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इनकम टैक्स के बाद जीएसटी स्लैब रेट में बदलाव की तैयारी में सरकार, खत्म किया जा सकता है 12% GST रेट

जुलाई महीने में जीएसटी काउंसिल की बैठक संभावित है जिसमें जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने से लेकर उसके युक्तिकरण को लेकर फैसला लिया जा सकता है.


जीएसटी स्लैब को लेकर सरकार बड़े फैसले लेने की तैयारी कर रही है. वित्त वर्ष 2025-26 में 12 लाख रुपये तक सलाना इनकम वालों को इनकम टैक्स में बड़ी राहत देने के बाद अब सरकार मिडिल क्लास और कम आय वाले वर्ग को राहत देने के लिए जीएसटी (Goods and Services Tax) रेट and Services Tax में कमी करने के साथ स्लैब में बड़े बदलाव की तैयारी में है. सरकार 12 फीसदी जीएसटी स्लैब को खत्म करने या 12 फीसदी स्लैब में आने वाले गुड्स को 5 फीसदी स्लैब में डाल सकती है.

जुलाई महीने में जीएसटी काउंसिल की बैठक संभावित है जिसमें जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने से लेकर उसके युक्तिकरण को लेकर फैसला लिया जा सकता है. जीएसटी स्लैब रेट में बदलाव का असर सबसे ज्यादा उन वस्तुओं पर पड़ेगा जिसका इस्तेमाल मध्यम-वर्ग और कम आय वाले लोग करते हैं. इन गुड्स में टूथपेस्ट, टूथ पाउडर, छाता, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, किचन में इस्तेमाल किए जाने वाली वस्तुएं, इलेक्ट्रिक ऑयरन, गीजर, वॉशिंग मशीन, साइकिल और 1000 रुपये से ज्यादा कीमत वाले रेडीमेड गार्मेंट्स पर जीएसटी रेट्स को घटाने में मदद मिलेगी. अगर जीएसटी स्लैब रेट में बदलाव हुआ तो कई चीजें सस्ती हो सकती है.

जीएसटी स्लैब रेट में बदलाव से सरकार के खजाने पर 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. सरकार का मानना है कि पहले इनकम टैक्स में राहत और अब जीएसटी स्लैब रेट में बदलाव से देश में डिमांड और खपत को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

आपको बता दें जीएसटी रेवेन्यू जो सरकार को प्राप्त होता है उसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी 18 फीसदी वाले जीएसटी स्लैब की है. जीएसटी रेवेन्यू में इसकी हिस्सेदारी 75 फीसदी तक है. जबकि सबसे कम 5.6 फीसदी रेवेन्यू 12 फीसदी जीएसटी स्लैब से आया था. ऐसे में सरकार 18 फीसदी स्लैब रेट के साथ कोई बदलाव करेगी इसके आसार बेहद कम है.

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