जीएसटी सुधारों पर विपक्षी राज्यों में मतभेद: केरल विरोध में, तमिलनाडु सतर्क
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जीएसटी सुधारों पर विपक्षी राज्यों में मतभेद: केरल विरोध में, तमिलनाडु सतर्क

केरल ने जीएसटी कटौती से राजस्व हानि की चिंता जताई, तमिलनाडु ने चिंताओं के साथ सुधारों का स्वागत किया, बंगाल ने बीमा कर वापसी को बड़ी जीत बताया.


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GST Council And States : जीएसटी परिषद द्वारा हाल ही में दरों में की गई कटौती पर विपक्ष शासित राज्यों की प्रतिक्रियाएँ एक जैसी नहीं रहीं। केरल ने इसे राजस्व के लिहाज़ से बड़ा झटका करार दिया है, जबकि तमिलनाडु ने सुधारों का स्वागत तो किया लेकिन राज्य की आय पर असर को लेकर चिंता भी जताई। वहीं पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने इस फैसले को “जनता की जीत” बताया और दावा किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लगातार चेतावनियों के बाद ही केंद्र को झुकना पड़ा।

केरल का आरोप – मुआवज़े की अनदेखी

केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने गुरुवार (4 सितंबर) को कहा कि जीएसटी दरों में कमी से राज्य को हर साल 8 से 10 हज़ार करोड़ रुपये तक का नुकसान होगा। उनका आरोप है कि परिषद की बैठक में राज्यों को पर्याप्त मुआवज़ा देने के मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठाया गया।

बालगोपाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि सीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और बीमा जैसे क्षेत्रों से ही लगभग 2,500 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा होने का अनुमान है।

तमिलनाडु ने सुधारों को सराहा, मगर जताई चिंता

तमिलनाडु सरकार ने व्यक्तिगत जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा सेवाओं को जीएसटी से छूट देने के कदम का स्वागत किया है। हालांकि, राज्य के वित्त मंत्री थंगम थेन्नारासु ने स्पष्ट किया कि राजस्व की सुरक्षा के लिए ठोस उपाय ज़रूरी हैं।

थेन्नारासु ने सुझाव दिया कि या तो संविधान संशोधन के ज़रिए उपकर की मौजूदा व्यवस्था को आगे बढ़ाया जाए या फिर सिर्फ़ पाप और विलासिता वाली वस्तुओं पर कर की दरें बढ़ाई जाएँ।

3 सितंबर को नई दिल्ली में हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में हिस्सा लेते हुए उन्होंने यह भी कहा कि आईजीएसटी निपटान प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अधिकारियों की समिति की रिपोर्ट को पूरी तरह लागू करना होगा। परिषद ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि इसे दिसंबर 2025 तक लागू किया जाएगा।

राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, मंत्री ने निर्यात के लिए स्वचालित रिफंड प्रणाली, उल्टे शुल्क ढांचे को सुधारने और छोटे कारोबारियों के लिए सरल पंजीकरण की व्यवस्था का स्वागत किया।

उन्होंने उम्मीद जताई कि चूँकि परिषद ने 31 अक्टूबर 2025 से पाप वस्तुओं पर क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि 2-3 महीने बढ़ाने की सिफारिश की है, इसलिए तमिलनाडु के अन्य सुझावों पर भी भविष्य में विचार किया जाएगा। बैठक में राज्य के वित्त विभाग के प्रमुख सचिव टी. उदयचंद्रन समेत आईटी और वाणिज्यिक कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

बंगाल बोला – जनता की जीत, केंद्र की मजबूरी

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट दिलाने का श्रेय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जाता है। पार्टी का कहना है कि ममता बनर्जी ने शुरू से ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चेतावनी दी थी कि बीमा पर कर लगाना न केवल “क्रूर” बल्कि “जनविरोधी” कदम है।

टीएमसी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा –

“यह आम लोगों की जीत है। ऐसी सरकार से मिली जीत जो केवल मजबूरी में सुनती है। ममता बनर्जी ने पहले ही दिन वित्त मंत्री को कहा था कि बीमा प्रीमियम पर टैक्स परिवारों को भविष्य सुरक्षित करने से रोकेगा और संकट के समय उन्हें आर्थिक तबाही की ओर धकेल देगा।”


( एजेंसी इनपुट के साथ )

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