल-दर-साल 7.1 प्रतिशत बढ़कर 6,368 करोड़ रुपये हो गया और परिचालन से राजस्व 39,315 करोड़ रुपये रहा, जो साल-दर-साल 3.6 प्रतिशत की वृद्धि है.

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