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टैरिफ चुनौती के बीच भारत के निर्यात ने दिखाई मजबूती, 2026 में और तेजी की उम्मीद

Indian export: मौजूदा रुझानों के आधार पर 2026 में भी भारत का निर्यात मजबूत वृद्धि दर्ज करेगा। अगले साल तीन मुक्त व्यापार समझौते (यूके, ओमान और न्यूज़ीलैंड) लागू होंगे, जो माल और सेवा निर्यात के लिए नए बाजार खोलेंगे।


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India exports in 2025: साल 2025 में अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों की राह मुश्किल कर दी, लेकिन भारत ने दुनिया में नये बाजार खोजकर इस चुनौती को पार कर लिया। अमेरिका जैसे बड़े निर्यातक की बाधाओं के बावजूद भारतीय निर्यात स्थिर और मजबूती से बढ़ता रहा और अब विशेषज्ञ मान रहे हैं कि 2026 में यह गति और तेज़ हो सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नवीन उत्पाद, नए बाजार और मजबूत नीति समर्थन भारत के निर्यात को वैश्विक चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ा रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोविड-19 महामारी (2020-22), रूस-यूक्रेन युद्ध (2022 से), इजराइल-हमास युद्ध (2023 से), रेड सी शिपिंग संकट (2023-24), सेमीकंडक्टर की कमी और अब अमेरिका के उच्च शुल्क जैसी कई बाधाओं के बावजूद भारत के माल निर्यात ने तेजी से प्रतिक्रिया दी।

निर्यात का प्रदर्शन

2020 में भारत का माल निर्यात USD 276.5 बिलियन था, जो 2021 में बढ़कर USD 395.5 बिलियन और 2022 में USD 453.3 बिलियन हो गया। 2023 में यह घटकर USD 389.5 बिलियन रह गया, लेकिन 2024 में फिर बढ़कर USD 443 बिलियन हो गया। 2025 (जनवरी-नवंबर) में निर्यात USD 407 बिलियन तक पहुंच गया। भारत का माल और सेवा निर्यात 2024-25 में ऐतिहासिक USD 825.25 बिलियन तक पहुंच गया, जो 6 प्रतिशत से अधिक साल-दर-साल वृद्धि दर्शाता है। अप्रैल-नवंबर 2025 में यह USD 562 बिलियन रहा। उन्होंने कहा कि यह निरंतर वृद्धि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की मजबूती को दिखाती है।

2026 के लिए उम्मीद

मौजूदा रुझानों के आधार पर 2026 में भी भारत का निर्यात मजबूत वृद्धि दर्ज करेगा। अगले साल तीन मुक्त व्यापार समझौते (यूके, ओमान और न्यूज़ीलैंड) लागू होंगे, जो माल और सेवा निर्यात के लिए नए बाजार खोलेंगे। हालांकि, अगस्त 2025 से अमेरिकी उच्च शुल्क के कारण सितंबर और अक्टूबर में निर्यात प्रभावित हुआ, फिर भी नवंबर में अमेरिकी निर्यात 22.61 प्रतिशत बढ़कर USD 6.98 बिलियन हो गया। निर्यातक अभी भी वैश्विक अस्थिरताओं को देखते हुए सतर्क हैं और अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौतों पर उम्मीद लगाए हुए हैं।

वैश्विक परिदृश्य

विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने 2025 में वैश्विक व्यापार में 2.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था, लेकिन 2026 के लिए यह केवल 0.5 प्रतिशत रह गया है। WTO ने चेतावनी दी है कि उच्च शुल्क, अनिश्चित व्यापार नीतियाँ और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में धीमी आर्थिक वृद्धि व्यापार और विनिर्माण को प्रभावित कर सकती है।

सरकार की पहल

सरकार ने निर्यातकों की मदद के लिए कई कदम उठाए हैं। जैसे कि 25,060 करोड़ रुपये का निर्यात प्रोत्साहन मिशन, पात्र निर्यातकों के लिए 20,000 करोड़ रुपये तक का कोलैटरल-फ्री क्रेडिट, निर्यात लोन पर मियाद और भुगतान अवकाश में बढ़ोतरी और मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) का लाभ उठाना। पिछले पांच साल में सरकार ने सबसे अधिक FTAs पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें मॉरिशस, ऑस्ट्रेलिया, UAE, ओमान, यूके, EFTA और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं।

विशेषज्ञों और निर्यातकों के अनुसार, घरेलू वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिस्पर्धा बढ़ने, उत्पाद और बाजारों के विविधीकरण के कारण, 2026 में भारत का निर्यात वृद्धि की ओर बढ़ेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में लगभग 39 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इंजीनियरिंग उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव निर्यात भी इस गति को बनाए रखेंगे। भू-राजनीतिक विविधीकरण के चलते अमेरिका और UAE के अलावा निर्यात अब यूरोप, पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया में फैल रहा है। नवंबर 2025 में अमेरिकी निर्यात लगभग 22 प्रतिशत बढ़ा, जबकि स्पेन को निर्यात में लगभग 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के बदलाव और भारत में व्यापार सुगमता निर्यातकों को स्थिरता बनाए रखने में मदद करेंगे।

चुनौतियां

हालांकि, निर्यात का रुझान सकारात्मक है, 2026 में निर्यातकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:-

* वैश्विक राजनीतिक तनाव और व्यापार विभाजन

* विकसित बाजारों में धीमी वृद्धि

* संरक्षणवादी नीतियां और गैर-शुल्क बाधाएं

* मुद्रा विनिमय में अस्थिरता, उच्च परिवहन और बीमा लागत

भारतीय रुपये की कीमत 2025 में लगभग 5 प्रतिशत गिरकर 90 रुपये/डॉलर के आसपास रही।

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