
Year 2026: भारत की आर्थिक ताकत के लिए अहम साल
domestic industrial policy: 2026 भारत के लिए मोड़ का साल साबित हो सकता है। कई समझौते पहले ही लागू हैं, कुछ जल्द एक्टिव होंगे और घरेलू सुधार स्पीड पकड़ रहे हैं।
India trade agreements: भारत अब सिर्फ बाजार में खिलाड़ी नहीं, बल्कि वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग और आर्थिक ताकत बनने की तरफ बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, यूके, न्यूजीलैंड और खाड़ी देशों के साथ नए समझौते, घरेलू सुधार और प्रोडक्शन को प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं का संगम साल 2026 में भारत के लिए इतिहास बदलने वाला साबित हो सकता है। इस साल व्यापार नीति सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि देश के हर फैक्ट्री, हर नौकरी और हर बाजार तक असर डालने वाली हो सकती है।
नीतियों पर ध्यान
भारत के नीति एजेंडे में उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI), श्रम सुधार और सप्लाई-चेन मजबूती प्रमुख हैं। साल 2026 वह समय हो सकता है, जब भारत की व्यापार रणनीति और निर्माण महत्वाकांक्षा बड़े पैमाने पर एक-दूसरे को मजबूत करें।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयुष गोयल ने सोमवार को भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ECTA) की घोषणा की। 1 जनवरी 2026 से ऑस्ट्रेलिया, भारतीय निर्यात के लिए अपने 100% टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क (ड्यूटी फ्री) सुविधा देगा।
यह केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारत के लिए विकसित अर्थव्यवस्था के साथ सबसे व्यापक बाजार पहुंच का संकेत है। विशेष रूप से टेक्सटाइल, परिधान, चमड़ा, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड्स जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए यह अवसर महत्वपूर्ण है। गोयल ने कहा कि ECTA पहले ही परिणाम दे चुका है। पिछले तीन वर्षों में भारत का ऑस्ट्रेलिया निर्यात लगातार बढ़ा है, 2024–25 में 8% की वृद्धि हुई और व्यापार संतुलन में सुधार हुआ। 2026 से पूरी तरह ड्यूटी-फ्री पहुंच की संभावना इन लाभों को और बढ़ाएगी।
साथ ही, भारत ने खाड़ी देशों के साथ भी कदम बढ़ाया। वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि भारत और बहरीन ने सम्पूर्ण आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) पर वार्ता शुरू करने के लिए मसौदा शर्तों का आदान-प्रदान किया है। इसके तहत व्यापार और निवेश पर संयुक्त कार्य समूह भी गठित किया जा रहा है। यह संकेत है कि भारत ऊर्जा क्षेत्र से आगे बढ़कर मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और सेवाओं में खाड़ी देशों के साथ आर्थिक एकीकरण बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
व्यापार समझौतों की सूची
यूके समझौता: टैरिफ कटौती के साथ भारत के संवेदनशील विनिर्माण क्षेत्रों और पेशेवर सेवाओं की सुरक्षा।
न्यूजीलैंड समझौता: प्रतिस्पर्धा की बजाय पूरक बाजार पहुंच, कृषि और डेयरी क्षेत्रों में व्यवधान से बचा।
ओमान समझौता: खाड़ी में भारत की सप्लाई चेन को मजबूत किया।
इसके अलावा 2026 में अमेरिका, यूरोपीय संघ, पेरू, चिली के साथ समझौते पूरी तरह सक्रिय हो सकते हैं। कनाडा के साथ वार्ता फिर से शुरू करने की योजनाएं भी हैं।
भारत की रणनीति
विश्व व्यापार क्षेत्र में क्षेत्रीय ब्लॉकों और भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारत किसी एक बाजार पर निर्भरता कम कर रहा है। यूरोप, लैटिन अमेरिका, खाड़ी और इंडो-पैसिफिक में कदम रखते हुए भारत अवसर और जोखिम दोनों फैलाने की कोशिश कर रहा है। यह रणनीति आर्थिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह भारत को टैरिफ शॉक, सप्लाई डिस्टर्बेंस और राजनीतिक दबाव से बचाती है। साथ ही, भारत अब रक्षात्मक से सक्रिय भूमिका में बदल रहा है। वह तभी समझौते करता है जब घरेलू सुधारों, रोजगार और विनिर्माण क्षमता पर असर न पड़े।
2026 में निर्माण क्षेत्र की संभावनाएं
2026 का महत्व केवल समझौतों की संख्या में नहीं, बल्कि घरेलू सुधारों के साथ समयबद्ध तालमेल में है। भारत वैश्विक निर्माण केंद्र बनने की कोशिश कर रहा है, जिसमें PLI, आधारभूत संरचना निवेश और श्रम सुधार शामिल हैं।
व्यापार समझौते: बाजार पहुंच बढ़ाते हैं, लागत कम करते हैं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद करते हैं।
श्रम सुधार: नियमों को सरल बनाते हैं और उत्पादन में लचीलापन लाते हैं।
PLI और निवेश: जोखिम कम करते हैं और विनिर्माण वृद्धि को बढ़ावा देते हैं।
इस तरह भारत का व्यापार नीति अब निर्माण और घरेलू औद्योगिक सुधार का माध्यम बन गया है।
2026: बदलाव का साल
इन सभी पहलुओं के आधार पर 2026 भारत के लिए मोड़ का साल साबित हो सकता है। कई समझौते पहले ही लागू हैं, कुछ जल्द एक्टिव होंगे और घरेलू सुधार गति पकड़ रहे हैं। अगर सब सही तरीके से लागू हुआ तो भारत छोटे फायदों से बड़े निर्माण पैमाने की ओर बढ़ सकता है। हालांकि, चुनौतियां बनी रहेंगी—वैश्विक मांग, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और क्रियान्वयन जोखिम। फिर भी भारत का व्यापक व्यापार नेटवर्क, रणनीतिक वार्ता और निर्माण-केंद्रित सुधार इसे 2026 में वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनने की दिशा में मजबूत स्थिति में रखता है।

