
विदेशी पूंजी कम, घरेलू निवेश बढ़ा: 2025 में IPO बाजार ने भरी रफ्तार
साल 2025 में भारत के IPO बाजार की खास बात यह है कि अब कौन निवेश कर रहा है, न कि सौदे का आकार। विदेशी निवेशकों के पीछे हटने के बावजूद घरेलू पूंजी बाजार की लचक बढ़ाने वाली शक्ति बन गई है और यह रुझान वर्तमान चक्र के बाद भी जारी रह सकता है।
साल 2025 में भारत का IPO बाजार वैश्विक स्तर पर सबसे मजबूत बना हुआ है। यह स्थिति उस समय आई, जब घरेलू शेयर बाजार कमजोर थे और विदेशी निवेशकों ने तेज़ी से पूंजी वापस ली। मोटिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अब तक भारतीय कंपनियों ने IPO के माध्यम से लगभग $21.7 बिलियन जुटाए हैं। यह राशि 2024 की तुलना में अधिक है, जिसे भी प्राथमिक बाजार के लिए एक ब्लॉकबस्टर साल माना गया था। इसके बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की निकासी 2025 में $17.6 बिलियन तक पहुंच गई। इसके पीछे रुपये के अवमूल्यन, वैश्विक तरलता में कड़ाई और अमेरिका–भारत के बीच औपचारिक व्यापार समझौते की कमी जैसी वजहें रही।
इन चुनौतियों का IPO बाजार पर असर सीमित रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कारण भारत के पूंजी बाजार में हो रहा संरचनात्मक बदलाव है, जिसमें अब विदेशी पूंजी की बजाय घरेलू निवेशक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। घरेलू म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड लगातार निवेश कर रहे हैं। वहीं, SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए खुदरा निवेशक भी सक्रिय हैं। 2025 में भारतीय SIP निवेशकों ने लगभग $33.4 बिलियन का निवेश किया, जिससे IPO बाजार में स्थिर और दीर्घकालिक पूंजी उपलब्ध रही।
2025 में IPO में कंपनियों के क्षेत्रीय योगदान में भी बदलाव देखा गया। नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) ने 26.6% हिस्सेदारी के साथ सबसे अधिक फंड जुटाया। इसके बाद कैपिटल गुड्स, टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स क्षेत्र रहे। यह 2024 से अलग है, जब IPO गतिविधि मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम और रिटेल सेक्टर में केंद्रित थी। इस विस्तृत क्षेत्रीय मिश्रण ने निवेशकों का भरोसा बनाए रखा और पोस्ट-लिस्टिंग उतार-चढ़ाव को कम किया।
निवेशकों के लिए निकासी का रास्ता
2025 में प्राइवेट इक्विटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) निवेशकों ने IPO को एक महत्वपूर्ण निकासी चैनल के रूप में इस्तेमाल किया। 2023 में लगभग $20 बिलियन के निकासी मूल्य के बाद, 2024 में यह $27 बिलियन तक पहुंचा और 2025 में $30 बिलियन से अधिक ट्रैक कर रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक बाजार के माध्यम से निवेशकों को अपनी पूंजी प्राप्त करने में बढ़ती सहजता और भरोसा है, भले ही वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई हो।
घरेलू इक्विटी भागीदारी अभी भी कम
हालांकि, वैश्विक मानकों के मुकाबले भारत में इक्विटी भागीदारी अभी भी कम है। बैन एंड कंपनी की रिपोर्ट में पाया गया कि केवल 15-20% भारतीय परिवार ही शेयर और म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 50-60% है।
जोखिम अभी भी मौजूद
लंबी वैश्विक अनिश्चितता या घरेलू निवेश में तेज गिरावट आने की स्थिति में IPO बाजार की क्षमता की परीक्षा हो सकती है। साथ ही, बहुत सारे IPO एक ही समय में आने पर निवेशकों की सख्ती बढ़ सकती है, विशेषकर छोटे या कम गुणवत्ता वाले प्रस्तावों में।

