देश में टैक्स देने में घटे 10 लाख से कम कमाने वाले लोग, जानें फिर कैसे बढ़ा टैक्स कलेक्शन
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देश में टैक्स देने में घटे 10 लाख से कम कमाने वाले लोग, जानें फिर कैसे बढ़ा टैक्स कलेक्शन

आयकर विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक दशक में भारत में टैक्स को लेकर बदलाव देखने को मिला है.


India tax collection: भारत सरकार का नेट टैक्स कलेक्शन पिछले साल की तुलना में 15.4 प्रतिशत बढ़कर 12.1 खरब रुपये हो गया. आयकर विभाग (Income Tax Department) ने 1 अप्रैल से 10 नवंबर के दौरान हुए कलेक्शन की जानकारी देते हुए कहा है कि इस दौरान डायरेक्ट टैक्स सकल आधार पर 21 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 15 खरब रुपये हो गया है. इसमें कॉर्पोरेट और पर्सनल टैक्स भी शामिल हैं. हालांकि, आयकर विभाग (Income Tax Department) के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि पिछले एक दशक में भारत में 10 लाख रुपये से कम आय वाले लोगों से लिए जाने वाले टैक्स का हिस्सा 10% से घटकर 6.22% हो गया है. लेकिन इस बीच उच्च आय (High Income) वाले लोग टैक्स पूल में तेजी से योगदान दे रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आंकड़ों से पता चला है कि 50 लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों द्वारा दाखिल किए गए कर रिटर्न की संख्या साल 2014 में 1.85 लाख से बढ़कर 2024 में 9.39 लाख हो गई है. इस ग्रुप से टैक्स कलेक्शन तीन गुना बढ़ गया है, जो साल 2014 में 2.52 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 9.62 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

वहीं, निम्न और मध्यम आय वर्ग पर टैक्स देयता कम हो गई है. जबकि, 50 लाख से अधिक आय वाले लोगों की अनुपालन और कर देयता बढ़ गई है. यही कारण है कि टैक्स कलेक्शन बढ़ गया है. ई-गवर्नेंस और डेटा शेयर करने से लोगों के लिए अनुपालन करना आसान हो गया है.

टैक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों और विश्लेषण की जानकारी रखने वालों का मानना है कि यह सरकार की प्रगतिशील टैक्स नीतियों का परिणाम है. पहले जहां प्रवर्तन पर अधिक ध्यान दिया जाता था. लेकिन आज सूचना शेयर करने और प्रेरित करने पर अधिक ध्यान दिया जाता है. कर विभाग का काम अब प्रवर्तन के बजाय 'सहभागी कर प्रशासन' है.

वहीं, डेटा यह भी दिखाता है कि पिछले एक दशक में व्यक्तिगत आयकर प्रणाली अधिक प्रगतिशील हो गई है, जिसमें मध्यम आय वालों को राहत मिल रही है और 50 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों की कर देयता बढ़ रही है.

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