...तो क्या चीन रह जाएगा पीछे? अमेरिका के इस कदम से भारत को मिलने जा रहा फायदा!
अमेरिका चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है. अगर ऐसा होता है तो इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को मिलेगा.
India economy growing: भारत की अर्थव्यवस्था तेजी के साथ बढ़ रही है. वहीं, अमेरिका चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है. इसी कड़ी में अमेरिकी सरकार दो नये बिल पेश करने जा रही है. इसका मकसद अमेरिकी कंपनियों को चीन से बाहर ले जाना है. अगर ऐसा होता है तो इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को मिलेगा. हालांकि, इसके लिए भारत को अपने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत करना होगा. क्योंकि सबसे ज्यादा निवेश इसी सेक्टर में आने की संभावना है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका-चीन व्यापारिक जंग में बढ़ोतरी के चलते भारत को अपने निर्यात बढ़ाने और अमेरिकी कंपनियों से निवेश आकर्षित करने में मदद मिलने की उम्मीद है. अमेरिकी सीनेट द्वारा पेश किए गए दो बिल पीएनटीआर अधिनियम और गैर-बाजार शुल्क चोरी (एएनटीई) को समाप्त करने वाला अधिनियम स्थानीय उद्योगों में विकास ला सकते हैं. क्योंकि कंपनियां चीन से प्रोडक्शन दूर ले जाना चाहती हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जैसे-जैसे अमेरिकी कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करती हैं. भारत का मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और अन्य उद्योगों में अधिक निवेश आ सकता है. पीएनटीआर अधिनियम चीन की अनुकूल व्यापार स्थिति को समाप्त करना चाहता है. जबकि एएनटीई अधिनियम कड़े उपायों के साथ चीन और रूस जैसी गैर-बाजार अर्थव्यवस्थाओं को लक्षित करता है.
ऐसे में भारत को निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से चीनी फर्मों और निवेश को आमंत्रित करने के अपने प्रस्तावों पर पुनर्विचार करना चाहिए. क्योंकि चीनी उत्पादों पर उच्च टैरिफ भारत के लिए अपने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है. भारत को चीन के विकल्प तलाशने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों से निवेश आकर्षित करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए. अमेरिका में चीनी आयात में कमी के कारण छोड़े गए अंतर को भरने के लिए घरेलू उत्पादन क्षमताओं को बढ़ावा देना आवश्यक होगा. खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, कपड़ा और सौर पैनल निर्माण में.