IMF का गेम या ग्लोबल पावरप्ले? पाकिस्तान को बेलआउट और भारत का विरोध
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IMF का गेम या ग्लोबल पावरप्ले? पाकिस्तान को बेलआउट और भारत का विरोध

आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड में 190 सदस्य देशों के प्रतिनिधिनियों ने भारी बहुमत से इसके पक्ष में मतदान किया, जिसमें 82 प्रतिशत ने लोन का समर्थन किया।


अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को इस महीने दिए गए $2.3 बिलियन के नए बेलआउट पैकेज को लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। हालांकि, IMF के कार्यकारी बोर्ड में शामिल 190 सदस्य देशों में से 82 प्रतिशत ने इस पैकेज के पक्ष में वोट दिया। जो आवश्यक 70 प्रतिशत मंजूरी से कहीं अधिक है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन जैसे प्रमुख देशों ने पाकिस्तान के समर्थन में वोट दिया। जबकि भारत ने मतदान से दूरी बनाई। भारत का विरोध केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित है। यह पाकिस्तान का IMF से 1958 के बाद 24वां बेलआउट है। औसतन हर 3 साल में एक बेलआउट। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान बार-बार कर्ज लेता है, वादे करता है। लेकिन सुधार नहीं करता।

पाकिस्तान को IMF से क्या मिला?

इस बार पाकिस्तान को $1 बिलियन पहले से चल रहे $7 बिलियन के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) कार्यक्रम के तहत और $1.3 बिलियन IMF के क्लाइमेट रेजिलिएंस फंड (RSF) से दिए गए हैं। इस रकम का उद्देश्य पाकिस्तान की गहराती बैलेंस ऑफ पेमेंट (अर्थात खर्च और आमदनी का अंतर) की समस्या को कम करना है।

2024 में पाकिस्तान का व्यापार घाटा $24.05 से $24.08 बिलियन रहा, जो 2023 के $27.47 बिलियन से थोड़ा बेहतर है। लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। जनवरी में पाकिस्तान ने $3 बिलियन का निर्यात किया। जबकि $5.3 बिलियन का आयात — यानी सिर्फ एक महीने में ही $2.3 बिलियन का घाटा।

भारत की आपत्ति

भारत का कहना है कि पिछले 35 वर्षों में पाकिस्तान को 28 बार IMF से कर्ज मिला है। 2019 से अब तक पाकिस्तान 4 बार IMF प्रोग्राम में गया है। लेकिन केवल 24 में से 12 प्रोग्राम ही पूरी तरह सफल हुए हैं। पाकिस्तान को बार-बार टारगेट चूकने पर छूट (waivers) मिल जाती है, जिससे वह बिना सुधार के भी पैसा लेता रहता है।

IMF फंड का गलत इस्तेमाल?

भारत ने यह भी आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की सेना अर्थव्यवस्था का लगभग 40% हिस्सा नियंत्रित करती है, खासकर Fauji Foundation जैसी संस्थाओं के माध्यम से। देश की नई Special Investment Facilitation Council (SIFC) की अगुवाई जनरलों के हाथ में है, न कि अर्थशास्त्रियों के। भारत का आरोप है कि 2020 से अब तक IMF से मिले $2.1 बिलियन में से कुछ फंड संभवतः सेना या सीमा पार आतंक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हुए हैं। हालांकि IMF ने इन आरोपों की पुष्टि नहीं की है। लेकिन इससे भारत की चिंताएं और मजबूत होती हैं।

भारत की भूमिका सीमित

IMF में भारत का वोट शेयर 2.63% है। जबकि अमेरिका का 16.5% है। किसी भी बड़े फैसले के लिए 85% वोट जरूरी होते हैं और ऐसे में अमेरिका, चीन या EU जैसे बड़े खिलाड़ी फैसले को बना या बिगाड़ सकते हैं। भारत सिर्फ विरोध जता सकता है, रोक नहीं सकता।

क्या पाकिस्तान 'Too Big To Fail' बन गया है?

IMF की 2024 की एक समीक्षा रिपोर्ट खुद कहती है कि पाकिस्तान अब इतना बड़ा रिस्क बन गया है कि अगर उसे छोड़ दिया जाए तो पूरी दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इसीलिए बार-बार कर्ज देकर उसे बचाया जा रहा है, भले ही उसने कोई ठोस सुधार नहीं किए हों।

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